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आंद्रे अगासी को जानने के बाद जागा कुलदीप का क्रिकेट प्रेम
टीम डिजिटल, अमर उजाला, कानपुर
Updated Sat, 23 Sep 2017 03:52 PM IST
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टेनिस के मशहूर खिलाड़ी आंद्रे अगासी के कॅरियर की शुरुआत से जुड़े पहलू कानपुर के चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव से मिलते - जुलते हैं। कुलदीप को स्पोर्ट्स में कोई खास रुचि नहीं थी। हालांकि वह टेनिस की गेंद से अपने दोस्तों के साथ खेला करते थे।
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पिता के विश्वास पर आगे बढ़ता गया
आस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे वन डे में हैट्रिक लेने वाले चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव का कहना है कि वह भारतीय मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं। मध्यवर्गीय परिवारों की तरह उन्हें कभी इस बात लिए नहीं डराया गया कि वह पढ़ाई लिखाई नहीं करेंगे तो नौकरी नहीं मिलेगी। पिता को विश्वास था कि उनका बेटा जरूर क्रिकेटर बनेगा। क्रिकेट के प्रति अपने पिता के प्रेम को देखकर भी प्रेरणा मिलती रही।
आस्ट्रेलिया के खिलाफ दूसरे वन डे में हैट्रिक लेने वाले चाइनामैन गेंदबाज कुलदीप यादव का कहना है कि वह भारतीय मिडिल क्लास फैमिली से आते हैं। मध्यवर्गीय परिवारों की तरह उन्हें कभी इस बात लिए नहीं डराया गया कि वह पढ़ाई लिखाई नहीं करेंगे तो नौकरी नहीं मिलेगी। पिता को विश्वास था कि उनका बेटा जरूर क्रिकेटर बनेगा। क्रिकेट के प्रति अपने पिता के प्रेम को देखकर भी प्रेरणा मिलती रही।
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स्पिन गेंदबाजी की सलाह अखरती थी
क्रिकेट की शुरुआती दिनों में पिता ने कपिल पांडेय की देखरेख में एक लोकल कल्ब में प्रशिक्षण के लिए भर्ती कराया। तेज गेंदबाजी के तौर पर क्रिकेट की शुरुआत की। कोच स्पिन गेदबाजी के लिए कहते थे। यह सलाह नहीं भाती थी। कोच के बात मानकर स्पिन गेंद डाली, तब मुझे चाइनामैन के बारे में कुछ नहीं बता था।इस दिशा में अभ्यास करते रहे। आज कुलदीप को चाइनामैन गेंदबाज के नाम से जाना जाता हैं।
क्रिकेट की शुरुआती दिनों में पिता ने कपिल पांडेय की देखरेख में एक लोकल कल्ब में प्रशिक्षण के लिए भर्ती कराया। तेज गेंदबाजी के तौर पर क्रिकेट की शुरुआत की। कोच स्पिन गेदबाजी के लिए कहते थे। यह सलाह नहीं भाती थी। कोच के बात मानकर स्पिन गेंद डाली, तब मुझे चाइनामैन के बारे में कुछ नहीं बता था।इस दिशा में अभ्यास करते रहे। आज कुलदीप को चाइनामैन गेंदबाज के नाम से जाना जाता हैं।
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आलोचनाओं को नकारा, अभ्यास पर दिया ध्यान
घर में कुलदीप के दोस्त जब पढ़ाई कर रहे होते थे, तब वह मैदान में पसीना बहाया करते थे। पड़ोसियों के कुछ सवाल भी अखरते थे। कड़ी धूप में कुलदीप को खेलता हुआ देखकर कुछ लोग उन्हें पागल समझते थे। इसको नजर अंदाज करते वह गेंदबाजी का सुबह, दोपहर और शाम को अभ्यास करते थे।
घर में कुलदीप के दोस्त जब पढ़ाई कर रहे होते थे, तब वह मैदान में पसीना बहाया करते थे। पड़ोसियों के कुछ सवाल भी अखरते थे। कड़ी धूप में कुलदीप को खेलता हुआ देखकर कुछ लोग उन्हें पागल समझते थे। इसको नजर अंदाज करते वह गेंदबाजी का सुबह, दोपहर और शाम को अभ्यास करते थे।
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अंडर-15 से टूटा, पिता कोच ने संभाला
अंडर-15 के स्टेट ट्राइल में असफल होने पर कुलदीप को झटका लगा था। एक पल के लिए उन्हें स्पोर्ट्स बेकार सा लगा। मैदान के गेट के पास दुखी होकर वह रो पड़े ओर खुद से कह रहे थे कि यह क्रूर गेम है। परिणाम के तौर पर कुछ भी अच्छा नहीं होने वाला है। मेरे पिता और कोच ने निराश की घड़ी में दिशा दिखाई। दोनों ने पहले से भी बेहतर खेलने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद करियर ने तेजी पकड़ी। मन में बस यही चलता था कि कि खेलना है।
अंडर-15 के स्टेट ट्राइल में असफल होने पर कुलदीप को झटका लगा था। एक पल के लिए उन्हें स्पोर्ट्स बेकार सा लगा। मैदान के गेट के पास दुखी होकर वह रो पड़े ओर खुद से कह रहे थे कि यह क्रूर गेम है। परिणाम के तौर पर कुछ भी अच्छा नहीं होने वाला है। मेरे पिता और कोच ने निराश की घड़ी में दिशा दिखाई। दोनों ने पहले से भी बेहतर खेलने के लिए प्रेरित किया। इसके बाद करियर ने तेजी पकड़ी। मन में बस यही चलता था कि कि खेलना है।