उज्जैन उपभोक्ता फोरम ने एक ऐसा फैसला सुनाया है, जिसमें खाते में पर्याप्त राशि होने के बावजूद बैंक ने न केवल चेक बाउंस कर दिया, बल्कि चेक बाउंस की राशि भी काट ली। खाताधारक ने जब इस संबंध में बैंक प्रबंधक से शिकायत की तो उन्होंने अपनी गलती मानने से इनकार कर दिया। ऐसे में खाताधारक ने उपभोक्ता फोरम में वाद दायर किया गया। मामले में दो साल बाद फैसला सुनाते हुए जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग, जिला पीठ ने बैंक को 45 दिनों के भीतर 327 रुपये और राशि काटने की तिथि से भुगतान तिथि तक 9% वार्षिक ब्याज सहित, मानसिक त्रास के लिए 10,000 और वाद दायर करने के खर्च 2,000 रुपये का भुगतान करने का आदेश दिया।
अभिभाषक वीरेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि जगत बहादुर सिंह परिहार, निवासी इंदिरा नगर उज्जैन का खाता बैंक ऑफ इंडिया, अरविंद नगर हीरा मिल चौराहा शाखा में क्रमांक 9107101000009150 पर संचालित है। जगत बहादुर सिंह ने 27 मई 2022 को चेक क्रमांक 069837 के माध्यम से 6,000 रुपये के भुगतान के लिए चेक प्रस्तुत किया था, लेकिन 30 मई 2022 को वह उस समय चौंक गए जब पर्याप्त बैलेंस होने के बावजूद बैंक ने चेक बाउंस कर दिया।
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अभिभाषक वीरेंद्र सिंह परिहार ने बताया कि जब जगत बहादुर ने इस गड़बड़ी की जानकारी बैंक प्रबंधक को दी तो उन्होंने अपनी गलती मानने से इनकार कर दिया। इसके बाद उन्हें नोटिस भेजा गया, लेकिन तब भी कोई सकारात्मक जवाब नहीं मिला। अंततः वर्ष 2022 में इस मामले को लेकर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोषण आयोग उज्जैन में वाद दायर किया गया।
आयोग द्वारा दिए गए निर्णय में बैंक को चेक बाउंस करने के लिए दोषी माना गया। आदेश में कहा गया है कि बैंक 45 दिनों के भीतर 327 और उस पर भुगतान तिथि तक 9% वार्षिक ब्याज एकमुश्त अदा करे। साथ ही, मानसिक प्रताड़ना के लिए 10,000 और वाद दायर करने के व्यय के रूप में 2,000 रुपये खाताधारक को दी जाए।
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चेक बाउंस, खाते में थे हजारों रुपये
बैंक ऑफ इंडिया ने जगत बहादुर सिंह के 6,000 रुपये के चेक को 30 मई 2022 को बाउंस कर दिया था। जब स्टेटमेंट निकाला गया तो यह स्पष्ट हुआ कि चेक बाउंस के समय खाते में 61,853 रुपये उपलब्ध थे। इसके बावजूद चेक बाउंस करना बैंक की गंभीर लापरवाही मानी गई।