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Umaria News: The fire set by villagers in Banoda-Barbaspur forest poses a danger
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Umaria News: वन विभाग की चेतावनी के बाद भी ग्रामीण जंगल में क्यों लगा रहे आग? जानें वजह
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, उमरिया Published by: उमरिया ब्यूरो Updated Sat, 29 Mar 2025 08:33 AM IST
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जिले के बनौदा-बारबसपुर जंगलों में महुआ बीनने और जंगली जानवरों को भगाने के लिए लगाई जा रही आग अब विकराल रूप धारण कर रही है। हाल ही में बनौदा-बारबसपुर के बीच राजस्व क्षेत्र में महुआ वृक्ष के नीचे लगाई गई आग तेज हवाओं के चलते जंगल तक फैल गई। इस आग ने देखते ही देखते कई एकड़ वन क्षेत्र को अपनी चपेट में ले लिया। वन विभाग के अधिकारी और कर्मचारी लगातार आग बुझाने में जुटे हुए हैं, लेकिन ग्रामीणों की लापरवाही के कारण स्थिति बार-बार गंभीर हो रही है। वन विभाग ने स्थानीय लोगों से अपील की है कि वे जंगलों में आग न लगाएं और पारंपरिक प्रथाओं को छोड़कर पर्यावरण की रक्षा में सहयोग करें। यदि कोई व्यक्ति जंगल में आग लगाते हुए पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
वन विभाग के अनुसार, स्थानीय ग्रामीणों को प्रतिदिन जागरूक किया जा रहा है कि वे जंगल में आग न लगाएं, क्योंकि इससे पर्यावरण को भारी नुकसान पहुंचता है। इसके बावजूद परंपरागत सोच के कारण लोग महुआ बीनने के लिए पेड़ों के नीचे सूखी पत्तियों में आग लगा रहे हैं। उनका मानना है कि इससे महुआ साफ हो जाता है और बीनने में आसानी होती है। इसके अलावा, जंगली जानवरों के डर से भी कुछ लोग आग जलाते हैं, जिससे जंगलों में आग तेजी से फैल जाती है।
वन विभाग की कड़ी मशक्कत
वन परिक्षेत्र पाली के अधिकारी और कर्मचारी दिन-रात आग बुझाने में जुटे हुए हैं। सुरक्षा श्रमिक भी अपनी ड्यूटी निभाते हुए आग पर काबू पाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं। कई जगहों पर आग बुझाने के लिए पानी के टैंकरों और परंपरागत तरीकों का उपयोग किया जा रहा है, लेकिन बार-बार आग लगने की घटनाएं वन विभाग के लिए चुनौती बन गई है। वन अधिकारियों का कहना है कि जंगल की आग से न केवल वनस्पति को नुकसान पहुंचता है, बल्कि जंगल में रहने वाले जीव-जंतु भी प्रभावित होते हैं। आग के कारण छोटे जीवों का जीवन खतरे में पड़ जाता है। वहीं, बड़े जानवरों को अपना बसेरा छोड़कर अन्यत्र भागना पड़ता है। इससे जंगल के पारिस्थितिक संतुलन पर गहरा असर पड़ता है।
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