संगमनगरी में अमर उजाला हर तबके के लिए सच का पर्याय बन गया है। निष्पक्षता और पैनापन इस अखबार की पहचान है। कलम तेवर और कैमरे के सच के 25 वर्ष के लंबे और सुहावने सफर में इस अखबार ने कभी भी यह लगने नहीं दिया कि इससे अपने पाठकों का साथ निभाने में कहीं चूक हुई है। उम्मीद है कि आने वाले समय में भी इसी तेवर वाले सिद्धांत के साथ हर वर्ग की आवाज उठाने वाला यह अखबार सबके दिलों पर राज करता रहेगा।
उत्कर्ष के 25 वर्ष : संगमनगरी में अमर उजाला हर किसी के लिए सच का पर्याय- महापौर अभिलाषा
1997 से लेकर अब तक अखबार का जन-सरोकारों से जुड़कर अपने पाठकों की जोरदार बुलंद आवाज बने रहते हुए अपनी यात्रा के 25 वर्ष सफलता पूर्वक पूरा करना मायने रखता है।
अमर उजाला ने हर चुनौती को किया स्वीकार- केशरी देवी
बतौर विशिष्ट अतिथि सांसद केशरी देवी पटेल ने कहा कि जन-जन की आवाज को उठाने और सचाई को सामने लाने वाले अखबार के रूप में अमर उजाला की छवि हमेशा से ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर वाली रही है। चाहे कभी कोई बड़ी घटना रही है या कोरोना काल जैसे हालात। इसने बदलती सामाजिक-राजनीतिक व्यवस्थाओं का बखूबी सामना किया है। और, हर चुनौती को स्वीकार किया है। इस लंबे समय के बाद अब यह अखबार शहर के लोगों की अपनी जिंदगी का हिस्सा बन गया।
1997 से लेकर अब तक अखबार का जन-सरोकारों से जुड़कर अपने पाठकों की जोरदार बुलंद आवाज बने रहते हुए अपनी यात्रा के 25 वर्ष सफलता पूर्वक पूरा करना मायने रखता है। इससे पहले विद्युत झालरों और रंग-बिरंगे गुब्बारों से सजे दफ्तर में उत्सव जैसा माहौल बन गया था। बम्हरौली में सुबह सुंदरकांड के पाठ और भजन से स्थापना दिवस समारोह की शुरुआत हुई। शाम को चकचक रोशनी से सजे सिविल लाइंस कार्यालय परिसर में अधिकारियों, कर्मचारियों ने खूब मस्ती की। समाचार पत्र वितरकों और सेवा निवृत्त कर्मचारियों को प्रशस्ति पत्र एवं अंगवस्त्रम प्रदान कर सम्मानित किया गया।
सच को सामने लाना ही अमर उजाला की विशेषता: हर्षवर्धन
प्रयागराज। शहर उत्तरी के विधायक हर्षवर्धन बाजपेयी अमर उजाला कार्यालय पहुंचकर स्थापना दिवस समारोह का हिस्सा बने। उन्होंने अखबार के उत्कर्ष के 25 वर्षों के अपने अनुभवों को साझा किया। कहा कि सच के लिए हमेशा लड़ना और सामने लाना ही इस अखबार की विशेषता रही है।
समाचार पत्र वितरकों को अंगवस्त्रम से किया गया सम्मानित
स्थापना दिवस के मौके पर समचार पत्र वितरकों को भी सम्मानित किया गया। इसमें सुरेश सिंह, हरेंद्र पांडेय, आशीष कुमार, जतिन दुबे, रवि जायसवाल और राजेश मिश्रा के नाम शामिल हैं।
सेवानिवृत्त कर्मचारियों के योगदान को सराहा
सेवा निवृत्त कर्मचारियों को भी इस अवसर पर याद किया गया। उनके सेवाकाल की सराहना करते हुए उन्हें प्रशस्ति पत्र देकर शाल ओढ़ाई गई। इनमें कृष्णानंद त्रिपाठी, संजय बनौधा, हरि प्रकाश शुक्ला, ब्रह्म देव तिवारी, लक्ष्मी प्रसाद वर्मा और गोविंद प्रसाद निराला शामिल थे।