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VIDEO: अयोध्या का एक गांव ऐसा जहां पक्की सड़क न होने के चलते कुंवारे रह जा रहे युवा, और भी कई मुश्किलें
अयोध्या में भव्य राम मंदिर बनकर तैयार हो चुका है और अयोध्या शहर व आसपास के क्षेत्रों में लगभग 35,000 करोड़ रुपये की विकास योजनाएं तेजी से आगे बढ़ रही हैं। वहीं, राम मंदिर से सिर्फ 70 किलोमीटर दूर स्थित रुदौली विधानसभा क्षेत्र का कोरईया गांव आज भी विकास की मुख्य धारा से कटा हुआ है। यह गांव वर्तमान में कामाख्या धाम नगर पंचायत का पंडित दीनदयाल नगर वार्ड में है। यह विरोधाभास इस बात को उजागर करता है कि बड़े प्रोजेक्टों के बीच कई छोटे गांव अब भी बुनियादी सुविधाओं के इंतज़ार में हैं।
करीब 25 से 30 घरोंवाला और लगभग 250 से 300 की आबादी वाला यह गांव आजादी के 75 वर्षों में भी सड़क जैसी मूलभूत सुविधा नहीं पा सका है। गांव का रास्ता बारिश में किसी नदी की तरह बहने लगता है। कीचड़, गड्ढे और बहते पानी की वजह से एंबुलेंस हो या पुलिस की 112 पीआरवी या अन्य कोई भी चार पहिया वाहन इस गांव तक पहुंच ही नहीं पाता है। नतीजा यह कि कई बार गर्भवती महिलाओं को चारपाई पर उठाकर अस्पताल ले जाना पड़ता है। कई महिलाओं ने तो रास्ते में ही बच्चों को जन्म दे दिया। बीमार व्यक्ति को भी कंधों पर उठाकर नजदीकी सीएचसी तक ले जाना पड़ता है, जिससे कई बार मरीज की स्थिति और गंभीर हो जाती है। सबसे बड़ी सामाजिक समस्या गांव के युवाओं के सामने है। रास्ता न होने के कारण उनकी शादी तक नहीं हो पा रही। रिश्ते आते तो हैं, लेकिन लोग यह कहकर मना कर देते हैं कि जहां रास्ता ही न हो, वहां बेटी कैसे भेजें। इससे युवाओं की उम्र बढ़ती जा रही है और परिवारों पर मानसिक दबाव भी बढ़ रहा है।
गांव वालों का आरोप है कि चाहे विधायक हों या सांसद किसी ने भी उनकी समस्या को गंभीरता से नहीं लिया। मौजूदा समय में भाजपा के रामचंद्र यादव रुदौली विधानसभा क्षेत्र से लगातार तीसरी बार विधायक हैं, लेकिन यह गांव अब भी सड़क की प्रतीक्षा में है। 25 साल पहले जंगल से गुजरते रास्ते पर थोड़ी मिट्टी डाली गई थी, जो पहली ही बारिश में बह गई। तब से अब तक न कोई गिट्टी डली, न पक्की सड़क बनी।
अयोध्या में करोड़ों की परियोजनाएं भले चमक बिखेर रही हों, लेकिन यह गांव अब भी विकास की किरण का इंतजार कर रहा है। इस गांव में एक प्राचीन मठ भी है। मान्यता है कि गांव की एक बुजुर्ग ने जिंदा समाधि ली थी, जिसके बाद यहां पूजा अर्चना होती है ये मठ भी जीर्णोद्धार की बाट जोह रहा है।
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