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जाबांज पीएसी कमांडर से सुनिए राम मंदिर पर 2005 को हुए आतंकी हमले की पूरी दास्तां
आज हम आपको मिलाते हैं पीएसी के उन जांबाज कंपनी कमांडर से, जिन्होंने पांच जुलाई 2005 को अयोध्या स्थित राम मंदिर पर हमले के दौरान आतंकवादियों को लोहे के चने चबवा दिए थे। पीएसी के कमांडर ने तीन मंजिला मकान से अपनी टीम के साथ पांचों आतंकवादियों पर जबरदस्त फायरिंग की थी, जिसमें पांच आतंकवादी मारे गए थे और इन्हें कंपनी कमांडर से डीएसपी बना दिया गया था। यह वही शख्स हैं जिन्होंने पांच जुलाई 2005 के हमले में थाना राम जन्मभूमि में मुकदमा दर्ज कराया था। जी हां पांच जुलाई 2005 अयोध्या की पावन भूमि के इतिहास की वो सुबह जब राम जन्मभूमि पर गलत इरादे लेकर पहुंचे आतंकवादियों ने विनाश का तांडव रचने का दुस्साहस किया लेकिन प्रभु राम से मिली शक्ति से सुरक्षा में तैनात जवानों ने आतंकियों के नापाक इरादों को चूर-चूर कर दिया था। इस घटना को 20 साल हो गए हैं। आतंकियों से दो घंटे तक हुई भीषण मुठभेड़ में मोर्चा संभालने वाले पीएसी के जांबाज कृष्ण चंद्र सिंह ने उस सुबह की रूह को कंपकंपा देने वाली दास्तां सुनाई। कंपनी कमांडर कृष्ण चंद्र सिंह ने अपनी टीम के साथ दो घंटे आतंकवादियों से लोहा लिया था। वह बताते हैं कि पांच जुलाई 2005 की सुबह 9:10 बजे आतंकवादियों ने उनवल बैरियर से आते हुए किराये पर ली गई जीप को राम जन्मभूमि परिसर के बैरियर से सटा कर उड़ा दिया था और वह सीता रसोई की तरफ बढ़े थे। अगर आतंकी सीता रसोई के अंदर प्रवेश कर जाते तो इनको मारना मुश्किल होता और रामलला के अस्थायी मंदिर का टेंट उड़ गया होता लेकिन उस समय रामलला ने अपनी भी रक्षा की और हमारी भी रक्षा की। साथ ही देश की भी रक्षा की। जो हैंड ग्रेनेड आतंकवादियों ने रामलला के टेंट पर फेंका था, प्रभु रामलला की कृपा ही थी कि वह ब्लास्ट ही नहीं हुआ। कंपनी कमांडर कृष्ण चंद्र सिंह अयोध्या के सरियावां गांव के रहने वाले हैं और इस समय वह रिटायर हो चुके हैं। कृष्ण चंद्र सिंह बताते हैं कि उस समय रामलला टेंट में विराजमान थे। उनकी सुरक्षा की जिम्मेदारी सीआरपीएफ के पास थी। बाहर पीएससी के जवान मोर्चा संभाल रहे थे। पांच जुलाई 2005 को मंगलवार यानी हनुमान जी का दिन था। सुबह के करीब 9.10 बजे पांच आतंकवादी घातक हथियारों हैंड ग्रेनेड रॉकेट लांचर और एक-47 से लैस होकर श्रीराम जन्मभूमि परिसर में घुसे थे। उनका इरादा था अयोध्या को दहलाना लेकिन वह नहीं जानते थे कि यह राम की धरती है। जो भी रक्षक यहां होते हैं मर्यादा पुरुषोत्तम के आशीर्वाद से खड़े होते हैं। कृष्ण चंद्र सिंह बताते हैं कि सुबह 9:10 से 11:10 बजे तक दो घंटे आतंकवादियों से मुठभेड़ चली थी, जिसमें सभी को मार गिराया गया था। कृष्ण चंद्र सिंह बताते हैं कि उनकी टीम ने करीब 400 राउंड फायरिंग की थी। कृष्ण चंद्र सिंह को उनकी इस बहादुरी का इनाम भी मिला था। उनको कंपनी कमांडर से डिप्टी एसपी बना दिया गया, बाद में वे इसी पद से रिटायर भी हो गए।
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