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UP: अकाल मृत्यु का इन्हें खतरा...50 से कम उम्र वाले रहें सावधान, इन आंकड़ों से स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित

प्रदीप कुमार यादव, संवाद न्यूज एजेंसी Published by: धीरेन्द्र सिंह Updated Tue, 08 Jul 2025 01:14 PM IST
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सार

मृत्यु तो सभी की तय है, लेकिन अकाल मृत्यु का नाम डराता है। उत्तर प्रदेश के मैनपुरी जिले में अकाल मृत्यु के मामलों के आंकड़े चौंकाने वाले हैं, जिनकी वजह से स्वास्थ्य विभाग भी चिंतित है।

people death under 50 years of age are at greater risk health department is also worried
मौत (सांकेतिक तस्वीर)। - फोटो : अमर उजाला नेटवर्क

विस्तार
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मैनपुरी में बढ़ती मृत्यु दर ने स्वास्थ्य विभाग की चिंता बढ़ा दी है। 2020 के बाद मौत का आंकड़ा तेजी से बढ़ा है, जो अब हर साल 10,000 के पार पहुंच गया है। 2021 से पहले जहां यह संख्या 6 से 8 हजार के बीच रहती थी। वहीं, अब यह 8 से 10 हजार के करीब बनी हुई है।
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स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर नज़र डालें तो वर्ष 2020 में मैनपुरी में कुल 6,056 लोगों की मौत हुई थी। इसके बाद 2021 में कोरोना महामारी की लहर के दौरान यह आंकड़ा बढ़कर 10,353 हो गया। चौंकाने वाली बात यह है कि इन मौतों में से 4 हजार से ज्यादा लोग 50 साल से कम उम्र के थे। तब से जिले में मृत्यु दर 9 हजार से नीचे नहीं आई है। चालू वर्ष 2025 के शुरुआती छह महीनों में ही 5,022 लोगों ने अपनी जान गंवा दी है।

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आकस्मिक मौतें बनी बड़ी चुनौती
मृत्यु दर में यह वृद्धि केवल कुल मौतों तक सीमित नहीं है, बल्कि आकस्मिक मौतों में भी खतरनाक तेज़ी आई है। 2020 से पहले आकस्मिक मौतों का औसत 1500 से 2 हजार था, जो 2021 से बढ़कर 3 से 4 तक पहुंच गया है। वर्ष 2024 में जिले में कुल 8,790 मौतें हुईं, जिनमें से 3,987 आकस्मिक थीं। इन आकस्मिक मौतों में अधिकतर दिल का दौरा पड़ने के कारण हुईं, और 25 से 50 साल की उम्र के 2,850 मरीज़ इसकी चपेट में आए।

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छह वर्ष के मृत्यु दर के आंकड़े
वर्ष- मरने वालों की संख्या
2019- 8414
2020- 6856
2021- 10353
2022- 9832
2023- 9012
2024- 9090

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खान-पान और मानसिक तनाव को विशेषज्ञ मान रहे वजह
जिला अस्पताल के वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. जेजे राम ने इस बढ़ती आकस्मिक मृत्यु दर पर अपनी चिंता व्यक्त की है। उनका कहना है कि पिछले कुछ वर्षों से लोगों के खान-पान की आदतों में बदलाव और बदली हुई दिनचर्या इसका मुख्य कारण है। डॉ. राम बताते हैं कि आज लोग दिन-रात कमाई की होड़ में लगे हैं, जिससे वे लगातार तनाव में रहते हैं। इसके अलावा, अधिकतर लोग बाहरी और अशुद्ध भोजन का सेवन कर रहे हैं। काम के अत्यधिक बोझ के कारण लोग मानसिक उलझनों और दिल के दौरे का शिकार हो रहे हैं।
 
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