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पाकिस्तान की जेल में हिंदुस्तानियों के साथ हो रहा ऐसा बर्ताव, सुनकर कांप उठेगी रुह

टीम डिजिटल, अमर उजाला, कानपुर Updated Tue, 03 Jan 2017 12:05 PM IST
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Indian prisoners in Pakistani jail hate
पाकिस्तानी जेल में भारतीय कैदियों से नफरत
पाकिस्तान की जेलों में हिंदुस्तानी कैदियों के साथ बड़ा बुरा बर्ताव हो रहा है। जेल में हर कोई भारतीयों से नफरत करता है। नफरत इस कदर कि देखने वालों की रुह तक कांप जाये। आप भी जानें अपने वतन वापस लौटे कानपुर के इन मछुआरों की क्या है दुख भरी कहानी... 
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वो मार देते गोलियां

Indian prisoners in Pakistani jail hate
पाकिस्तानी जेल में भारतीय कैदियों से नफरत - फोटो : अमर उजाला
पाकिस्तान की मलीर लांघी जेल में सवा साल से बंद कानपुर भीतरगांव के तीन मछुआरों के गांव में लौटते ही परिजनों के चेहरे पर खुशी दिखाई दी। तीनों ने बताया कि  घटना वाले दिन वह लोग अनजाने में भारतीय जल सीमा से 8 किमी भीतर (पाक सीमा) पर चले गए थे। तभी, अचानक फायरिंग शुरू हो गई और देखा तो उनकी नावें चारों ओर से घिरी हुई थी। फायरिंग में गुजरात के धनकी नामक मछुआरे को दो गोलियां लगी थीं। ऊपर वाले का शुक्र है कि हम पर गोलियां नहीं लगीं। मोहम्मदपुर गांव निवासी रविशंकर गौड़, जयचंद्र गौड़ और संजय कुरील बीते वर्ष 15 अक्तूबर 2015 को गुजरात के ओखा समुद्री तट पर मछली का शिकार करते समय अन्य 27 भारतीय मछुआरों के साथ पाक जल सेना के हत्थे चढ़ गए थे। 
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ज्यादा खाना मांगने पर होती पिटाई

Indian prisoners in Pakistani jail hate
पाकिस्तानी जेल में भारतीय कैदियों से नफरत, अपनी मां से लिपटकर रोता जयचंद्र - फोटो : अमर उजाला
पाकिस्तान की मलीर लांघी जेल के अनुभव बताते हुए तीनों रो पड़े। जयचंद्र ने बताया कि खाने में दिनभर में सिर्फ पांच रोटियां मिलती थीं। इनमें एक रोटी सुबह और दो-दो दोपहर और रात को दी जाती थीं। साथ में तीन दिन दाल और तीन दिन मीट जबकि, रविवार की रात चावल भी मिलता था। ज्यादा खाना मांगने पर पाकिस्तानी सैनिक पीटने लगते थे और गंदी गालियां भी बकते थे। 

रुपये छीन लेते थे गार्ड

Indian prisoners in Pakistani jail hate
पाकिस्तानी जेल में भारतीय कैदियों से नफरत - फोटो : अमर उजाला
युवकों ने बताया कि आखिरकार जेल-जेल ही होती है। वह भी शत्रु देश में अपनों और अपने मुल्क से दूर। बताया कि मलीर लांघी जेल में कुल 439 मछुआरे बंद थे इनमें कोई न कोई अपनों और वतन की याद में रोता ही मिलता था। ऐसी स्थिति में हमलोग आपस में एक-दूसरे को दिलासा देकर उसका दुख-दर्द बंटाने की कोशिश जरूर करते थे। जबकि, जेल के कुछ गार्डों और अधिकारियों के बारे में बताया कि वह लोग भारतीयों से नफरत करते हैं। खाने में शिकायत करने पर अन्य कैदियों के सामने उनको जमकर पीटते थे। जबकि, किसी कैदी के घर से पत्र का उत्तर आने पर लिफाफे में निकलने वाले रुपये और फोटो आदि जब्त करके अपने पास रख लेते थे। 
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दुश्मन देश में कलाकारी से कमाई

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पाकिस्तान जेल में भारतीय युवकों द्वारा हस्तनिर्मित चीजें - फोटो : अमर उजाला
दुश्मन देश की जेल में बंद होने के बावजूद भी भारतीय युवकों ने अपनी कला के जरिए दो पैसे कमाए। उसकी कुछ बानगी निशानी के तौर पर वह अपने साथ भी लाए हैं। युवकों ने बताया कि जेल में वह लोग नकली मूंगे-मोतियों से सजावट के सामान के साथ ही डिजा?नदार पेन, अंगूठी, गले में पहनने वाले हार (माला), हेयर पिन और बैंड के अलावा छोटे बच्चों के लिए जूतियां बनाकर चार पैसे भी कमाते थे। बताया कि वहां तिरंगा कलर का सामान बनाने में मनाही थी। बताया कि हुनर के बदौलत वह एक दिन में डेढ़ हजार रुपये तक कमा लेते थे। जेल से रिहा होने के समय उनको तीन-तीन हजार रुपये  (पाकिस्तानी मुद्रा) मिली थी जिसकों बाघा बार्डर पर पहुंचते ही भारतीय मुद्रा में चेंज करवा लिया। 
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