गंगा और यमुना में आई बाढ़ ने सैकड़ों परिवारों को बेघर कर दिया है। सोमवार को भी करीब 120 परिवारों ने प्रशासन की ओर से बनाए गए शिविरों में शरण ली। हालांकि, शाम को जलस्तर में कमी का क्रम शुरू हो गया। इससे लोगों ने राहत महसूस की लेकिन बाढ़ में डूबे घरों को लेकर चिंता बनी हुई है। बाढ़ की वजह से जिले में एक लाख से अधिक लोग प्रभावित हो गए हैं। 915 परिवारों के छह हजार से अधिक लोगों ने प्रशासन से मदद मांगी है। वहीं. 1640 लोग शहर के सात शिविरों में रहने के लिए पहुंचे हैं।
सोमवार की दोपहर तक जलस्तर में प्रति घंटा करीब एक सेमी की रफ्तार से बढ़ोतरी हो रही थी। इसकी वजह से बघाड़ा, बेली कछार, गंगानगर आदि मोहल्लों के निचले इलाके के सैकड़ों घरों में पानी घुस गया। इसका नतीजा रहा कि अकेले स्टैनली रोड स्थित महबूब अली इंटर कॉलेज परिसर में बने शिविर में ही सोमवार को आठ परिवार बढ़ गए। इस तरह से यहां कुल 77 परिवारों ने शरण ले रखी है। शरण लेने वाले सदस्यों की संख्या भी 298 से बढ़कर 312 हो गई है।
बेली कछार के मो. शमीम का कहना था कि छोटा सा मकान है, जो पूरा डूब गया है। इसके साथ सामान भी डूब गया। दो जानवर हैं, जिन्हें किसी तरह से बाहर ला पाए। छोटा बघाड़ा की नंदिनी का कहना था कि जरूरी सामान लेकर आए हैं। वहीं, देवी का कहना था कि कुछ सामान लेकर आए हैं। अन्य सामान छत पर रखकर आए हैं। पति और एक बेटा वहीं छत पर रह रहे हैं, ताकि सामान चोरी न हो।