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मनीष गुप्ता हत्याकांड: एसआईटी का एक और खुलासा, होटल प्रशासन ने बुलाई थी पुलिस; वसूली करना था मकसद
सूरज शुक्ला, अमर उजाला, कानपुर
Published by: प्रभापुंज मिश्रा
Updated Fri, 08 Oct 2021 05:27 PM IST
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मृतक व्यापारी मनीष गुप्ता व मानसी अस्पताल के बाहर मौजूद पुलिस।
- फोटो : अमर उजाला।
मनीष गुप्ता हत्याकांड में एसआईटी की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है। वसूली के खेल में मनीष को मौत के घाट उतारा गया था। होटल प्रशासन और पुलिस दोनों की मिलीभगत रही। होटल प्रशासन ने ही उस रात पुलिस को मनीष व उनके दोस्तों के ठहरने की सूचना दी थी। तब पुलिस कर्मी चेकिंग के नाम पर उनके कमरे में पहुंचे थे। विरोध करने पर वारदात को अंजाम दिया। इसके संबंध में एसआईटी ने पुख्ता साक्ष्य जुटाए हैं। होटल प्रशासन को भी आरोपी बनाने की तैयारी है। गोरखपुर के कृष्णा पैलेस होटल में 27 सितंबर की रात छह पुलिसकर्मियों ने मनीष के कमरे पर धावा बोला था। चेकिंग के नाम पर पहले अभद्रता की थी और फिर मनीष को पीट पीटकर मार दिया था। तब से कई सवाल उठ रहे थे कि आखिर मनीष के कमरे की चेकिंग करने पुलिसकर्मी क्यों पहुंचे थे? मनीष को ही क्यों निशाना बनाया गया?
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मनीष हत्याकांड में जांच करने गोरखपुर पहुंची एसआईटी कानपुर।
- फोटो : अमर उजाला।
एसआईटी ने इन सवालों के जवाब खोज लिए हैं। एसआईटी के सूत्रों के मुताबिक होटल प्रशासन की तरफ से रामगढ़ताल पुलिस को सूचना दी गई कि होटल के 512 नंबर कमरे में दूसरे प्रदेश व शहर से आए लोग ठहरे हुए हैं। थानेदार जगत नारायण सिंह फोर्स के साथ पहुंचे और मनीष के कमरे में घुस गए। पुलिसकर्मी वसूली करने गए थे लेकिन वहां पर चेकिंग की तो किसी तरह की कमी नहीं पाई।
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मनीष हत्याकांड: मीनाक्षी ने अपनी आखिरी बातचीत की फोटो शेयर की।
- फोटो : अमर उजाला।
आखिर में जब मनीष ने बोल दिया कि आतंकवादी नहीं हैं हम लोग जो इस तरह चेकिंग कर रहे हो। तो इस पर वह भड़क गए और उसको पीट-पीटकर मार दिया। एसआईटी की जांच में सामने आया कि वसूली के खेल में मनीष की हत्या की गई। अन्य कोई मोटिव एसआईटी के सामने अब तक नहीं आया है। सूत्रों के मुताबिक अन्य कई बिंदुओं पर भी जांच चल रही है।
मनीष गुप्ता हत्याकांड।
- फोटो : अमर उजाला।
इसलिए केवल मनीष के कमरे की हुई कथित चेकिंग
घटना की रात पुलिसवालों ने केवल मनीष के कमरे की ही चेकिंग की थी। अन्य किसी भी रूम में वह नहीं आए। ये इसलिए क्योंकि मनीष व उनके दोस्त गैर जनपद व दूसरे राज्य के थे। मनीष कानपुर तो उनके दोस्त हरवीर व प्रदीप गुरुग्राम के रहने वाले हैं। पुलिसकर्मी गैर जनपद व दूसरे राज्यों से आने वालों को निशाना बनाते थे। रामगढ़ताल पुलिस को ये वसूली का खेल काफी समय से चल रहा था।
घटना की रात पुलिसवालों ने केवल मनीष के कमरे की ही चेकिंग की थी। अन्य किसी भी रूम में वह नहीं आए। ये इसलिए क्योंकि मनीष व उनके दोस्त गैर जनपद व दूसरे राज्य के थे। मनीष कानपुर तो उनके दोस्त हरवीर व प्रदीप गुरुग्राम के रहने वाले हैं। पुलिसकर्मी गैर जनपद व दूसरे राज्यों से आने वालों को निशाना बनाते थे। रामगढ़ताल पुलिस को ये वसूली का खेल काफी समय से चल रहा था।
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मनीष गुप्ता मर्डर केस: होटल में पुलिस की तलाशी के दौरान की तस्वीर।
- फोटो : अमर उजाला।
होटल प्रशासन की रहती है मिलीभगत
इस तरह की वसूली में होटल प्रशासन की भी मिलीभगत रहती है। एसआईटी के सूत्रों के मुताबिक जब भी होटल में कोई बाहरी या दूर शहर से आता था तो होटल प्रशासन पुलिस को सूचना देते थे। तब पुलिस अपने कारखासों के साथ वहां दबिश देकर चेकिंग के नाम पर वसूली करती थी। सूत्रों ने बताया कि होटल प्रशासन का आरोपी बनना लगभग तय है। कुछ और साक्ष्य जुटाकर आलाधिकारियों से बातचीत कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसआईटी यह भी पता कर रही है कि पुलिस को सूचना किसने दी। केवल उसी को आरोपी बनाना है कि वहां के अधिकारियों को।
इस तरह की वसूली में होटल प्रशासन की भी मिलीभगत रहती है। एसआईटी के सूत्रों के मुताबिक जब भी होटल में कोई बाहरी या दूर शहर से आता था तो होटल प्रशासन पुलिस को सूचना देते थे। तब पुलिस अपने कारखासों के साथ वहां दबिश देकर चेकिंग के नाम पर वसूली करती थी। सूत्रों ने बताया कि होटल प्रशासन का आरोपी बनना लगभग तय है। कुछ और साक्ष्य जुटाकर आलाधिकारियों से बातचीत कर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। एसआईटी यह भी पता कर रही है कि पुलिस को सूचना किसने दी। केवल उसी को आरोपी बनाना है कि वहां के अधिकारियों को।
