शहीद पंकज के जाने का गम तो पूरी जिंदगी सभी को सताता रहेगा, लेकिन फक्र से सीना भी चौड़ा हो रहा है कि एक बेटा देश की सेवा करते हुए शहीद हो गया। अब देश को जरूरत पड़ी तो दूसरे बेटे को भी सेना में भेजेंगे। सरकार को जब भी पाकिस्तान को मुंहतोड़ जबाब देने की जरूरत पड़ेगी तो दूसरा बेटा भी सीना तान कर आगे होगा। यह कहते हुए शहीद के पिता ओमप्रकाश त्रिपाठी फफक कर रो पड़े। घटना के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी यादें अभी ताजी बनी हुई हैं। भीड़ को देेख परिजन वर्ष भर पूर्व के मंजर याद करते हुए गमगीन हो गए।
पिता ने शहीद बेटे की मूर्ति पर फेरा हाथ तो फफक पड़े लोग, कहा- बच्चे के जाने का गम तो आजीवन रहेगा
शुक्रवार को शहीद पंकज त्रिपाठी के स्मारक पर लगी मूर्ति पर पुष्प अर्पित करने का सिलसिला शुरू हुआ। सभी ने श्रद्धांजलि दी। वहीं पिता बेटे की मूर्ति को हाथों से सहलाते हुए आंखों में आंसू लेकर यादों में खो गए। लड़खड़ाते बूढ़े कदमे के बीच मां सुशीला देवी, बहू रोहिनी के साथ स्मारक पर पहुंचीं तो सभी लोग भावुक हो गए। मां जहां बेटे की मूर्ति को एकटक निहारते हुए दहाड़ मारकर रोने लगीं, वहीं पत्नी रोहिनी की आंखों से निकलते आंसू थमने का नाम नहीं ले रहे थे।
पुलवामा में शहीद पंकज त्रिपाठी की शहादत के एक वर्ष पूरे होने पर जुटे अधिकारियों ने संवेदना व्यक्त करते हुए सीआरपीएफ के एसआई फरहाद खान ने शहीद की पत्नी रोहिनी को एक लाख 27 हजार पांच सौ रुपये का चेक प्रदान किया। चेक लेते समय पत्नी रोहिनी की आंखें भर आईं, जिस पर एसआई ने ढांढस बंधाते हुए कहा कि विभाग सहित पूरा देश उनके परिवार के साथ खड़ा रहेगा।
घोषणाएं नहीं हुईं पूरी
हरपुर के बेलहिया में शहीद पंकज त्रिपाठी की शहादत पर की गई घोषणाएं बेकार साबित हो रही हैं। समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक विनोद तिवारी ने कहा कि शहादत के एक वर्ष बीत जाने के बाद भी क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि के साथ भी कोई भी सत्ता पक्ष का न पहुंचना दुखद है। कांग्रेस नेता त्रिभुवन नरायन मिश्रा ने कहा कि शहीद की याद मे की गई घोषणाएं भी नहीं पूरी हो सकी। गांव में बन रहा क्रीड़ास्थल, सड़क के चौड़ीकरण आदि कार्य अभी तक शुरू नहीं हो सके हैं।
