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UP: नेताजी के सीने में चुभता रहा रामपुर तिराहा-मुजफ्फरनगर दंगा, तस्वीरों में देखें नवाजिश की शादी की यादें

मदन बालियान, अमर उजाला, मुजफ्फरनगर Published by: कपिल kapil Updated Tue, 11 Oct 2022 01:40 AM IST
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Mulayam Singh had arrived to attend wedding of former MLA Nawazish Alam Khan in Muzaffarnagar
मुजफ्फरनगर जिले से जुड़ी मुलायम सिंह की यादें। - फोटो : amar ujala

धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव मुजफ्फरनगर में सपा के पूर्व विधायक नवाजिश आलम खान की शादी में शामिल होने पहुंचे थे। यहां वे काफी देर तक रुके और परिवार के साथ समय बिताया था। इस दौरान उनके साथ पूर्व सांसद अमीर आलम खान, पूर्व सांसद मुनव्वर हसन और पूर्व सांसद कादिर राना भी मौजूद रहे। इससे पहले कादिर राना की बेटी की शादी में भी मुलायम सिंह शामिल हुए थे।



धरतीपुत्र के सीने में चुभता रहा रामपुर तिराहा और मुजफ्फरनगर दंगा

लोगों को अपना बनाने के हुनर में माहिर धरतीपुत्र मुलायम सिंह यादव का जिले से करीब साढ़े चार दशक तक गहरा नाता रहा, लेकिन दो मौके ऐसे भी आए, जब असमंजस के हालात बन गए। 1994 में उनके मुख्यमंत्री रहते रामपुर तिराहा कांड ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जिले की छवि धूमिल की। मुजफ्फरनगर दंगे के दौरान भी सूबे में सपा की सरकार थी। दंगे के कारण वह बेहद आहत हो गए थे।

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Mulayam Singh had arrived to attend wedding of former MLA Nawazish Alam Khan in Muzaffarnagar
जिले से जुड़ी मुलायम की यादें। - फोटो : amar ujala

गांव की गलियों से निकलकर अखाड़े के रास्ते सत्ता के शीर्ष पर पहुंचने वाले मुलायम सिंह यादव ने हर मुकाम संघर्ष से हासिल किया। वह हर बार सधा हुआ दांव चलने में माहिर थे। पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह के करीबी होने के कारण संगठन के कार्यों से उनका 70 के दशक में जिले से जुड़ाव हो गया था। धीरे-धीरे वह सबके चहेते बन गए थे। लंबे यशस्वी राजनीतिक जीवन में मुजफ्फरनगर से जुड़ी दो बड़ी घटनाओं ने उनकी छवि को गहरी ठेस पहुंचाई थी।

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Mulayam Singh had arrived to attend wedding of former MLA Nawazish Alam Khan in Muzaffarnagar
मुलायम सिंह की यादें - फोटो : amar ujala

भाजपा को सत्ता से बेदखल कर सूबे के मुखिया बने मुलायम सिंह को उस वक्त बड़ी कठिनाइयों और सवालों का सामना करना पड़ा, जब एक अक्तूबर 1994 की रात रामुपर तिराहे पर उत्तराखंड के आंदोलनकारियों पर पुलिस ने गोलियां चलाई थी। महिलाओं के साथ अभद्रता के मामलों में उनकी सरकार पर जवाब देते नहीं बना था। इसी घटना से पृथक उत्तराखंड राज्य की मांग मजबूत हुई और प्रदेश दो हिस्सों में बंट गया।

Mulayam Singh had arrived to attend wedding of former MLA Nawazish Alam Khan in Muzaffarnagar
मुलायम सिंह की यादें - फोटो : amar ujala

2012 में सपा ने मायावती को सत्ता से बेदखल कर दिया। कम अनुभव के बावजूद नेताजी ने अपने बेटे अखिलेश यादव को मुख्यमंत्री पद की ताजपोशी करा दी थी। अभी अखिलेश की सरकार को एक साल भी पूरा नहीं हुआ था कि मुजफ्फरनगर में दंगा हो गया। दंगे से पहले जिले के बिगड़ते माहौल को शासन और प्रशासन के अफसर भांप नहीं पाए। जिसकी वजह से सात सितंबर 2013 को हुई हिंसा में 65 से ज्यादा लोगों की जान चली गई। संकट के हालातों में डैमेज कंट्रोल के लिए मुलायम सिंह यादव को खुद मोर्चा संभालना पड़ा। उन्होंने जिले में सेना भेज दी, जिसकी वजह से हिंसा थमनी शुरू हुई। साइलेंट वार पर कोई अंकुश नहीं लगने के कारण सपा सरकार की बड़ी किरकिरी हुई।

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मुजफ्फरनगर से जुड़ी मुलायम सिंह की यादें। - फोटो : amar ujala

फर्जी मुकदमों से फैला था आक्रोश
बेगुनाहों पर फर्जी मुकदमों से पश्चिमी यूपी में आक्रोश फैल गया। बागपत से शामली, मुजफ्फरनगर से मेरठ तक ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाएं और बेटियां गिरफ्तारी के विरोध में पुलिस के सामने आ डटी थीं। जैसे-जैसे सरकार ने बिगड़ी स्थितियां संभालीं, लेकिन तब तक बड़ा सियासी नुकसान हो चुका था। नेताजी चाहकर भी सपा की बिखरी ताकत को संभाल नहीं पाए और प्रदेश में भाजपा की लहर आ गई। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में दंगे के कारण ऐसा ध्रुवीकरण हुआ कि यूपी में भाजपा ने सबसे ज्यादा सीटें जीत लीं और नरेंद्र मोदी पहली बार देश के प्रधानमंत्री बन गए। विधानसभा चुनाव में भी भाजपा को समाजवादी पार्टी रोक नहीं पाई और डेढ़ दशक बाद सूबे में कमल खिल गया।

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