राजस्थान के बालोतरा क्षेत्र से शिक्षा व्यवस्था की बड़ी लापरवाही सामने आई है। पादरू क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले महात्मा गांधी इंग्लिश मीडियम स्कूल, पेवालों की ढाणी, इटवाया में 100 से अधिक विद्यार्थी मात्र एक शिक्षिका के भरोसे पढ़ाई कर रहे हैं। शिक्षा का अधिकार कानून लागू होने के बावजूद ग्रामीण इलाकों के कई सरकारी स्कूलों में हालात बेहद चिंताजनक बने हुए हैं।
ग्रामीणों के अनुसार, यह समस्या कोई नई नहीं है। वर्षों से स्कूल में शिक्षकों के पद खाली पड़े हैं, लेकिन शिक्षा विभाग या स्थानीय प्रशासन की ओर से अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। एकमात्र शिक्षिका के सहारे प्राथमिक से लेकर उच्च प्राथमिक कक्षाओं तक की पढ़ाई जारी रखना किसी चुनौती से कम नहीं है।
एक ग्रामीण अभिभावक ने बताया, “सरकारें बेटियों की शिक्षा और इंग्लिश मीडियम स्कूलों के विस्तार की बातें करती हैं, लेकिन हकीकत में योजनाएं सिर्फ कागजों तक सीमित हैं। हमारे बच्चे बिना शिक्षकों के भविष्य की लड़ाई लड़ रहे हैं।”यह स्कूल विशेष रूप से बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के उद्देश्य से खोला गया था, लेकिन अब सबसे अधिक प्रभावित लड़कियां ही हो रही हैं। शिक्षकों की कमी के कारण कई अभिभावक अपनी बेटियों को दूसरे दूरस्थ स्कूलों में भेजने को मजबूर हैं, जबकि कुछ ने उनकी पढ़ाई ही रुकवा दी है।
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ग्रामीणों का कहना है कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ, तो आने वाले वर्षों में यह स्कूल बंद होने की कगार पर पहुंच जाएगा। इससे न केवल अंग्रेजी माध्यम की शिक्षा को नुकसान होगा, बल्कि ग्रामीण बच्चों का भविष्य भी अंधकार में चला जाएगा। लंबे समय से उपेक्षा झेल रहे ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि यदि शीघ्र ही शिक्षकों की नियुक्ति नहीं की गई, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर होंगे। उन्होंने कहा कि कई बार यह मुद्दा जनप्रतिनिधियों और शिक्षा विभाग तक पहुंचाया गया, लेकिन अब सब्र का बांध टूट चुका है।