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UP: 50 हजार रुपये वेतन, रहने के लिए घर और शानदार ऑफिस...विदेश में नौकरी का काला सच; झांसे में न आएं
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Wed, 29 Oct 2025 11:17 AM IST
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सार
बेरोजगार युवाओं को ऐसा लालच दिया जाता है कि वो आसानी से फंस जाते हैं। 50 हजार प्रति महीने वेतन, रहने के लिए घर और मल्टीनेशनल कंपनी की तरह ऑफिस भी दिया जाता है।
पुलिस गिरफ्त में आऱोपी
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
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विस्तार
मल्टीनेशनल कंपनी की तरह ऑफिस, कर्मचारियों के रहने के लिए आवास, 45 से 50 हजार रुपये प्रति महीने वेतन। इसके अलावा जितनी ज्यादा ठगी, उतना ज्यादा कमीशन। वियतनाम, कंबोडिया और लाओस में चीनी साइबर ठग इसी तरह से युवाओं को अपने पास बुलाकर रखते हैं। उन्हें ठगी के तरीके सिखाकर काम करवाते हैं। उनके एजेंट भारत में ही नहीं है, पाकिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल और अफ्रीका से भी युवाओं को बुलाकर साइबर ठगी कराते हैं। यह जानकारी पुलिस को आरोपियों से पूछताछ और पीड़ित युवकों से बातचीत में पता चली है।
एडीसीपी आदित्य सिंह ने बताया कि विदेश में चीनी साइबर ठगों का पूरा सिंडीकेट काम कर रहा है। वह अच्छी बिल्डिंग में अपना ऑफिस खोलते हैं। कर्मचारियों के रहने और खाने का इंतजाम करते हैं। जिन लोगों को अपने पास बुलाते हैं, एयरपोर्ट पर उतरते ही उनका पासपोर्ट और वीजा एजेंटों के माध्यम से जब्त करा लेते हैं। तीन देशों वियतनाम, लाओस और कंबोडिया में ऑफिस बना रखे हैं। युवकों को एजेंट सभी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद कंपनी में ले जाते हैं। वहां आईडी कार्ड जारी कर दिया जाता है।
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एडीसीपी आदित्य सिंह ने बताया कि विदेश में चीनी साइबर ठगों का पूरा सिंडीकेट काम कर रहा है। वह अच्छी बिल्डिंग में अपना ऑफिस खोलते हैं। कर्मचारियों के रहने और खाने का इंतजाम करते हैं। जिन लोगों को अपने पास बुलाते हैं, एयरपोर्ट पर उतरते ही उनका पासपोर्ट और वीजा एजेंटों के माध्यम से जब्त करा लेते हैं। तीन देशों वियतनाम, लाओस और कंबोडिया में ऑफिस बना रखे हैं। युवकों को एजेंट सभी कागजी कार्रवाई पूरी करने के बाद कंपनी में ले जाते हैं। वहां आईडी कार्ड जारी कर दिया जाता है।
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वेतन के साथ कमीशन का भी लालच
पुलिस ने गिरोह का तरीका पता करने के लिए वहां के युवाओं से संपर्क किया। एक युवक ने फोटो खींचकर भेजे। वह किसी बड़ी कंपनी का ऑफिस जैसा ही था। पीड़ित युवकों ने पुलिस को बताया कि अलग-अलग तरीके से ठगने के लिए अलग-अलग लोग ट्रेनिंग देते थे। सरगना ट्रांसलेटर की मदद से उनसे बात करता था। एक बार ऑफिस में आने के बाद किसी को मोबाइल पर बात करने की इजाजत नहीं होती थी। मोबाइल जब्त कर लिए जाते थे। शाम को कुछ देर के लिए दिए जाते थे। ऑफिस के बाद आवास पर जाना होता था। यहां से कहीं भी नहीं जाने देते। अलग-अलग देशों के युवाओं को उनके हिसाब से रखा जाता। हर किसी की जिम्मेदारी अलग होती है। अगर कोई काम करने से इन्कार करता है तो उसे डार्क रूम में बंद कर देते। इसके बाद रुपयों की मांग की जाती। जो लोग काम करने को तैयार हो जाते, उन्हें ठगी की रकम से कमीशन भी दिया जाता है। इससे कई बार लोग लालच में आकर काम नहीं छोड़ते हैं।
