जालौर जिले के चितलवाना उपखंड क्षेत्र में लूणी नदी का जलस्तर एक बार फिर आफत बनकर ग्रामीणों पर टूटा है। टांपी ग्राम पंचायत के पावटा गांव के चारों ओर नदी का पानी फैल जाने से पूरा गांव टापू में तब्दील हो गया है। महज एक महीने में दूसरी बार इस गांव का संपर्क पूरी तरह से कट गया है। करीब हजार की आबादी अपने ही घरों में कैद होकर रह गई है।
चारों ओर पानी से घिरा गांव
जानकारी के मुताबिक, लूणी नदी के तेज बहाव से पावटा गांव की सभी संपर्क सड़कें बंद हो चुकी हैं। गांव के सौ से अधिक घरों में पानी घुस गया है। कहीं पानी घुटनों तक पहुंचा है तो कहीं चूल्हों तक भर गया है। गांव से बाहर निकलने के लिए ग्रामीणों को नदी का पानी पार करना पड़ रहा है, जिससे उनकी जान पर खतरा मंडरा रहा है।
स्कूल जलमग्न, बच्चों की पढ़ाई ठप
पावटा गांव का सरकारी विद्यालय भी बाढ़ के पानी में डूब चुका है। चारों ओर पांच से छह फीट तक पानी भरने से बच्चों की पढ़ाई पूरी तरह बाधित हो गई है। गांव में छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक सभी लोग घरों में कैद हैं और सामान्य जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है।
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संपर्क मार्ग बंद, 80 किलोमीटर लंबा चक्कर
लूणी नदी का पानी टांपी से पावटा, दूठवा से होतीगांव और दूठवा से गलिफा होते हुए सुराचंद जाने वाले मुख्य मार्गों को बंद कर चुका है। अब उपखंड मुख्यालय पहुंचने के लिए ग्रामीणों को करीब 80 किलोमीटर लंबा चक्कर लगाना पड़ रहा है।
प्रशासन की अनदेखी पर आक्रोश
ग्रामीणों का कहना है कि हर साल बारिश के मौसम में लूणी नदी का पानी पावटा को टापू बना देता है। इसके बावजूद प्रशासन की ओर से कोई ठोस इंतजाम नहीं किए गए हैं। हालात यह हैं कि न तो राहत सामग्री पहुंचाई गई है और न ही नाव जैसी सुविधाएं उपलब्ध करवाई गई हैं।
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दरअसल, लूणी नदी का उद्गम अजमेर के नाग पहाड़ से होता है। यह अरावली पर्वतमाला से निकलकर राजस्थान में लगभग 330 किलोमीटर बहती है। जालौर के चितलवाना इलाके से गुजरते हुए यह गुजरात के कच्छ के रण में अरब सागर से मिल जाती है। लूणी को स्थानीय लोग ‘मारू गंगा’ के नाम से भी जानते हैं।