आज पुलवामा आतंकी हमले के एक साल पूरे हो गए हैं। आज का दिन पुलवामा हमले की वजह से किसी काले दिन से कम नहीं है। आज ही के दिन आतंकी हमले में जम्मू-कश्मीर के पुलवामा में हुए आत्मघाती आतंकी हमले में हमारे 40 वीर जवान शहीद हुए थे। इस घटना में उत्तर प्रदेश के महराजगंज जिले के पंकज त्रिपाठी भी शहीद हुए थे।
पुलवामा हमले में शहीद हुए थे पंकज त्रिपाठी, मां बोली- 'उनकर याद दिल से कभी ना जाई'
अब त याद के सहारे कटत बा जिंदगी
शहीद की मां सुशीला देवी ने कहा, ‘बेटा देश के खातिर शहीद हो गईले, ये बात के हमेशा गर्व रही, लेकिन उनकर याद दिल से कभी ना जाई। अम्मा हईं जेकरा के नौ महीना कोख में पलली, पाल-पोस के बड़ कईली ओकरा के कईसे भुला जाई। उनकर याद त जिंदगी के साथ जाई।’
बेटे की शहादत पर गर्व
पिता ओमप्रकाश त्रिपाठी ने कहा कि बेटे की शहादत पर गर्व है। घर के अंदर उनकी तस्वीर लगी है। उनको मिला स्मृति चिन्ह, मोमेंटो को सजोकर रखा गया है। बेटे को खोने का गम भी है और वह हमेशा रहेगा।
रुपया-पैसा बस बेकार
शहीद के छोटे भाई शुभम त्रिपाठी ने कहा कि रुपया-पैसा सब बेकार है। भाई को खोने का गम कभी नहीं जाएगा। इसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता। भैया जब घर आते थे तो मेरा हौसला बढ़ाते थे। मैैं भी उनकी तरह देश सेवा करना चाहता हूं।
यादों के सहारे कट रही जिंदगी
शहीद की पत्नी रोहिणी त्रिपाठी ने कहा कि अब तो बस उनकी यादों के सहारे जिंदगी कट रही है। सरकार ने जो वादा किया उसे पूरा किया। नौकरी भी मिल गई है। पति की शहादत पर गर्व है। बेटे और बेटी को भी उन्हीं की तरह बहादुर बनाऊंगी।
शुक्रवार को उनकी शहादत की पहली बरसी है। इस मौके पर उनके गांव फरेंदा के हरपुर बेलहियां में शहीद मेला लगेगा और गांव में बने शहीद पार्क में लगे पंकज की प्रतिमा का अनावरण होगा। मेले की तैयारी पूरी कर ली गई है। शहीद के परिवार की ओर से क्षेत्रवासियों को कार्यक्रम में शामिल होने के लिए आमंत्रित किया गया है। मेले में जिले के पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों के साथ ही क्षेत्रीय जनप्रतिनिधि भी शिरकत करेंगे। 12 मार्च 1990 को जन्मे पंकज त्रिपाठी 2012 में सीआरपीएफ में भर्ती हुए थे। 14 फरवरी 2019 को पुलवामा में आतंकियों के हमले में वे शहीद हो गए। उनकी शहादत को एक साल हो गए, लेकिन क्षेत्र में आज भी उनकी चर्चा हर किसी की जुबान पर है। परिवार के साथ ही गांव और जनपद को उनकी शहादत पर गर्व है।
अखंड रामायण का आयोजन
शहीद पंकज त्रिपाठी के गांव हरपुर बेलहिया में उनकी पहली बरसी पर उनकी स्मृति में बने पार्क में अखंड रामायण का पाठ हो रहा है। शुक्रवार को इसका समापन होगा।
अधिकांश वादे हुए पूरे
शहीद पंकज त्रिपाठी की स्मृति में तमाम घोषणाएं की गई थीं, इनमें से अधिकांश पूरी हो गई हैं। कुछ का काम चल रहा है। स्मृति द्वार बन चुका है। गांव के प्राइमरी स्कूल का नाम शहीद के नाम पर रखा गया है। गांव में पार्क बना गया है जिसमें शहीद की प्रतिमा लगी है। शुक्रवार को उसका अनावरण होगा। शहीद की पत्नी रोहिणी को लक्ष्मीपुर ब्लॉक में नौकरी मिल गई है। विधायक चौराहे का नाम अभी शहीद पंकज के नाम पर किया जाना शेष है। गांव को जाने वाली सड़क की मरम्मद भी बाकी है।
