वक्फ बिल को लेकर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने हाल ही में एक बयान दिया था, जिसमें उन्होंने एआईएसएससी के राष्ट्रीय सचिव गुलाम नजमी फारूकी को रंग-बिरंगा जोकर कहा था। यह वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रहा है। इसे लेकर गुलाम नजमी ने सोमवार को प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
उन्होंने एक शायरी से शुरुआत करते हुए कहा कि खामोश अदब भरी महफिल में चिल्लाना नहीं अच्छा, अदब पहला करीना है मोहब्बत के करीनों में। उन्होंने कहा कि सबसे पहले हमें तहजीब और शिष्टाचार सिखाया जाता है। हमें सिखाया जाता है कि बड़ों से, परिवार के लोगों से, दोस्तों से और शहर के लोगों से कैसे बात करनी है। असदुद्दीन ओवैसी ने यह क्यों कहा और किस अंदाज में कहा, मैं इस पर कुछ नहीं कहना चाहता।
ओवैसी द्वारा उन्हें रंग-बिरंगा जोकर बोले जाने पर उन्होंने कहा कि हम जो भगवा और सूफी रंग पहनते हैं और उसका इस्तेमाल करते हैं, वह हमारा बनाया हुआ नहीं है। यह रंग हजरत ख्वाजा मोइनुद्दीन हसन चिश्ती 800 साल पहले भारत लेकर आए थे और उन्होंने इस रंग को अपनाया। उसके बाद उनके परिवार के लोग और उनके मानने वाले चिश्ती परिवार, सभी इसी रंग का इस्तेमाल करते हैं और पहनते हैं। ओवैसी ने इस रंग का मजाक उड़ाया है। उन्होंने मेरा अपमान नहीं किया है। उन्होंने पूरे चिश्ती समुदाय का अपमान किया है, क्योंकि यह रंग भारत की सभी दरगाहों में इस्तेमाल किया जाता है।
उन्होंने कहा, मैं भारत के सभी दरगाह वालों से अनुरोध करता हूं कि वे ओवैसी का बहिष्कार करें। उन्होंने ख्वाजा साहब द्वारा दिए गए इस रंग का मजाक उड़ाया है। ओवैसी द्वारा दरगाह बोर्ड के गठन के बारे में मजाक बनाने पर उन्होंने कहा कि दरगाह बोर्ड के गठन का मुद्दा ऐसा है कि जब से हमने काउंसिल बनाई है, तब से हम सभी दरगाह वालों से मिल रहे हैं। हर दरगाह वाले को कोई न कोई समस्या है, जो वक्फ बोर्ड से पीड़ित हैं। इसीलिए हमने सरकार को प्रस्ताव दिया है। हम वक्फ बोर्ड में संशोधन कर रहे हैं।
उन्होंने कहा कि हमने मुसलमानों का पक्ष बहुत अच्छे से और मजबूती से रखा है। जब बिल पास हो जाएगा, तो हम बताएंगे कि हमने मुसलमानों के लिए क्या कहा है। गुलाम नजमी ने कहा कि मैं स्पष्ट करना चाहता हूं कि ओवैसी साहब ने दरगाह ख्वाजा साहब एक्ट नहीं पढ़ा है। ओवैसी साहब ने दरगाह से जुड़े फैसले भी नहीं पढ़े हैं और ना ही उन्हें इस मामले में पूरी जानकारी है।