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पुलिस ने गिरोह का तरीका पता करने के लिए वहां के युवाओं से संपर्क किया। एक युवक ने फोटो खींचकर भेजे। वह किसी बड़ी कंपनी का ऑफिस जैसा ही था। पीड़ित युवकों ने पुलिस को बताया कि अलग-अलग तरीके से ठगने के लिए अलग-अलग लोग ट्रेनिंग देते थे। सरगना ट्रांसलेटर की मदद से उनसे बात करता था। एक बार ऑफिस में आने के बाद किसी को मोबाइल पर बात करने की इजाजत नहीं होती थी। मोबाइल जब्त कर लिए जाते थे। शाम को कुछ देर के लिए दिए जाते थे। ऑफिस के बाद आवास पर जाना होता था। यहां से कहीं भी नहीं जाने देते। अलग-अलग देशों के युवाओं को उनके हिसाब से रखा जाता। हर किसी की जिम्मेदारी अलग होती है। अगर कोई काम करने से इन्कार करता है तो उसे डार्क रूम में बंद कर देते। इसके बाद रुपयों की मांग की जाती। जो लोग काम करने को तैयार हो जाते, उन्हें ठगी की रकम से कमीशन भी दिया जाता है। इससे कई बार लोग लालच में आकर काम नहीं छोड़ते हैं।
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सबसे ज्यादा डिजिटल अरेस्ट के मामले
आरोपी सबसे ज्यादा डिजिटल अरेस्ट करते हैं। इसके लिए अलग-अलग टीमें काम करती हैं। एजेंटों के माध्यम से उनके पास डाटा पहुंचता है। इसके बाद युवक काॅल करते हैं। बातचीत के दाैरान सभी जानकारी कंप्यूटर में फीड करते रहते हैं। अगर कोई फंस जाता है तो उससे वरिष्ठ साथी बात करता है। हाल में हुई घटनाओं से नाम और खाते को जोड़कर डर दिखाते हैं। कोई पुलिस अधिकारी बनता है तो कोई आयकर अधिकारी बन जाता है। कार्यालयों को भी उसी तरह से बनाकर रखते हैं, जिस तरह के हकीकत में होते हैं। इससे वीडियो काॅल पर लोग बात करते हुए लोग डर जाते हैं।
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आरोपी सबसे ज्यादा डिजिटल अरेस्ट करते हैं। इसके लिए अलग-अलग टीमें काम करती हैं। एजेंटों के माध्यम से उनके पास डाटा पहुंचता है। इसके बाद युवक काॅल करते हैं। बातचीत के दाैरान सभी जानकारी कंप्यूटर में फीड करते रहते हैं। अगर कोई फंस जाता है तो उससे वरिष्ठ साथी बात करता है। हाल में हुई घटनाओं से नाम और खाते को जोड़कर डर दिखाते हैं। कोई पुलिस अधिकारी बनता है तो कोई आयकर अधिकारी बन जाता है। कार्यालयों को भी उसी तरह से बनाकर रखते हैं, जिस तरह के हकीकत में होते हैं। इससे वीडियो काॅल पर लोग बात करते हुए लोग डर जाते हैं।
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हर युवक के बदले में एजेंट को मिलते 3500 डाॅलर
एजेंटों को हर युवक के बदले में 3500 डाॅलर तक मिलते थे। इस तरह भारतीय एजेंटों को एक व्यक्ति को पहुंचाने पर 3 से 3.5 लाख रुपये तक मिलते थे। इसके अलावा जो लोग खाते और सिम उपलब्ध कराते थे, उन्हें अलग से रकम दी जाती थी। इसमें कई सदस्य एक साथ काम कर रहे थे। अब पुलिस इन सभी पर शिकंजा कस रही है। रत्नागिरी से पकड़े गए आमिर से भी पूछताछ होगी। पंजाब निवासी एक आरोपी के बारे में भी पुलिस को जानकारी मिली है। वह अजय के माध्यम से युवकों को बुलाने के बाद आतिफ उर्फ राॅनी तक पहुंचाता था। उसके बारे में भी पुलिस जानकारी जुटा रही है। उसकी भी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। साइबर ठगी के मामले में कुछ समय पहले ट्रांस यमुना पुलिस ने एक गिरोह पकड़ा था, जिसमें 12 लोग शामिल थे। इनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।
एजेंटों को हर युवक के बदले में 3500 डाॅलर तक मिलते थे। इस तरह भारतीय एजेंटों को एक व्यक्ति को पहुंचाने पर 3 से 3.5 लाख रुपये तक मिलते थे। इसके अलावा जो लोग खाते और सिम उपलब्ध कराते थे, उन्हें अलग से रकम दी जाती थी। इसमें कई सदस्य एक साथ काम कर रहे थे। अब पुलिस इन सभी पर शिकंजा कस रही है। रत्नागिरी से पकड़े गए आमिर से भी पूछताछ होगी। पंजाब निवासी एक आरोपी के बारे में भी पुलिस को जानकारी मिली है। वह अजय के माध्यम से युवकों को बुलाने के बाद आतिफ उर्फ राॅनी तक पहुंचाता था। उसके बारे में भी पुलिस जानकारी जुटा रही है। उसकी भी गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहे हैं। साइबर ठगी के मामले में कुछ समय पहले ट्रांस यमुना पुलिस ने एक गिरोह पकड़ा था, जिसमें 12 लोग शामिल थे। इनमें एक नेपाली नागरिक भी शामिल था।