विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में पुजारी-पुरोहित और कर्मचारियों की नियुक्तियों पर सवाल खड़े हो गए हैं। उज्जैन निवासी सारिका गुरु द्वारा इंदौर हाईकोर्ट में लगाई गई याचिका में दावा किया गया है कि मंदिर समिति ने 300 से अधिक कर्मचारियों और 40 से ज्यादा मंदिरों में कार्यरत पुजारियों की नियुक्तियां गैरकानूनी और अपारदर्शी तरीके से की हैं। मंदिर समिति ने न तो किसी अखबार में विज्ञप्ति निकाली। न ही कोई टेस्ट लिया। समिति ने बिना किसी आधार पर नियुक्ति की है।
फ्रीगंज क्षेत्र निवासी सारिका गुरु ने 16 जून 2025 को इंदौर हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी। उसके बाद हाईकोर्ट ने 1 सितंबर को हुई सुनवाई में उज्जैन कलेक्टर से 3 माह में जवाब मांगा है। उसके पहले उन्होने मंदिर समिति से आरटीआई में पुजारी पुरोहित और कर्मचारियों की नियुक्ति के संबध में दस्तावेज मांगे थे। जिसमें पूछा था कि मंदिर परिसर के 40 मंदिरों में पुरोहित पुजारी और मंदिर में 300 से अधिक कर्मचारियों की नियुक्ति किस आधार पर की गई। इसके लिए क्या मापदंड तय किए गए। किस अखबार में विज्ञप्ति निकाली गई। लेकिन, मंदिर समिति ने गोपनीय दस्तावेज का हवाला देकर किसी भी प्रकार के दस्तावेज देने से इंकार कर दिया। राज्य सूचना आयोग में अपील के बाद मामला हाईकोर्ट पहुंचा।
याचिका मे कहा गया कि महाकाल मंदिर परिसर स्थित 19 मंदिरों में एक ही पुजारी की नियुक्ति की है। यह अवैध है। आखिरकार कैसे एक ही पुजारी 19 मंदिरों का कामकाज देख सकता है।
मंदिर समिति के एक्ट के मुताबिक नियुक्ति प्रक्रिया में विज्ञप्ति निकालना, आवेदन लेना, इंटरव्यू करना और प्रशासन-पुलिस से चरित्र सत्यापन कराना जरूरी है। इसके बाद ही मंदिर समिति नियुक्ति प्रमाण-पत्र देती है। लेकिन वर्तमान में यह प्रक्रिया पूरी तरह नजरअंदाज कर दी गई है।
याचिकाकर्ता सारिका गुरु पति जयराज चौबे ने दिनांक 20 जनवरी 2024, 5 फरवरी 2025 और 15 मार्च 2025 को कलेक्टर, मंदिर प्रशासक और संभागायुक्त को लिखित में शिकायत दर्ज की। उक्त शिकायतों पर जब कार्रवाई नहीं हुई तो शिकायतकर्ता ने 19 मई 2025 को हाई कोर्ट इंदौर में याचिका लगाई। जिस पर सुनवाई के बाद 1 सितंबर 2025 को आदेश जारी हुआ।
आदेश में यह लिखा गया कि उज्जैन कलेक्टर जो कि महाकाल मंदिर समिति के अध्यक्ष हैं। वह तीन माह के भीतर याचिकाकर्ता के आवेदन पर कार्रवाई कर न्यायालय और याचिकाकर्ता को अवगत कराए। बता दें कि उज्जैन का विश्व प्रसिद्ध महाकालेश्वर मंदिर महाकाल मंदिर प्रबंध समिति के अधीन है। इस समिति के अध्यक्ष खुद जिला कलेक्टर हैं। वहीं, प्रशासक आईएएस अधिकारी है। इसके अलावा एसपी, एडिशनल एसपी, एडीएम, पुजारी और महापौर समिति के सदस्य हैं। महाकाल मंदिर को लेकर कोई भी निर्णय मंदिर प्रबंध समिति द्वारा दिया जाता है।
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याचिकाकर्ता के अनुसार महाकाल मंदिर समिति में नियुक्त पुजारी और पुरोहितों की सूची को देखने से स्पष्ट होता है कि अधिकांश नियुक्तियां रिश्तेदारी और भाई-भतीजावाद के आधार पर की गई हैं। उदाहरण के लिए, गौरव शर्मा के प्रतिनिधि उनके चाचा और चचेरे भाई हैं। दिलीप शर्मा की ओर से उनके भतीजे और रिश्तेदार प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। विजय शर्मा के प्रतिनिधि उनके पुत्र हैं। कैलाश नारायण शर्मा के प्रतिनिधि उनके बेटे और भतीजे हैं। यानी नियुक्तियों में खुलापन और निष्पक्षता के बजाय एक ही परिवार या वंश विशेष का वर्चस्व दिख रहा है।
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