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Tikamgarh News: हीरानगर गांव में वंशकार समाज के नहीं काटे जाते हैं बाल, पुलिस में दिया गया आवेदन
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, टीकमगढ़ Published by: टीकमगढ़ ब्यूरो Updated Mon, 03 Feb 2025 11:21 AM IST
आजादी के बाद भी मध्य प्रदेश के पिछड़े बुंदेलखंड में जात पात भेदभाव कायम है। आज भी कई गांवों की निचली जातियों के लोगों की दाढ़ी व बाल गांव के नाइयों के द्वारा नहीं काटे और बनाये जाते है। जिस कारण गांव के लोगों को अपने बाल कटवाने और दाड़ी बनवाने के लिए जिला मुख्यालय पर आने को मजबूर होना पड़ता है।
टीकमगढ़ जिले के गांव हीरानगर में निचली जातियों के लोगों ने थाने में एक आवेदन पत्र देकर मांग की है कि गांव के नाइयों द्वारा उनके बाल काटने व दाढ़ी बनाने और किसी की मृत्यु तक हो जाने के बाद मुण्डन तक नही किया जाता है। मजबूरन गांव के इस वर्ग के लोगों को इन कार्यों के लिए गांव से टीकमगढ़ जिला मुख्यालय आने को मजबूर होना पड़ता है।
यह पूरा मामला टीकमगढ़ जिला मुख्यालय से महज 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित हीरानगर गांव का है, जहां पुलिस को ये अजब गजब आवेदन आया है। जिसमें वंशकार समाज के लोगों ने अपनी समस्या बताते हुए देहात थाना पुलिस से गुहार लगाई है। वंशकार समाज के लोगों ने थाने में लिखित आवेदन देकर बताया कि हीरानगर गांव में वंशकार समाज के लोग कई वर्षों से गांव के नाइयों द्वारा बाल ना काटे जाने और दाढ़ी न बनाये जाने से परेशान हैं। लिहाजा गांव के वंशकार समाज के लोगों को बाल कटवाने और दाढ़ी बनवाने के लिए टीकमगढ़ आना पड़ता है।
यहां तक की अगर इस समाज के किसी घर में गमी हो जाती है तो मुंडन कार्य के लिए भी टीकमगढ़ से नाइयों को हीरानगर लेकर जाना पड़ता है। वहीं ग्रामीणों का कहना है कि उनके गांव में स्थित नाई की दुकानों में वंशकार समाज के लोगों से छुआछूत मानते हुए बाल नहीं काटे जाते और न ही दाढ़ी बनाई जाती है। जिससे समाज के लोग बेहद परेशान हैं ऐसी परिस्थिति में बुजुर्ग व बच्चों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।
इस पूरे मामले में गांव में स्थित नाई दुकानदारों का कहना है कि हमारे बाप दादाओं ने वंशकार समाज के लोगों के कभी बाल नहीं काटे तो हम कैसे काट दे। हमारे गांव में पुराने समय से प्रथा चली आ रही है। हम अपने गांव में सभी लोगों के बाल काटते हैं, लेकिन वंशकार समाज के बाल नहीं काटते है। बुंदेलखंड के पिछड़े जिलों में शुमार होने वाले टीकमगढ़ जिले के जिला मुख्यालय से सटे गांवों का ऊंच नीच और जाति भेदभाव का जब ये हाल है तो आप जिला मुख्यालय के दूरस्थ ग्रामीण अंचलों का क्या हाल होगा, इसका अंदाजा आप स्वयं लगा सकते है। वहीं टीकमगढ़ एसडीओपी राहुल का कहना है कि थाना प्रभारी के माध्यम से सूचना मिली थी। मैंने आवेदन मंगाया है, इस पूरे मामले की जांच की जाएगी।
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