शरद पूर्णिमा पर बुधवार को आसमान में चांद होगा तो नीचे धवल संगमरमरी शाहकार ताजमहल। दुनिया के सातवें अजूबे से मिलने के लिए रात 12 बजे के बाद चांद मानो उसके आंगन में उतर आएगा। चांदनी ओढ़े ताज की खूबसूरती उस दौरान और बढ़ जाएगी, जो साल में केवल इसी दिन नजर आती है। ताज के ऐसे अक्श को निहारने के लिए एक दिन पहले ही 250 सैलानियों ने टिकट बुक करा लिए हैं। ये सैलानी 30-30 मिनट के स्लॉट में ताज का दीदार कर सकेंगे।
इसलिए कहते हैं चमकी
सफेद संगमरमर से तामीर ताजमहल पर जब शरद पूर्णिमा पर चांद की दूधिया रोशनी पड़ती है तो इसका सौंदर्य और निखर उठता है। ताज की पच्चीकारी में रंगीन कीमती पत्थर लगे हैं जो चांद की रोशनी एक खास एंगल पर पड़ने पर चमकते हैं। इन नगीनों का चमकना ‘चमकी’ के नाम से चर्चित हो गया। वर्ष 1984 में ताजमहल के रात में बंद होने से पहले शरद पूर्णिमा पर पूरी रात चमकी का मेला लगता था, जो पांच नहीं बल्कि सात दिनों तक चलता था।
मंगलवार को 246 सैलानियों ने रात में देखा ताज
शरद पूर्णिमा से एक दिन पहले मंगलवार रात पांच स्लॉट में कुल 246 सैलानियों ने ताजमहल का दीदार किया। हालांकि सोमवार को पूरे 250 टिकट बुक हो गए थे लेकिन चार पर्यटकों ने बाद में टिकट कैंसिल करा दी। मंगलवार रात 8:30 बजे से शुरू हुए स्लॉट में पहले दो स्लॉट में 49 और 47 पर्यटक गोल्फ कार्ट से ताज पहुंचे। बाद के तीनों स्लॉट में पूरे 50 सैलानी आए। मंगलवार को चांद की रोशनी भी सोमवार के मुकाबले ज्यादा नजर आई। ताज और धवल, खूबसूरत नजर आया।
लगता था मेला
वर्ष 1984 में ताजमहल को रात में सुरक्षा कारणों से बंद करने से पहले चमकी का मेला शरद पूर्णिमा पर लगता था। इसमें लाखों लोग रात भर ताज घूमने पहुंचते थे। भीड़ के प्रबंधन के लिए ताजमहल में यमुना नदी की तरफ अस्थायी सीढ़ियों का निर्माण फ्रीगंज से रेलवे के स्लीपर लाकर किया जाता था। रॉयल गेट की ओर से संगमरमर की सीढ़ियों से प्रवेश और यमुना किनारे अस्थायी सीढ़ियों से पर्यटक उतरकर नीचे चमेली फर्श पर आते थे।
शरद पूर्णिमा पर 1984 से पहले लगने वाला चमकी का मेला लोगों की यादों में अब भी बसा है। ताज पर पूरी रात लगने वाले इस मेले ने सात जन्मों के बंधन में भी लोगों को बांधा है। तब केवल मेला नहीं, बल्कि परिचय सम्मेलन के तौर पर भी चमकी मेले ने दिलों को जोड़ा है। शादी के लिए कन्या को देखने के लिए लोग चमकी मेले पहुंचते थे, जहां बिना किसी औपचारिकता के परिवार के साथ घूमने आई युवतियों को देखकर रिश्ते भी तय हुए। ताज पूर्वी गेट पर एंपोरियम संचालक रहे अभिनव जैन के मुताबिक चमकी मेले में लोग परिवारों के साथ आते थे। सर्दी में सहालग से पहले रिश्ते तय करने के लिए यह मेला बेहतर जगह था, जहां कोई औपचारिकता नहीं थी। गोविंद अग्रवाल के मुताबिक ताजगंज में उनके मित्रों के घर वह रात में इस चमकी मेले के लिए पहुंचते थे। युवाओं की संख्या इस मेले में ज्यादा होती थी।
ताज व्यू प्वाइंट का प्रचार नहीं
ताजमहल के यमुना किनारे महताब बाग पर आगरा विकास प्राधिकरण ने व्यू प्वाइंट बनाया है लेकिन शरद पूर्णिमा पर इसको लेकर पर्यटकों में कोई क्रेज नहीं मिला। पर्यटक एएसआई के टिकट के लिए तो बेकरार रहे लेकिन गाइडों के समझाने के बाद भी महताब बाग व्यू प्वाइंट से ताज रात्रि दर्शन का टिकट नहीं खरीदा। एडीए अधिकारियों ने व्यू प्वाइंट के दिल्ली एयरपोर्ट, एक्सप्रेसवे टोल प्लाजा आदि जगहों पर प्रचार का दावा किया लेकिन सैलानियों पर प्रभाव नहीं दिखाई दिया। पर्यटकों की संख्या यहां दिन में भी कम रही।
ताजमहल का रात्रि दर्शन: शरद पूर्णिमा पर ताज देखने के लिए टिकटों की मारामारी, एएसआई के काउंटर पर लगी भीड़