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Tikamgarh News: बुंदेलखंड की चंदेल कालीन बावड़ियों को मिलेगी नई पहचान, सर्वे टीम पहुंची टीकमगढ़
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, टीकमगढ़ Published by: टीकमगढ़ ब्यूरो Updated Sat, 02 Nov 2024 08:16 PM IST
बुंदेलखंड की बावड़ियों को अब राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिलेगी और उनको संवारने का काम भी मध्य प्रदेश सरकार करेगी, जिसके लिए सर्वे का काम शुरू हो गया है। टीम ने आज टीकमगढ़ जिले की चंदेल कालीन बावड़ियों का निरीक्षण किया हैं।
भारतीय पुरातत्व विभाग और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा बुंदेलखंड की हजारों साल पुरानी चंदेल कालीन बावरी की सुरक्षा और सुधार के प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। इसी क्रम में मध्य प्रदेश के भोपाल से वैष्णवी प्रशांत टीकमगढ़ पहुंची है, जिन्होंने आज टीकमगढ़ जिले की हजारों साल पुरानी खंडहर पड़ी बावड़ियों का निरीक्षण किया है। उन्होंने बताया कि वह रिपोर्ट मध्य प्रदेश सरकार और पुरातत्व विभाग को भेजेंगे, जिनके द्वारा उन्हें प्रोजेक्ट सर्वे करने का काम दिया गया है। उन्होंने बताया किसी की मध्य प्रदेश और पुरातत्व विभाग मिलकर के इनको संभालने का काम करेगा।
वैष्णो देवी प्रसाद ने बताया कि उन्होंने टीकमगढ़ जिले के 6 बावड़ियों का निरीक्षण किया है, जो हजारों साल यानी कि चंदेल कालीन शासन की है, जो काफी खंडहर हो चुकी है। उन्होंने बताया कि सबसे पहले वह कुराई गांव की बावड़ी देखने गई, इसके बाद उन्होंने दिगौड़ा का किला और बावड़ी, मोहनगढ़ का किला बाबरी देखी और अंत में केशवगढ़ की बावड़ी देखने के लिए पहुंची, जिसमें उनके साथ सरपंच प्रतिनिधि पुष्पेंद्र जैन थे।
सरपंच प्रतिनिधि पुष्पेंद्र जैन केशवगढ़ ने बताया कि मैडम द्वारा निरीक्षण किया गया है और सारे पॉइंट उन्होंने लिखाये हैं। पुष्पेंद्र का कहना है कि उनके गांव में स्थित बावड़ी हजारों साल पुरानी है, यानी कि चंदेल शासकों के समय पानी के लिए बनवाई गई थी जो अब खंडहर हो चुकी है। उन्होंने कहा कि मध्य प्रदेश सरकार और पुरातत्व विभाग द्वारा जो कदम उठाया गया है वह तारीफ करने लायक है, क्योंकि बुंदेलखंड में पानी की समस्या आज से नहीं हजारों साल से है और इसी समस्या को हल करने के लिए चंदेल शासकों ने बावड़ी का निर्माण कराया था, लेकिन रखरखाव और सुरक्षा न होने के कारण यह बावड़ी आज खंडहर हो चुकी है।
अगर इनको पुनः मध्य प्रदेश सरकार और पुरातत्व विभाग द्वारा जीरोद्धार किया जाता है तो आने वाली पीढ़ी के लिए पानी की समस्या नहीं होगी। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि बुंदेलखंड की यह पहचान हुआ करती थी, लेकिन समय के साथ बावड़ी विलुप्त होने लगी और खंडहर होने लगी क्योंकि ब्रिटिश काल के समय और राजशाही दौर में इनका रखरखाव नहीं किया गया और बुंदेलखंड पानी की समस्या से जूझता रहा जो आज भी जारी है। उन्होंने कहा कि गर्मियों का मौसम आते ही बुंदेलखंड में पानी की समस्या विकराल रूप धारण कर लेती है क्योंकि यह पूरा पथरी इलाका है। प्रसाद वैष्णवी प्रसंग ने बताया कि मध्य प्रदेश के पूरी बावरी का सर्वे कराया जा रहा है और वह सर्वे रिपोर्ट मध्य प्रदेश सरकार और पुरातत्व विभाग को सौंपेंगे।
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