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Meerut: क्षमा प्रदान करना वीरता नहीं, क्षमा गुण धारण करना है वीरता : आराधिका
मेरठ। दौराला कस्बे के आर्य समाज परिसर में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के सातवें दिन कथा वाचिका आराधिका ने राजा परीक्षित व महामुनि शुक्रदेव के बीच हुए संवाद का वर्णन किया। उन्होंने कहा कि क्षमा प्रदान करना वीरता नहीं, बल्कि क्षमा गुण धारण करना वीरता है। क्षमा ही सर्वधर्म का सार है, क्षमा ही आत्मिक गुणों का भंडार है। कथा का शुभारंभ श्रीमद्भागवत कथा का पूजन करके किया गया। कथा वाचिका ने भजनों की प्रस्तुति दी, जिस पर श्रद्धालु जमकर झूमे। उन्होंने कहा कि हमें किसी को जीवन देने का अधिकार नहीं है, तो जीवन लेने का अधिकार भी हमें नहीं है। कहा कि कथा श्रवण करने से श्रोता का मन प्रसन्न हो जाता है और भगवान की प्राप्ति होती है। दान का प्रभाव असीम है। इसलिए क्षमा करते रहना और दान करते रहना चाहिए। कलयुग में दान ही धर्म है, जिस दिन लोग दान देना बंद कर देंगे तो धर्म के चारों चरण सत, तप, दया, दान समाप्त हो जाएंगे। इस दौरान पुरुषोत्तम उपाध्याय, देवेंद्र, रजनीश, राजपाल, मीना, जयभगवान, मिथलेश, योगेश, बीना, अर्चना, जतिन, वैभव, संदीप, घनश्याम, श्याम विहारी आदि मौजूद रहे।
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