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Banswara glimpse women empowerment in Holi folk traditions people participated in Adia Ramat tradition Video
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Banswara: होली की लोक परंपराओं में महिला सशक्तिकरण के दिग्दर्शन, अड़िया रमत परंपरा में शामिल हुए लोग, Video
न्यूूज डेस्क, अमर उजाला, बांसवाड़ा Published by: अरविंद कुमार Updated Wed, 19 Mar 2025 09:41 PM IST
राजस्थान के दक्षिण में अवस्थित बांसवाड़ा जिले में होली की कई परंपराएं हैं। जो त्योहार के उत्साह के साथ सामाजिक एकजुटता का संदेश देती हैं। जिले के वजवाना गांव में रंग पंचमी पर अड़िया रमत परंपरा का निर्वहन किया जाता है, जो महिला सशक्तिकरण का अनुपम उदाहरण है।
वजवाना में महिला शक्ति प्रदर्शन एवं धार्मिक आस्था को लेकर सैकड़ों वर्षों से चली आ रही परंपरा का निर्वाहन रंग पंचमी पर बुधवार को लक्ष्मीनारायण मंदिर परिसर में किया गया। पुजारी धनेश्वर शर्मा के द्वारा भगवान लक्ष्मी नारायण का मनोहारी शृंगार किया गया। सभी पांच महानुभावों ने एक दूसरे को गुलाल लगाकर रंग पंचमी का शुभारंभ किया, जिसके बाद दो दिन पहले मंदिर परिसर में रखे काष्ठ निर्मित अड़िया को लेकर पुरुषों ने मंदिर पर चढ़ने का प्रयास किया।
पुरुष शोर मचाते हुए दौड़ कर परिक्रमा करते समय मंदिर पर चढ़ने का प्रयास करते दिखे। वहीं, महिलाएं भी उनको हाथों में लकड़ी लेकर रोकने का पुरजोर प्रयास करती रहीं। अंततः पुरुष आदिया लेकर चौक की तरफ भागे और पुनः मंदिर की ओर लौटे। इस प्रकार से 5 से 7 बार अड़िया लेकर परिक्रमा की गई।
विदेश से आए गांव के युवा
अड़िया रमत के प्रति ग्रामीणों में अपार उत्साह रहता है। हर दो वर्ष के अंतराल में होने वाले इस आयोजन में सम्मिलित होने के लिए विदेश (खाड़ी देशों) में कार्यरत गांव के युवा होली के पहले ही अपने घर लौट आते हैं। इस बार भी बड़ी संख्या में युवा आयोजन में भाग लेने के लिए आए।
सर्व समाज की सहभागिता
पुजारी मांगीलाल सेवक ने बताया कि कई वर्षों से अड़िया रमत का आयोजन एक वर्ष छोड़कर दूसरे वर्ष किया जाता है। करीब 2 से 3 घंटे तक यह आयोजन चलता है, जिसमें 200 से 300 पुरुष भाग लेते हैं। जिसमें पाटीदार, पुजारी, पांचाल, सुथार, नाई, पटेल, सेवक, प्रजापत आदि समाजों के प्रतिनिधि होते हैं। ढोल नगाड़ों की गूंज के बीच महिलाओं के शक्ति प्रदर्शन को देखने के लिए आसपास के गांव के लोग भी पहुंचते हैं।
यह हुए सम्मिलित
बुधवार शाम तक चले इस आयोजन में बजरंगी भाई, ललन भाई, रामलाल पटेल, नाथू भाई, दौलजी भाई, कुरिया भाई, लालजी भाई, शंकर भाई सेवक, दलजी प्रजापत, कुबेर भाई, मणिलाल सहित विभिन्न समाजों के लोग मौजूद रहे। इसके बाद सामूहिक रूप से गेर नृत्य का भी आयोजन किया गया।
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