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यूपी: 24 घंटे बाद भी कुख्यात अपराधी विकास दुबे का कोई सुराग नहीं, एमपी या राजस्थान भागने की आशंका
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Sat, 04 Jul 2020 06:19 PM IST
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पूरी रात विकास को पकड़ने के लिए छापेमारी
- फोटो : amar ujala
उत्तर प्रदेश के कानपुर के चौबेपुर मुठभेड़ के बाद कुख्यात अपराधी विकास दुबे अपने साथियों के साथ पुलिस को चकमा देकर फरार हो गया है। 24 घंटे बाद भी विकास का कोई सुराग नहीं लगा है। पुलिस की पचास से अधिक टीम बदमाशों की तलाश में जुटी है।
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जिले और प्रदेश की सीमाएं सील कर हो रही चेकिंग
- फोटो : amar ujala
विकास के मध्य प्रदेश या राजस्थान की तरफ भागने की जानकारी मिल रही है। ऐसे में पुलिस ने दूसरे राज्यों की पुलिस से भी संपर्क कर मदद मांगी है। वहीं उसके साथी अलग-अलग शहरों की तरफ भागे हैं। पूरे मंडल की सीमाएं सील कर हाई अलर्ट जारी किया गया है।
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इसी रास्ते से भागे बदमाश
- फोटो : amar ujala
रात करीब एक बजे मुठभेड़ हुई। पुलिसकर्मियों को बेरहमी से मारने के बाद विकास को खबर मिली कि भारी पुलिस बल गांव की तरफ आ रहा है। सूत्रों के मुताबिक वह खेतों और जंगलों की तरफ होते हुए शहर की सीमा अपने साथियों संग पार कर गया। इसमें कुछ लोगों ने मदद भी की।
कानपुर एनकाउंटर में आठ पुलिसकर्मी शहीद
- फोटो : अमर उजासा
आगे उसके कुछ लोग पहले से ही गाड़ियों के साथ मौजूद थे जिनके साथ वह राज्य के बाहर जाने की जुगत में लग गया। पुलिस सूत्रों के मुताबिक एमपी में उसकी बहन रहती है और लखनऊ में पत्नी-बच्चे। ऐसे में इन शहरों के अलावा राजस्थान जाने के इनपुट पुलिस को मिले हैं। उसी आधार पर उसकी तलाश कर रही है।
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एडीजी एलओ और विकास दुबे एवं हमले में शहीद पुलिसकर्मी
- फोटो : amar ujala
एक घंटे तक विकास ने खेला खूनी खेल
दबिश रात पौने एक बजे के करीब पड़ी। करीब एक घंटे तक विकास और उसके साथियों ने खूनी खेल खेला। पुलिसकर्मियों को घसीट-घसीटकर और दौड़ा-दौड़ाकर मारा। मौत के घाट उतारने के बाद वह वहां से बेफिक्र होकर भाग गया। करीब दो बजे तक वह गांव में देखा गया। ऐसा ग्रामीणों का कहना था।
दबिश रात पौने एक बजे के करीब पड़ी। करीब एक घंटे तक विकास और उसके साथियों ने खूनी खेल खेला। पुलिसकर्मियों को घसीट-घसीटकर और दौड़ा-दौड़ाकर मारा। मौत के घाट उतारने के बाद वह वहां से बेफिक्र होकर भाग गया। करीब दो बजे तक वह गांव में देखा गया। ऐसा ग्रामीणों का कहना था।
