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UP: कागजों पर 4500 से ज्यादा सफाई कर्मचारी, सड़कों पर आधे भी नहीं...आगरा नगर निगम में वेतन घोटाला
अमर उजाला न्यूज नेटवर्क, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Thu, 03 Jul 2025 08:26 AM IST
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सार
पार्षद रवि माथुर ने सफाई कर्मचारियों के गैंग की संख्या मांगी। हैरानी की बात ये रही कि स्वास्थ्य अधिकारी को इनकी संख्या पता ही नहीं है।

नगर निगम सदन, आगरा
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी

विस्तार
आगरा नगर निगम में कागजों पर 4500 से ज्यादा सफाई कर्मचारी हैं, लेकिन सड़कों पर इनकी संख्या आधे से भी कम है। हालांकि इनके वेतन और कचरा व्यवस्था पर आगरा नगर निगम हर साल 261.50 करोड़ रुपये खर्च कर रहा है, लेकिन हर बार निरीक्षण में सफाई कर्मचारियों की असल संख्या के मुकाबले आधे भी नहीं मिल पा रहे हैं। नगर निगम कार्यकारिणी में पार्षदों ने सफाई कर्मचारियों की संख्या का ब्योरा मांगा तो नगर स्वास्थ्य अधिकारी बता नहीं सके कि कितने सफाई गैंग और कर्मचारी नगर निगम के काम कर रहे हैं।
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नगर निगम कार्यकारिणी के पूर्व उपसभापति और पार्षद रवि बिहारी माथुर ने कार्यकारिणी में प्रस्ताव लगाकर पूछा कि शहर में सफाई कर्मचारियों के कितने गैंग काम कर रहे हैं। नगर स्वास्थ्य अधिकारी गैंग की संख्या नहीं बता सके, जबकि शहर में 364 से ज्यादा सफाई कर्मचारी केवल सफाई गैंग में ही काम कर रहे हैं जो रात्रि कालीन सफाई व्यवस्था में 21 बाजारों में काम कर रहे हैं। निगम अधिकारियों के मुताबिक 760 से ज्यादा का वेतन जारी हो रहा है। पार्षद रवि माथुर ने कहा कि दो साल से हर वार्ड में काम कर रहे कर्मचारियों की सूची मांगी जा रही है, लेकिन इनकी संख्या और नाम बताए नहीं जा रहे। उन्होंने आरोप लगाया कि गैंग में 364 कर्मचारी ही काम कर रहे हैं, जबकि कागजों पर इन्हें 760 से ज्यादा दिखाकर 400 कर्मचारियों के वेतन का घोटाला किया जा रहा है।
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अपर नगर आयुक्त के निरीक्षण में सच आया सामने
नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने शहर की सफाई व्यवस्था का सच जानने के लिए अपर नगर आयुक्त शिशिर कुमार को क्षेत्र में भेजा तो सभी वार्डों में तय कर्मचारियों के मुकाबले आधे से कम ही ड्यूटी पर नजर आए। ऐसा एक दो नहीं, बल्कि पूरे 15 दिन के निरीक्षण में सभी वार्डों में नजर आया। कागजों पर सफाई कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है, जबकि सड़क पर सफाई करने वालों का सत्यापन करने पर इनकी संख्या आधे से भी कम रह रही है। नगर निगम इनके वेतन पर भारी भरकम रकम खर्च कर रहा है। सफाई मित्रों पर ही इस बार 80 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया है। कुल मिलाकर साल भर में 261.50 करोड़ रुपये सफाई के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं।
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नगर आयुक्त अंकित खंडेलवाल ने शहर की सफाई व्यवस्था का सच जानने के लिए अपर नगर आयुक्त शिशिर कुमार को क्षेत्र में भेजा तो सभी वार्डों में तय कर्मचारियों के मुकाबले आधे से कम ही ड्यूटी पर नजर आए। ऐसा एक दो नहीं, बल्कि पूरे 15 दिन के निरीक्षण में सभी वार्डों में नजर आया। कागजों पर सफाई कर्मचारियों की संख्या ज्यादा है, जबकि सड़क पर सफाई करने वालों का सत्यापन करने पर इनकी संख्या आधे से भी कम रह रही है। नगर निगम इनके वेतन पर भारी भरकम रकम खर्च कर रहा है। सफाई मित्रों पर ही इस बार 80 करोड़ रुपये का बजट पास किया गया है। कुल मिलाकर साल भर में 261.50 करोड़ रुपये सफाई के नाम पर खर्च किए जा रहे हैं।
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10-10 कर्मचारी पार्षदों को न दिए
नगर निगम के अधिवेशन में पार्षद रवि माथुर ने शहर के सभी 100 वार्डों में 10-10 सफाई कर्मचारी पार्षदों को देने के लिए प्रस्ताव रखा था, जो मंजूर कर लिया गया। सफाई कर्मचारियों की भर्ती के लिए 15 दिनों में पारदर्शी प्रक्रिया के लिए कमेटी का गठन किया जाना था, लेकिन यह भी नहीं हो सका। पार्षद रवि माथुर के मुताबिक अगर 10-10 कर्मचारी हर पार्षद को दे दिए जाते तो जलभराव और कचरे की समस्या न झेलनी पड़ती। हर बार निरीक्षण में हर वार्ड में 10 से 20 कर्मचारी अनुपस्थित मिलते हैं। यह केवल कागजों पर ही काम कर रहे हैं। पार्षद बंटी माहौर ने आरोप लगाया कि सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति में धांधली चल रही है। मेयर को रिश्तेदार बताने वाला ऑडियो वायरल हुआ था, इसकी जांच ही नहीं कराई गई। इसकी सत्यता की पुष्टि होनी चाहिए। सफाई कर्मचारियों के नाम पर धांधली चल रही है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ जांच की जाए।
नगर निगम के अधिवेशन में पार्षद रवि माथुर ने शहर के सभी 100 वार्डों में 10-10 सफाई कर्मचारी पार्षदों को देने के लिए प्रस्ताव रखा था, जो मंजूर कर लिया गया। सफाई कर्मचारियों की भर्ती के लिए 15 दिनों में पारदर्शी प्रक्रिया के लिए कमेटी का गठन किया जाना था, लेकिन यह भी नहीं हो सका। पार्षद रवि माथुर के मुताबिक अगर 10-10 कर्मचारी हर पार्षद को दे दिए जाते तो जलभराव और कचरे की समस्या न झेलनी पड़ती। हर बार निरीक्षण में हर वार्ड में 10 से 20 कर्मचारी अनुपस्थित मिलते हैं। यह केवल कागजों पर ही काम कर रहे हैं। पार्षद बंटी माहौर ने आरोप लगाया कि सफाई कर्मचारियों की नियुक्ति में धांधली चल रही है। मेयर को रिश्तेदार बताने वाला ऑडियो वायरल हुआ था, इसकी जांच ही नहीं कराई गई। इसकी सत्यता की पुष्टि होनी चाहिए। सफाई कर्मचारियों के नाम पर धांधली चल रही है। नगर स्वास्थ्य अधिकारी के खिलाफ जांच की जाए।
- न्यूमेरिक्स
- 80 करोड़ रुपये आउटसोर्स सफाई मित्रों पर खर्च
- 100 करोड़ रुपये स्वास्थ्य विभाग के सफाई मित्रों पर खर्च
- 35 करोड़ रुपये डोर टू डोर पर हुआ खर्च
- 70 करोड़ रुपये इस बार का बजट डोर टू डोर कचरा उठाने को
- 20 करोड़ रुपये कचरा निस्तारण के प्रबंधन पर हुए खर्च
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