खींवसर विधायक रेवंतराम डांगा के पत्र लीक प्रकरण में भाजपा की प्रदेश उपाध्यक्ष डॉ. ज्योति मिर्धा के आरोपों के बाद अब राजस्थान सरकार के चिकित्सा मंत्री गजेंद्र सिंह खींवसर ने पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि इस मामले में उनका कोई लेना-देना नहीं है। यदि मिर्धा आरोप लगा रही हैं तो सबूत पेश करें। बिना प्रमाण के किसी पर आरोप लगाना ओछी मानसिकता को दर्शाता है।
उन्होंने कहा कि डांगा के पत्र के लीक होने से मेरा कोई संबंध नहीं है। यदि कोई मुझ पर आरोप लगा रहा है, तो उसे प्रमाण देना चाहिए कि पत्र मैंने वायरल किया। यह गलत है कि मुझे इस प्रकरण में घसीटा जा रहा है। मेरे पास इस तरह की हरकतों के लिए समय नहीं है। मैं एक मंत्री के रूप में बड़े-बड़े काम कर रहा हूं, न कि इस तरह की राजनीति में उलझने के लिए बैठा हूं।
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डॉ. ज्योति मिर्धा के आरोपों पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि आरोप लगाना आसान होता है, लेकिन उसे प्रमाणित करना बड़ी बात होती है। यदि वे आरोप लगा रही हैं, तो उन्हें सबूत देना चाहिए। बिना किसी ठोस प्रमाण के इस तरह की बयानबाजी करना एक ओछी हरकत है।
गौरतलब है कि डॉ. ज्योति मिर्धा ने बिना नाम लिए आरोप लगाया था कि भाजपा के ही किसी नेता ने विधायक डांगा का गोपनीय पत्र सार्वजनिक किया है। उन्होंने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पार्टी के ही किसी व्यक्ति ने यह पत्र लीक किया। राजस्थान भाजपा प्रभारी, प्रदेश अध्यक्ष और अन्य वरिष्ठ नेताओं ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और जल्द ही इस पर कार्रवाई होगी।
खींवसर और मिर्धा के बीच विवाद क्यों?
डॉ. ज्योति मिर्धा के कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने के बाद से ही दोनों नेताओं के बीच मतभेद दिखाई दिए हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान खींवसर में भाजपा कार्यकर्ताओं की बैठक में भी मिर्धा ने खींवसर पर आरोप लगाया था कि कुछ नेता अधिकारियों को निर्देश नहीं दे पा रहे हैं। वहीं लोकसभा चुनाव के दौरान गजेंद्र सिंह खींवसर का एक वीडियो सामने आया था, जिसमें उन्होंने नागौर लोकसभा सीट के हारने की बात कही थी। अब तबादला नीति को लेकर भी दोनों नेताओं के बीच मतभेद सामने आ रहे हैं।
बहरहाल राजस्थान भाजपा नेतृत्व इस पूरे विवाद पर नजर बनाए हुए है। पार्टी सूत्रों के अनुसार जल्द ही इस मामले में उच्च स्तरीय बैठक हो सकती है और जिम्मेदार व्यक्ति पर कार्रवाई संभव है।