श्योपुर जिले के कूनो नेशनल पार्क से एक ऐसा दृश्य सामने आया है, जिसने न केवल पर्यटकों का दिल छू लिया, बल्कि वन्यजीव संरक्षण की एक भावनात्मक झलक भी प्रस्तुत कर दी। यहां जंगल की पाठशाला में सीख रहा एक मासूम चीता शावक अपनी मां और भाइयों से बिछड़ गया। इसके बाद वह अपनी हल्की, चहचहाहट जैसी भावुक आवाज में उन्हें खोजता नजर आया। यह दुर्लभ क्षण पर्यटकों ने अपने कैमरे में कैद किया, जिसमें शावक बार-बार अपनी 'कॉल' के माध्यम से संवाद की कोशिश करता हुआ दिखा।
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विशेषज्ञों के अनुसार, यह चीता शावकों की विशिष्ट आवाज होती है, जिसका उपयोग वे अपने परिजनों, विशेषकर मां को खोजने के लिए करते हैं। वन अधिकारियों का कहना है कि जब कोई शावक अपनी मां या परिवार से अलग हो जाता है या किसी खतरे की आशंका महसूस करता है, तब वह इस प्रकार की आवाज निकालता है।
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कूनो प्रबंधन का कहना है कि शावक पर लगातार नजर रखी जा रही है और उसके पुनर्मिलन की प्रक्रिया को सुरक्षित रूप से अंजाम दिया जा रहा है। कूनो में चल रहा चीता पुनर्वास कार्यक्रम न केवल पारिस्थितिक संतुलन की दिशा में एक बड़ा कदम है, बल्कि इसके ऐसे भावनात्मक क्षण आम लोगों को भी प्रकृति से जोड़ रहे हैं। यह दृश्य उन पर्यटकों और वन्यजीव प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन गया, जो इस मासूम पुकार के साक्षी बने।