सिरोही में पिंडवाड़ा उपखंड के वाटेरा ग्राम पंचायत के थम्ब गांव में प्रस्तावित चूना पत्थर खनन परियोजना को लेकर ग्रामीणों का गुस्सा लगातार बढ़ रहा है। बुधवार रात को थम्ब बाबा मंदिर प्रांगण में चारों ग्राम पंचायतों के भारी संख्या में ग्रामीण एकजुट हुए और राज्य सरकार व प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए इस परियोजना को किसी भी हाल में स्वीकार न करने का संकल्प लिया। ग्रामीणों ने चेतावनी दी कि यदि सरकार समय रहते इस परियोजना को निरस्त नहीं करती है, तो आगामी दिनों में आंदोलन उग्र होगा और इसकी पूरी जिम्मेदारी सरकार एवं प्रशासन की होगी।
बुधवार रात करीब चार घंटे चली बैठक में ग्रामीणों ने आंदोलन की आगे की रणनीति पर चर्चा की। बैठक में तय हुआ कि गुरुवार को क्षेत्र के सभी गांवों के लोग सामूहिक रूप से जुटकर आंदोलन को और व्यापक बनाएंगे। ग्रामीणों ने कहा कि 800.9935 हेक्टेयर क्षेत्र में प्रस्तावित खनन परियोजना से अरावली पर्वतमाला का स्वरूप बिगड़ जाएगा। इसके अलावा, पर्यावरणीय असंतुलन, जलस्रोतों पर खतरा, खेती योग्य जमीन का बंजर होना, वायु प्रदूषण में वृद्धि और सिलिकोसिस जैसी गंभीर बीमारियों के फैलने की संभावना है। खनन से प्राकृतिक संसाधनों का दोहन होगा और अरावली की पहचान मिट जाएगी। ग्रामीण संगठनों और विभिन्न समाजों के प्रतिनिधियों ने कहा कि खनन परियोजना रद्द होने तक विरोध जारी रहेगा। क्षेत्र में आंदोलन की सुगबुगाहट तेज हो गई है और आने वाले दिनों में इसे बड़े जनआंदोलन का रूप दिया जाएगा।
ये भी पढ़ें- लव जिहाद: बहन बनाकर शादी के लिए डाला दबाव, इस्लाम अपनाने के लिए किया प्रताड़ित, परिजनों ने लगाया हत्या का आरोप
जानकारी के अनुसार जयपुर की मेसर्स कमलेश मेटा कास्ट प्राइवेट लिमिटेड को इस परियोजना की स्वीकृति दी गई है। कंपनी ने वाटेरा, भीमाना, भारजा, रोहिड़ा, तरुंगी और डोरीफली क्षेत्र में लगभग 800.9935 हेक्टेयर में चूना पत्थर (लाइमस्टोन) के खनन की योजना बनाई है। ग्रामीणों ने स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि प्रशासन ने कंपनी को कार्य शुरू करने की अनुमति दी तो पूरा क्षेत्र उग्र आंदोलन की राह पर होगा। यह आंदोलन ग्रामीणों के एकजुट होने और पर्यावरण संरक्षण की भावना के साथ शुरू हुआ है, और आगामी दिनों में इसकी गूंज और व्यापक होने की संभावना है।