आगरावासी खाने-पीने के खूब शौकीन हैं। चटपटी सब्जी के साथ बेड़ई-कचौड़ी से दिन की शुरुआत होती है। मीठे के लिए जलेबी और पेठे की मिठास ही काफी है। नमकीन के लिए दालमोठ का तो जवाब ही नहीं। मेहमानों का भी इसी से आदर-सत्कार करते हैं।
विश्व खाद्य दिवस: बेड़ई-कचौड़ी से होती है ताजनगरी की शुरुआत, जुबान पर घुलती है पेठे-जलेबी की मिठास
आगरावासी खाने-पीने के खूब शौकीन हैं। चटपटी सब्जी के साथ बेड़ई-कचौड़ी से दिन की शुरुआत होती है। मीठे के लिए जलेबी और पेठे की मिठास ही काफी है। नमकीन के लिए दालमोठ का तो जवाब ही नहीं। मेहमानों का भी इसी से आदर-सत्कार करते हैं।
दूर-दराज से लोग आते हैं
दाऊजी मिष्ठान भंडार के जय अग्रवाल ने कहा कि बेड़ई-कचौड़ी की बिक्री सभी अन्य खाद्य सामग्री से अधिक है। दूरदराज के लोग आगरा आने पर बेड़ई-कचौड़ी जरूर खाते हैं। मीठे के तौर जलेबी का स्वाद लेना भी नहीं भूलते। हमारे यहां वर्षों से बेड़ई-कचौड़ी बन रही हैं।
पेठा आगरा की पहचान
पंछी पेठा के अमित गोयल ने कहा कि पेठा आगरा की पहचान है, इसकी मिठास ऐसे लोगों में घुली हुई है कि इसके स्वाद बिना नहीं रह सकते हैं। हमारे पिताजी 1926 से पेठा बनाना शुरू किया था। तब से लोग पेठे का स्वाद ले रहे हैं। हमारे यहां से देश भर में पेठा बिक्री को जाता है।
इंडियन पीडियाट्रिक्स एसोसिएशन के उपाध्यक्ष डॉ. अरुण जैन ने बताया कि जो बच्चे बर्गर, पिज्जा, पेटीज, कोल्डड्रिंक और पैकेट बंद सामग्री के आदी बच्चों के परिजन इस लत को छुड़ाने के लिए परामर्श कर रहे हैं। उनको घर में ही हरी सब्जी-सलाद से विभिन्न सामग्री बनाकर खिलाने की सलाह दी जा रही है। दूध, फल, ड्राई फ्रूट्स को भी नियमित करने के लिए कहा है।
जिला अस्पताल की डायटीशियन ललितेश शर्मा ने बताया कि वयस्क के लिए 2400 कैलोरी का भोजन जरूरी है। प्रति किलोग्राम वजन के हिसाब से एक ग्राम प्रोटीन होनी चाहिए। शाकाहारी लोग दिन में एक बार दाल जरूर इस्तेमाल करें। सोयाबीन, पनीर भी ले सकते हैं। मांसाहारी लोग मछली, अंडे, चिकिन का उपयोग करें। भोजन को दो बार के बजाए चार से पांच बार में खाएं। इसमें चपाती, दाल, हरी सब्जी, दही, मौसमी फल हो।
कोरोना महामारी से लोग पौष्टिक भोजन का महत्व समझने लगे हैं। दाल-चपाती, हरी सब्जी को तरजीह देने लगे हैं। बच्चों को माताएं फास्ट फूड से बच्चों को बचा रही हैं। उनके पसंदीदा भोजन को घर में ही बनाने पर जोर दे रही हैं। एसएन मेडिकल कॉलेज की डायटीशियन मिनी शर्मा ने बताया कि कोरोना महामारी में मरीजों को दाल, चपाती, हरी सब्जी, सलाद और दूध दिया गया। खासतौर से दूसरी लहर में संक्रमित हुए लोग पौष्टिक भोजन को लेकर काफी सजग हुए हैं।
औसतन रोजाना 40 से 50 लोग हाईप्रोटीन समेत बेहतर डाइट के लिए संपर्क करते हैं। इनमें से 25 से 30 तो ऐसे हैं, जो कामकाजी हैं और रोजाना फास्ट फूड और कोल्डड्रिंक ही खाने-पीने में इस्तेमाल करते हैं। अब इन्होंने फास्ट फूड पांच से सात दिन में ही एक बार उपयोग करते हैं। घर से टिफिन लाना भी शुरू कर दिया है।