मध्यप्रदेश के प्राचीन विवादित स्मारकों में से एक बीजा मंडल को लेकर शुक्रवार को मुस्लिम विकास समिति भी मैदान में कूद पड़ी है। एक ओर जहां हिंदू संगठन लगातार बीजा मंडल को मंदिर बताकर ताला खोलने और उसमें पूजा की अनुमति देने की मांग कर रहे हैं। वहीं, मुस्लिम विकास समिति ने साल 1965 में हुए समझौते के मुताबिक, न्यायालय के फैसले को यथावत रखने की मांग की है। जानकारी के मुताबिक, मुस्लिम विकास कमेटी की ओर से शुक्रवार को कलेक्टर को एक लिखित ज्ञापन दिया गया, जिसमें उन्होंने इस स्थान को लेकर चल रहे विवाद पर रोक लगाने और 1965 में हुए समझौते के अनुसार उसे यथावत रखने की मांग की है, जिसका मतलब साफ तौर पर यह है कि यहां मंदिर का ताला खोलकर पूजन की अनुमति नहीं दी जाना चाहिए। वहीं, ज्ञापन के अनुसार प्रत्येक स्वरूप से यह समझा जा सकता है कि हिंदुओं और हिंदूवादी संगठनों द्वारा की जा रही मांग को न माना जाए। साथ ही यह भी कहा गया कि यदि कोई संगठन इस मामले को लेकर न्यायालय जाता है तो हम न्यायालय में अपना जवाब सबूत के साथ दाखिल करेंगे। मामले में पलटवार करते हुए हिंदू संगठन के लोग इसे दोहरे चरित्र की बात बता रहे हैं। हिंदू संगठन के लोगों का दावा है कि कुछ समय पहले बीजा मंडल का ताला खोलकर हिंदुओं को पूजा करने देने में कोई आपत्ति नहीं थी। ओवैसी की पोस्ट के बाद अब ये लोग पलट रहे हैं, जबकि समझौते के बाद उनको ईदगाह पर नमाज पढ़ने के लिए जगह दे दी गई थी। लेकिन अब दोबारा इनका बीजामंडल पर हक जमाना इनके दोहरे चरित्र को दर्शाता है।