मादक पदार्थों की तस्करी में राजस्थान का सबसे बड़ा वांछित तस्कर गोवर्धनराम आखिरकार जोधपुर रेंज की साइक्लोनर टीम के शिकंजे में आ गया। मारवाड़ में नशे के कारोबार के चौथे मजबूत स्तंभ के रूप में कुख्यात गोवर्धनराम पर राजस्थान पुलिस मुख्यालय की ओर से एक लाख रुपये का इनाम घोषित था।
जोधपुर रेंज के पुलिस महानिरीक्षक विकास कुमार ने बताया कि साइक्लोनर टीम ने एक दुस्साहसी और रणनीतिक ऑपरेशन में गोवर्धनराम को बुधवार सुबह तड़के गिरफ्तार कर लिया। वह बीते चार वर्षों से फरार चल रहा था और उस पर मादक पदार्थों की तस्करी, हत्या के प्रयास, मारपीट, वाहन चोरी, आगजनी, आर्म्स एक्ट आदि के कई गंभीर प्रकरण दर्ज हैं।
तस्कर की पहचान और पृष्ठभूमि
गिरफ्तार आरोपी गोवर्धनराम (32) पुत्र डूंगरराम, निवासी भुरटिया, थाना नागाणा, जिला बाड़मेर का रहने वाला है। उसने आठवीं कक्षा के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी और बड़े भाई दिनेश की देखरेख में तस्करी के धंधे में कदम रखा। दिनेश स्वयं भी कुख्यात तस्कर रह चुका है, जो अब मध्यप्रदेश के जबलपुर में सड़क निर्माण का ठेकेदार बन चुका है।
गोवर्धनराम का आपराधिक करियर लगभग 12 साल पुराना है। वह शुरुआती वर्षों में दो-तीन बार जेल गया, लेकिन उसके बाद पुलिस की पकड़ से दूर ही रहा। वर्तमान में उसके खिलाफ दर्ज प्रकरणों की संख्या दो अंकों में है और मध्यप्रदेश व गुजरात में उसके खिलाफ दर्ज मामलों की जानकारी मंगवाई जा रही है।
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गुरुओं से सीख, खुद बना सरगना
अपने अपराधी जीवन की शुरुआत में गोवर्धनराम ने मारवाड़ के दो प्रमुख तस्करों विरधाराम सियोल और खरताराम गोदारा से घनिष्ठता बढ़ाई। जल्दी ही वह दोनों का खास बन गया। फिर मध्यप्रदेश और राजस्थान सीमा से डोडा-चूरा भरकर उसे राजस्थान और गुजरात में आपूर्ति करने का सिलसिला शुरू हुआ, जो वर्षों तक चला। वर्ष 2018 में पाली में पुलिस कार्रवाई के दौरान खरताराम गोदारा मारा गया, और 2024 में विरधाराम सियोल की सड़क हादसे में मौत हो गई। इसके बाद गोवर्धनराम ने नशे के कारोबार में स्वयंभू सरगना की भूमिका निभानी शुरू कर दी।
ऐसे चढ़ा पुलिस के हत्थे
सूत्रों से मिली सूचना पर साइक्लोनर टीम ने गोवर्धनराम को पकड़ने के लिए विशेष योजना बनाई। जानकारी मिली कि जैसलमेर के फलसूंड क्षेत्र में एक पारिवारिक समारोह में वह केटरिंग के साथ हेल्पर के रूप में शामिल होने वाला है। पहले प्रयास में वह टीम की पहुंच से बच निकला, लेकिन टीम ने धैर्य नहीं खोया।
दूसरी बार जब विवाह समारोह में वह फिर से आने वाला था, तो टीम ने केटरर के साथ मौजूद अपने सहयोगियों को वहीं रहने को कहा। गोवर्धन ने अपनी स्कॉर्पियो गाड़ी भाई को देकर खुद सतर्कता के साथ साले की कैम्पर गाड़ी में पीछे से समारोह में प्रवेश किया और उसी में सोने की व्यवस्था कर रखी थी।