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उत्पादन अधिक होने से गिरे अरबी के दाम, फिरोजपुर में बाॅर्डर बेल्ट के किसान परेशान
फिरोजपुर की बार्डर बेल्ट अरबी की हब कही जाती है। यहां से अरबी जम्मू-कश्मीर, लेह लद्दाख, मुंबई, दिल्ली व अन्य शहरों में सप्लाई होती है। ये फसल पानी बहुत मांगती है, इसीलिए इसकी बिजाई सतलुज दरिया के आसपास बसे सरहदी गांवों में की जाती है। एक एकड़ में अरबी लगाने का खर्च तकरीबन एक लाख रुपये आता है।
किसान गुरदेव सिंह वासी भाने वाला ने बताया कि फरवरी व मार्च में अरबी की फसल बिजी जाती है। बिजाई से पूर्व जमीन की मिट्टी ट्रैक्टर के जरिए पोली (भुरभुरी ) की जाती है। उसके बाद खेत में मेड़ बनाकर उसमें अरबी का बीज लगाया जाता है। बीज डालने के बाद खेत में डीएपी खाद डाली जाती है। उसके बाद दो से तीन बार खेत की गुड़ाई की जाती है। थोड़ा समय बीतने के बाद मेड़ पर और मिट्टी चढ़ाई जाती है। इसमें काफी मेहनत और मजदूरी लगती है। इसके बाद फिर से डीएपी खाद, पोटाश व यूरिया डाली जाती है। यह सब कुछ करने में एक एकड़ में लगभग एक लाख रुपये का खर्च आता है। जो किसान शुरुआत में अरबी बाजार में बेचते हैं उन्हें अरबी के एक गट्टू (40 किलो) पीछे 800 रुपये से लेकर 900 रुपये मिलते हैं । लेकिन अब बारिश के चलते अरबी दाम में बहुत गिरावट आई है। अब किसान को अरबी के एक गट्टू के पीछे 300 रुपये मिल रहे हैं, मजदूरी भी पूरी नहीं हो पा रही है।
किसानों का कहना है कि अधिक बारिश पड़ने के कारण और पहाड़ों में रास्ते टूटने के कारण और कई शहरों में बाढ़ आने के कारण उनकी अरबी दूरदराज के शहरों तक नहीं पहुंच पा रही है। यही कारण है कि उन्हें अब काफी नुकसान झेलना पड़ रहा है। सरकार भी उनकी तरफ कोई ध्यान नहीं दे रही है।
किसान जसविंदर सिंह व रूप सिंह वासी हजारा सिंह वाला का कहना है कि इस बार अरबी में उन्हें काफी नुकसान झेलना पड़ा है, जो दम उन्हें मिलने चाहिए थे वो नहीं मिलें हैं। खेत में से अरबी उखाड़ने की मजदूरी भी पूरी नहीं हो पा रही है। इसीलिए बहुत से किसान बिजी हुई अरबी वाले खेत में ट्रैक्टर से जोतने को मजबूर हो गए हैं।
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