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कानपुर मुठभेड़ः शहीद जितेंद्र के कंधों पर थी परिवार की बड़ी जिम्मेदारी, वर्दी के लिए दिया बलिदान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, मथुरा Published by: Abhishek Saxena Updated Sat, 04 Jul 2020 12:11 AM IST
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Kanpur Encounter Matyred Cop Jitendra Story
शहीद सिपाही जितेंद्र का फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला
मथुरा जनपद में मूलत: टाउनशिप क्षेत्र के गांव बरारी निवासी सिपाही जितेंद्र कानपुर में हुई मुठभेड़ में शहीद हो गए। वर्तमान में शहीद का परिवार गांव नवादा तंतूरा में रह रहा है। वर्ष 2018 बैच के सिपाही के शहीद होने की जानकारी गांव पहुंची तो परिवार और गांव में कोहराम मच गया। लोगों के चेहरों पर गम और गुस्सा एक साथ दिख रहा था। ग्रामीण जितेंद्र की बहादुरी को सलाम भी कर रहे हैं। 


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शहीद सिपाही जितेंद्र का फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला
शुक्रवार सुबह करीब 7:30 बजे सिपाही जितेंद्र के भाई जिनेंद्र के मोबाइल पर कानपुर के थाना विठूर से फोन आया। फोन करने वाले ने जानकारी दी कि मुठभेड़ में जितेंद्र शहीद हो गए हैं। जिनेंद्र ने यह जानकारी पिता तीर्थपाल को दी और पिता-पुत्र तथा मां रानी देवी कानपुर को रवाना हो गए। 

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शहीद सिपाही जितेंद्र का परिवार विलाप करता हुआ - फोटो : अमर उजाला
परिवारीजन उस समय वह गांव नवादा स्थित अपने घर पर थे। घर पर एक भाई सुरेंद्र तथा बहन पूजा को छोड़ गए। सूचना मिलते ही भाई-बहन का रो-रोकर बुरा हाल है। परिजन और शुभचिंतक घर पहुंचे। क्षेत्राधिकारी रिफाइनरी वरुण कुमार, हाईवे थानाध्यक्ष विनोद कुमार यादव और अन्य पुलिस अधिकारी परिजन को सांत्वना देने पहुंचे।
 
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सिपाही जितेंद्र का फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला
जितेंद्र 2018 बैच के सिपाही थे। उनकी पहली तैनाती कानपुर के विठूर थाने पर थी। मुलायम सिंह सरकार में रोकी गईं कुछ भर्तियों में से एक जितेंद्र भी थे। भर्ती के बाद उन्हें पहली तैनाती विठूर थाने में मिली।
 
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शहीद सिपाही जितेंद्र का फाइल फोटो - फोटो : अमर उजाला
जितेंद्र के पिता करीब 12 वर्ष पूर्व अपना पैतृक गांव बरारी छोड़कर नवादा तंतूरा सोमनाथ मैरिज होम के निकट आकर रहने लगे थे। उन्होंने बच्चों का भविष्य बनाने के लिए ही गांव छोड़ा था। सबसे बड़ा पुत्र जितेंद्र, उससे छोटा जिनेंद्र, पूजा और सुरेंद्र हैं। जितेंद्र सबसे बड़े थे और उसकी उम्र करीब 26 वर्ष थी और अविवाहित थे। यह जानकारी देते-देते जितेंद्र के भाई सुरेंद्र की आंखों में आंसू आ गए। बताया कि भैया विगत 23 जून को एक सप्ताह की छुट्टी काटकर गए थे। एक जुलाई को मां से फोन पर बातचीत भी हुई थी। 
 
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