बुंदेलखंड की "अयोध्या" के नाम से विख्यात ओरछा नगर में आज भी भाई-बहन के अटूट प्रेम की कहानी इतिहास के सुनहरे पन्नों पर दर्ज है। यहां स्थित लाला हरदौल के चबूतरे पर बुंदेलखंड की हर बहन राखी लेकर आती है, क्योंकि लाला हरदौल ने मरने के बाद भी अपनी बहन का साथ निभाया था। इसी कारण बुंदेलखंड की हर बहन उन्हें अपना भाई मानती है।
शादी का पहला कार्ड लाला हरदौल को
बुंदेलखंड में जब किसी परिवार में लड़की या लड़के की शादी होती है, तो पहला निमंत्रण लाला हरदौल को चढ़ाने की परंपरा है। जब किसी लड़की की शादी का समय आता है, तो सबसे पहले निमंत्रण लाला हरदौल को दिया जाता है। लोग यह प्रार्थना करते हैं कि उनकी शादी में कोई समस्या न आए, क्योंकि लाला हरदौल ने मरने के बाद भी अपनी बहन का साथ निभाया था।
राजा ने छोटे भाई को भोजन में जहर मिलाने की सजा दी थी
बुंदेलखंड की किंवदंतियों और इतिहास में इस बात का जिक्र है कि 17वीं शताब्दी में ओरछा के तत्कालीन शासक, जुझार सिंह के मंत्रिमंडल ने हरदौल के खिलाफ षड्यंत्र रचा था। उनके कान भरने के बाद, जुझार सिंह ने अपनी धर्मपत्नी को आदेश दिया कि वह लाला हरदौल को भोजन में जहर दे दे। इस आदेश का पालन हुआ, और लाला हरदौल को जहर दे दिया गया, जिससे उनकी मौत हो गई। यह घटना 1688 की बताई जाती है।
बहन कुंजावती के बुलाने पर मरने के बाद आए हरदौल
बुंदेलखंड के इतिहासकार डॉक्टर के.पी. त्रिपाठी के अनुसार, जुझार सिंह की बहन कुंजावती, जो दतिया में ब्याही गई थीं, अपने भाई हरदौल से बहुत प्रेम करती थीं। हरदौल की मृत्यु के बाद, जब उनकी समाधि बना दी गई, उसी समय कुंजावती की बेटी का ब्याह तय हुआ। बुंदेलखंड की परंपरा के अनुसार, जब भी किसी बहन की बेटी की शादी होती है, तो बहन अपने मायके आकर भाई से भात मांगती है। जब कुंजावती ओरछा पहुंचीं, तब तक हरदौल की समाधि बन चुकी थी। जुझार सिंह ने उन्हें तवज्जो नहीं दी, तो वह सीधे अपने छोटे भाई हरदौल के चबूतरे पर पहुंचीं और उनसे कहा, "हरदौल, तुम्हारे भांजी की शादी है और सारे कार्य तुम्हें करने हैं।"
सामान पहुंचाने के लिए बैलगाड़ियों का तांता लग गया
डॉ. त्रिपाठी बताते हैं कि बुंदेलखंड का इतिहास अधिकांशतः किंवदंतियों पर आधारित है। जब कुंजावती उनकी समाधि पर रोईं, तो हरदौल प्रकट हुए और उन्होंने अपनी बहन से वादा किया कि वह निश्चिंत होकर जाएं, शादी धूमधाम से होगी। जब उनकी बेटी की शादी की बारात आई, तो उन्होंने लाला हरदौल को याद किया और कहा कि "आज भांजी की शादी है, इसमें आपको आना है।" इसके बाद वहां पर सामान पहुंचाने के लिए बैलगाड़ियों का तांता लग गया, और लाला हरदौल प्रकट हुए और अपने भांजे-दामाद को दर्शन दिए। तब से लेकर आज तक बुंदेलखंड में लाला हरदौल को लोकनायक के रूप में पूजा जाता है।
मन्नत होती है पूरी
हरदौल चबूतरे की पूजा करने वाले पुजारी मुकेश केवट कहते हैं कि बुंदेलखंड की हर बहन हरदौल को अपना भाई मानती है। जब भी किसी बहन की शादी में परेशानी या बाधा उत्पन्न होती है, तो वह राखी लेकर अपने भाई हरदौल के पास आती है और मन्नत मांगती है। उसकी, मन्नत पूरी भी होती है।