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फैक्टरियों की मनमानी: फैक्टरियां छोड़ रहीं गंदा पानी...किसानों में बढ़ रही खुजली-चर्म रोग जैसी परेशानी

संवाद न्यूज एजेंसी, गोरखपुर Updated Mon, 01 Dec 2025 02:28 PM IST
सार

आमी के प्रदूषित होने की शिकायत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में भी हुई है। एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और गोरखपुर के डीएम से मामले की जांच कराकर रिपोर्ट देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 12 जनवरी तय की गई है। पर्यावरण कार्यकर्ता अनिल पांडेय की शिकायत पर एनजीटी ने यह सख्ती दिखाई है। 

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Factories are releasing dirty water. Ami River has turned black in Gorakhpur
कौड़ीराम क्षेत्र में आमी नदी का पानी पड़ा काला। संवाद 
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विस्तार
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क्षेत्र के लोगों के लिए वरदान मानी जाने वाली आमी नदी का पानी बरसात बाद फिर प्रदूषित हो गया है। गोरखपुर औद्योगिक विकास प्राधिकरण (गीडा) क्षेत्र की फैक्टरियों से निकलने वाला गंदा और रसायनयुक्त पानी नदी में गिर रहा है। इसके चलते पानी जहरीला हाे गया है।

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उधर, नदी से उठने वाली दुर्गंध से आसपास के गांवों के लोग परेशान हैं। पानी के बीच से होकर खेतों में जा रहे किसानों में खुजली और चर्म रोग जैसी समस्याएं बढ़ने लगी हैं।

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गीडा की कारखानों से निकलने वाले रसायनयुक्त पानी ने आमी के पानी को काला कर दिया है। कौड़ीराम के सोहगौरा के पास आमी, राप्ती नदी में मिलती है। अब यहां पानी काला हो गया है। इसके चलते कुछ दूरी तक राप्ती नदी भी प्रदूषित हो रही है। ग्रामीण अब नदी में पशुओं को नहीं जाने दे रहे हैं।

ग्रामीणों की मानें तो गंदे पानी के कारण इलाके में मच्छरों का प्रकोप भी तेजी बढ़ रहा है। इसका पानी पीने के कारण पशु भी बीमार हो रहे हैं। बहुत से किसान आमी में उतरकर होते हुए उसपार अपने खेतों में जाते हैं। इस वजह से वे खुजली और एक्जिमा जैसी चर्म रोग की बीमारियों की चपेट में आ रहे हैं।

इस संबंध में एसडीएम बांसगांव प्रदीप सिंह ने बताया कि मामला संज्ञान में आया है। इसकी जांच कराई जाएगी।

बोले ग्रामीण
हमारा खेत नदी के उस पार है। खेती के सिलसिले में नदी के पानी से होकर गुजरना पड़ता है। गंदे पानी के कारण पैरों में खुजली होने लगती है: आदर्श यादव, ग्रामीण, सोहगौरा

वैसे तो हम लोग पशुओं को आमी नदी का पानी पीने से रोकते हैं लेकिन अगर कभी गलती से पी लें तो बीमार पड़ जाते हैं। कई बार ऐसा हो हो चुका है कि आमी का पानी पीने से पशुओं के गर्भ पर खतरा मंडरा चुका है: हरिशंकर विश्वकर्मा, ग्रामीण, टिकर

नदी के पानी से उठ रही दुर्गंध से परेशान रहते हैं। वहीं, मच्छरों का प्रकोप बहुत ज्यादा बढ़ जाता है लेकिन कोई भी जिम्मेदार इसकी सुधि लेने वाला नहीं है: दिग्विजय यादव, ग्रामीण, सौहगौरा
 

प्रदूषित जल से कम हो जाती है ऑक्सीजन की मात्रा
दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के सेवानिवृत्त आचार्य डॉ. दिनेश कुमार सिंह ने बताया कि नदियों में गंदा जल (औद्योगिक अपशिष्ट, सीवेज आदि) प्रवाहित होने से जल प्रदूषित हो जाता है। इससे जल में घुलित ऑक्सीजन की मात्रा तेजी से कम हो जाती है और जैव रासायनिक ऑक्सीजन की मात्रा बढ़ जाती है।

इसका नतीजा यह होता है कि जलीय जीव-जंतुओं को ऑक्सीजन की कमी के कारण सांस लेने में कठिनाई होती है और वे धीरे-धीरे खत्म होने लगते हैं। नदियां हमारी साझी धरोहर और जीवनरेखा हैं। इन्हें स्वच्छ, निर्मल और जीवंत बनाए रखना सबका नैतिक दायित्व है।

प्रदूषित पानी के सीधे संपर्क में आने से बचें
प्रदूषित पानी से होने वाले चर्म रोग से बचने के लिए प्रदूषित पानी के सीधे संपर्क में आने से बचें। नारियल के तेल का उपयोग करें और पीएचसी में आकर इलाज कराएं: डाॅ. संतोष वर्मा, प्रभारी चिकित्साधिकारी, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र कौड़ीराम

बस्ती मंडल में एक कमेटी पहले गठित की गई थी। वहां आमी नदी के पानी की गुणवत्ता अच्छी मिली थी। गोरखपुर जिले में भी जिला प्रशासन की ओर से कमेटी गठित की गई है। कमेटी मामले की जांच करेगी। कई जगहों से सैंपल लेकर लैब टेस्ट के लिए भेजा जाएगा: आरबी सिंह, कार्यवाहक क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी, गोरखपुर

12 जनवरी को एनजीटी में सुनवाई, मांगी है रिपोर्ट
आमी के प्रदूषित होने की शिकायत नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में भी हुई है। एनजीटी ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (सीपीसीबी), उप्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (यूपीपीसीबी) और गोरखपुर के डीएम से मामले की जांच कराकर रिपोर्ट देने को कहा है। इस मामले में अगली सुनवाई की तिथि 12 जनवरी तय की गई है। पर्यावरण कार्यकर्ता अनिल पांडेय की शिकायत पर एनजीटी ने यह सख्ती दिखाई है। 
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