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Sawan 2022: गोरखपुर के इस मंदिर की है अनोखी कहानी, कुल्हाड़ी के वार से पत्थर से बहने लगा था खून

अमर उजाला ब्यूरो, गोरखपुर। Published by: vivek shukla Updated Sat, 16 Jul 2022 06:50 AM IST
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Sawan 2022 special story of Mahadev Jharkhandi shiv temple story in Gorakhpur
सावन में शिवभक्त बाबा का जलाभिषेक करते हैं। - फोटो : अमर उजाला।

गोरखपुर शहर में स्थित महादेव झारखंडी शिव भक्तों की आस्था का प्रमुख केंद्र है। सावन के महीने में पूर्वांचल के अलग-अलग जिलों से लगभग दो लाख शिव भक्त बाबा का जलाभिषेक करने पहुंचते हैं। बाबा के पूजन-अर्चन के बाद श्रद्धालु मेले का भी लुत्फ उठाते हैं। इस मंदिर की कहानी बहुत हैरान करने वाली है।



झारखंडी महादेव मंदिर के मुख्य पुजारी शंभु गिरी गोस्वामी ने बताया कि पहले यहां पर चारों तरफ जंगल था। लकड़हारे यहां से लकड़ी काटकर ले जाते थे और अपना जीवकोपार्जन करते थे। पुराने लोग बताते हैं कि 1928 में एक दिन एक लकड़हारा यहां पर पेड़ काट रहा था, तभी उसकी कुल्हाड़ी एक पत्थर से टकराई जिससे खून की धारा बहने लगी। इसके बाद वह लकड़हारा जितनी बार उस शिवलिंग को ऊपर लाने की कोशिश करता वो उतना ही नीचे धंसता जाता।

 

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Sawan 2022 special story of Mahadev Jharkhandi shiv temple story in Gorakhpur
Sawan 2022 - फोटो : अमर उजाला।

लकड़हारे ने भाग कर यह घटना अन्य लोगों को बताई। इसी बीच वहां के जमींदार गब्बू दास को रात में भगवान भोले का सपना आया कि झारखंडी में भोले प्रकट हुए हैं। इसके बाद जमींदार और स्थानीय लोगों ने वहां पहुंचकर शिवलिंग को जमीन से ऊपर करने की कोशिश करने लगे, लेकिन वह इसमें सफल नहीं हुए तब शिवलिंग पर दूध का अभिषेक किया जाने लगा और वहां पर पूजा पाठ शुरू हुआ। जो निरंतर जारी है।

 

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सावन 2022 - फोटो : AmarUjala

बताया कि इस शिवलिंग पर आज भी कुल्हाड़ी के निशान मौजूद है। मुख्य पुजारी के मुताबिक जंगल होने के कारण ये स्वयंभू (भगवान शिव किसी कारणवश स्वयं शिवलिंग के रूप में प्रकट होते हैं) शिवलिंग हमेशा पत्तों से ढका रहता था। इसीलिए मंदिर का नाम महादेव झारखंडी पड़ा।

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पीपल का पेड़ शेषनाथ की आकृति के रूप में उकेरी हुई है। - फोटो : अमर उजाला।

पीपल के पेड़ पर है शेषनाग की आकृति
मंदिर समिति के कोषाध्यक्ष शिवपूजन तिवारी ने बताया कि शिवलिंग के बगल में ही एक विशालकाय पीपल का पेड़ है। ये पेड़ पांच पौधों को मिलाकर एक बना है। इस पीपल की जड़ के पास शेषनाग की आकृति बन गई है। ये आकृति भी लोगों की आस्था का केंद्र है।
 

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मंदिर में शिव भक्तों के लिए लगता है मेला। - फोटो : अमर उजाला।

हर बार असफल रहा शिवलिंग के ऊपर छत डालने का प्रयास

कोषाध्यक्ष अशोक एवं सचिव राजनाथ यादव ने बताया कि झारखंडी महादेव मंदिर में शिव लिंग खुले आसमान में है। कई बार शिवलिंग के ऊपर छत डालने की कोशिश की गई, लेकिन किसी न किसी कारण से वह पूरी नहीं हुई। उसके बाद शिवलिंग को खुले में ही छोड़ दिया गया है और उसके ऊपर पीपल के पेड़ की छांव ही रहती है।
 

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