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UP News: मार्कशीट फर्जीवाड़े में फिर आया हिमालयन गढ़वाल विवि का नाम, गिरफ्तार मास्टरमाइंड ने उगले कई राज

शुभम अवस्थी, संवाद न्यूज एजेंसी, लखनऊ Published by: भूपेन्द्र सिंह Updated Mon, 29 Dec 2025 11:05 AM IST
सार

मार्कशीट फर्जीवाड़े में एक बार फिर हिमालयन गढ़वाल विवि का नाम सामने आया है। छानबीन में यहां की मार्कशीट फर्जी मिली थीं। विवि प्रशासन ने आरटीआई का भी जवाब नहीं दिया था। आगे पढ़ें पूरी खबर...

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Himalayan Garhwal University name has again surfaced in marksheet fraud case
demo - फोटो : freepik.com
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राजधानी लखनऊ में फर्जी मार्कशीट मामले में एक बार फिर महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विवि उत्तराखंड का नाम सामने आया है। एक अभ्यर्थी ने इस विश्वविद्यालय की मार्कशीट सरकारी स्कूल में नौकरी के लिए लगाई थी। छानबीन में पता चला कि मार्कशीट फर्जी है।

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गोमतीनगर थाने की पुलिस व पूर्वी जोन की क्राइम टीम ने शनिवार को फर्जी मार्कशीट बनाने वाले गिरोह के मास्टरमाइंड अयोध्या के पूरा कलंदर निवासी सत्येंद्र द्विवेदी, उन्नाव के बीघापुर के अखिलेश कुमार और लखीमपुर खीरी के ईशानगर निवासी सौरभ शर्मा को गिरफ्तार किया। इनके पास से 923 फर्जी मार्कशीट और इसे बनाने का सामान भी बरामद हुआ। आरोपियों की गिरफ्तारी के बाद जिन 25 विश्वविद्यालयों का नाम सामने आया, उसमें महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विवि उत्तराखंड भी शामिल है।
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मार्कशीट फर्जीवाड़े में इस विवि का नाम दूसरी बार सुर्खियों में आया है। इससे पहले 2024 में इसका नाम तब आया था जब एक युवक ने मेरठ के लावड़ा स्थित राष्ट्रीय इंटर कॉलेज में प्रवक्ता पद के लिए मार्कशीट लगाई थी। संदेह होने पर कॉलेज के प्रधानाचार्य ने मार्कशीट का सत्यापन कराने के लिए कहा था। हालांकि, तब कुछ नहीं हुआ।

विवि ने आरटीआई का भी नहीं दिया था जवाब

प्रधानाचार्य ने आरटीआई के जरिये महाराजा अग्रसेन हिमालयन गढ़वाल विवि से जवाब मांगा था। लेकिन, प्रशासन ने कोई उत्तर नहीं दिया था। ऐसे में तत्कालीन राज्य सूचना आयुक्त ने मौके पर ही मार्कशीट का सत्यापन किया तो वह फर्जी पाई गई थी। विवि में जब संबंधित छात्र के रिकॉर्ड देखे गए तो वहां कुछ नहीं मिला। साथ ही विवि ने ऐसे किसी छात्र को मार्कशीट जारी करने की बात से इन्कार कर दिया था। इस पर आयोग ने विवि प्रशासन से स्पष्टीकरण मांगा था।

1500 छात्रों में से एक हो सकता है आवेदनकर्ता

मार्कशीट और डिग्री बनाने के मामले में पकड़े गए आरोपियों ने 2021 से अब तक 1500 छात्रों को फर्जी मार्कशीट बेची थी। ऐसे में पूरी आशंका है कि जिस छात्र ने मेरठ में प्रवक्ता पद के लिए आवेदन किया था, वह 1500 छात्रों में से ही एक हो। क्योंकि इसकी पूरी संभावना बनी हुई है कि 1500 छात्रों ने प्राइवेट के साथ ही सरकारी विभागों में आवेदन किए हों या फिर उनकी नौकरी भी लग चुकी हो। पुलिस के मुताबिक, मामले की जांच चल रही है। गिरोह के तीन लोगों की तलाश की जा रही है। इनके पकड़े जाने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

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