जिले में निजी स्कूलों द्वारा बढ़ती फीस वसूली और मनमानी के खिलाफ अभिभावकों ने आवाज बुलंद की है। निजी स्कूलों द्वारा अनियमित शुल्क वसूली, मनमानी नियम लागू करने और शिक्षा के नाम पर आर्थिक शोषण करने के विरोध में जिले के अभिभावकों ने एक बैठक आयोजित की। इस बैठक में जिला अभिभावक संघ के बिजेन्द्र सिंह, अभिषेक तिवारी सहित अन्य सदस्यों ने हिस्सा लिया और सरकार व जिला प्रशासन से सख्त कार्रवाई की मांग की।
अभिभावकों का कहना है कि एक आम आदमी अपने बच्चों को अच्छी शिक्षा दिलाने के लिए कठिन परिश्रम करता है, लेकिन निजी स्कूल उनकी मजबूरी का फायदा उठाकर अनावश्यक शुल्क वसूल रहे हैं। निजी स्कूल हर साल नए एडमिशन के नाम पर मोटी रकम ऐंठते हैं, यहां तक कि पहली कक्षा पूरी करने के बाद दूसरी कक्षा में दाखिले के लिए भी नए एडमिशन का शुल्क लिया जाता है। इसके अलावा, कई निजी स्कूल हर साल नया ड्रेस कोड लागू कर देते हैं, जिससे अभिभावकों पर अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है।
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अभिभावकों ने यह भी आरोप लगाया कि स्कूलों द्वारा निर्धारित किताबों का पूरा पाठ्यक्रम साल भर में पूरा नहीं हो पाता, जिससे बच्चों की शिक्षा पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। साथ ही, स्कूलों द्वारा 10 महीने की बजाय 12 महीने की फीस वसूली की जाती है, जो नियमों का उल्लंघन है। इन तमाम अनियमितताओं और मनमानी को रोकने के लिए अभिभावकों ने जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपा है।
दिए गए ज्ञापन में अभिभावकों ने मांग की है कि जिला प्रशासन निजी स्कूलों पर सख्ती से नियमों का पालन कराए और अनावश्यक शुल्क वसूली को रोके। अभिभावक संघ ने चेतावनी दी है कि यदि 15 दिनों के भीतर उचित कार्रवाई नहीं की गई तो वे आमरण अनशन और भूख हड़ताल करने को बाध्य होंगे।
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अभिभावकों का यह आंदोलन जिले में शिक्षा व्यवस्था में पारदर्शिता लाने और निजी स्कूलों की मनमानी पर रोक लगाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। उनका कहना है कि शिक्षा का व्यवसायीकरण रोकने के लिए सरकार को जल्द से जल्द कठोर नियम लागू करने चाहिए, ताकि आम लोगों को राहत मिल सके।