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UP: 'मैं फंस गया हूं...', रविंद्र को सताता था ये खाैफ, रोज नेहा से होती थी बात; जानें कैसे बने आईएसआई एजेंट
अमर उजाला नेटवर्क, आगरा
Published by: अरुन पाराशर
Updated Sun, 16 Mar 2025 08:14 AM IST
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सार
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए जासूसी के आरोप में एटीएस ने ऑर्डनेंस फैक्ट्री के चार्जमैन रविंद्र कुमार को गिरफ्तार किया है। रविंद्र के आईएसआई एजेंट बनने की पूरी कहानी एक फेसबुक फ्रेंड रिक्वेस्ट से शुरू हुई। इसके बाद प्यारी भरी बातों से लेकर ब्लैकमेलिंग का ऐसा जाल बुना गया, जिसमें रविंद्र फंसते ही चले गए।

रविंद्र।
- फोटो : संवाद न्यूज एजेंसी
विस्तार
हाय, मैं नेहा शर्मा, मुझसे दोस्ती करोगे क्या...। फेसबुक पर एक मैसेज आया और ऑर्डनेंस फैक्टरी का चार्जमैन रविंद्र कुमार जाल में फंस गया। पहले प्यार भरी बातें हुईं। वीडियो कॉल पर पाकिस्तानी एजेंट ने वह सब किया, जो साइबर अपराधी लोगों को ठगने के लिए करते हैं। वीडियो बनाने के बाद लालच और ब्लैकमेलिंग दोनों तरीके से गोपनीय दस्तावेज पाकिस्तान तक पहुंचाए जाने लगे।
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एटीएस के मुताबिक, पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई ने कई युवतियों को अपना एजेंट बना रखा है। वह सोशल मीडिया पर लोगों को अपने जाल में फंसाती हैं। उनके निशाने पर भारत सरकार के कार्यालय और सेना से जुड़े लोग रहते हैं। दोस्ती के बाद प्यारभरी बातें होती हैं। लोग लालच में भी फंस जाते हैं। कई बार वीडियो कॉल पर बात के दौरान आपत्तिजनक वीडियो बनाकर ब्लैकमेल किया जाने लगता है।
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ब्लैकमेल कर लोगों से सिम खरीदवाते हैं। उन सिम के नंबर और ओटीपी लेने के बाद पाकिस्तानी हैंडलर और एजेंट कॉलिंग करते हैं। इतना ही नहीं रुपयों का भी लालच देकर गोपनीय जानकारी ले ली जाती है। रविंद्र कुमार के मामले में भी यही बात सामने आई है।
जून 2024 में उन्हें नेहा शर्मा नाम की आईडी से फेसबुक पर फ्रेंड रिक्वेस्ट भेजी गई थी। रविंद्र कुमार ने रिक्वेस्ट एक्सेप्ट कर ली। इसके बाद फेसबुक मैसेंजर पर मैसेज आने लगे। रविंद्र कुमार ने खुद को ऑर्डनेंस फैक्टरी में अधिकारी बताया था। दोनों ने व्हाट्सएप नंबर भी शेयर किए। पाकिस्तानी एजेंट हर दिन मैसेज और कॉल करती थी। शुरू में वॉयस कॉल ही हुए। बाद में वीडियो कॉल होने लगे।
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पूछताछ में पता चला है कि वीडियो कॉल के दौरान आपत्तिजनक बातें भी होती थीं। रविंद्र कुमार के युवती ने वीडियो भी बना लिए थे। हर दिन 50-60 मैसेज और कॉलिंग से रविंद्र कुमार जाल में फंस गए। कई महीने से लगातार वह गोपनीय दस्तावेज एजेंट को भेज रहे थे।
दूसरे कर्मचारी के नाम से सेव था नंबर
रविंद्र कुमार युवती से बात कर रहे थे। जानकारी पत्नी और परिजन को न हो, इसलिए रविंद्र ने अपने मोबाइल में युवती का नंबर अपनी ही फैक्टरी के दूसरे कर्मचारी के नाम से सेव कर रखा था। कई बार फोन में मैसेज आने पर पत्नी और बच्चे भी उठा लिया करते थे। तब वह यही समझते थे कि कंपनी के कर्मचारी ने मैसेज और कॉल किया हुआ है। इससे किसी को शक नहीं होता था। रविंद्र ने नेहा का नंबर अपने साथी चंदन स्टोर कीपर के नाम से मोबाइल में सेव कर रखा था। रविंद्र का परिवार मूल रूप से मध्य प्रदेश के शिवपुरी का रहने वाला है।
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रविंद्र कुमार युवती से बात कर रहे थे। जानकारी पत्नी और परिजन को न हो, इसलिए रविंद्र ने अपने मोबाइल में युवती का नंबर अपनी ही फैक्टरी के दूसरे कर्मचारी के नाम से सेव कर रखा था। कई बार फोन में मैसेज आने पर पत्नी और बच्चे भी उठा लिया करते थे। तब वह यही समझते थे कि कंपनी के कर्मचारी ने मैसेज और कॉल किया हुआ है। इससे किसी को शक नहीं होता था। रविंद्र ने नेहा का नंबर अपने साथी चंदन स्टोर कीपर के नाम से मोबाइल में सेव कर रखा था। रविंद्र का परिवार मूल रूप से मध्य प्रदेश के शिवपुरी का रहने वाला है।
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चार्जमैन के साथ स्टोर का भी कार्य देखते थे
रविंद्र कुमार ऑर्डनेंस फैक्टरी में चार्जमैन होने के कारण स्टोर का कार्य भी देखते थे। वह फैक्टरी के कई व्हाट्सएप ग्रुपों से भी जुड़े थे। इन ग्रुपों पर प्रोजेक्ट और प्रोडक्शन से संबंधित जानकारियां साझा की जाती थीं। आरोप है कि इनको भी वह एजेंट को भेज दिया करते थे। कई उपकरण भी स्टोर में तैयार होकर रखे जाते थे। आशंका है कि इनको भी उन्होंने भेजा होगा। व्हाट्सएप चैट देखने के बाद कई जानकारी एटीएस के हाथ लगी हैं। वह दस्तावेज और फोटोग्राफ भेजने के बाद डिलीट कर दिया करते थे। अब इनको फॉरेंसिक लैब के माध्यम से रिकवर करने का प्रयास किया जाएगा।
रविंद्र कुमार ऑर्डनेंस फैक्टरी में चार्जमैन होने के कारण स्टोर का कार्य भी देखते थे। वह फैक्टरी के कई व्हाट्सएप ग्रुपों से भी जुड़े थे। इन ग्रुपों पर प्रोजेक्ट और प्रोडक्शन से संबंधित जानकारियां साझा की जाती थीं। आरोप है कि इनको भी वह एजेंट को भेज दिया करते थे। कई उपकरण भी स्टोर में तैयार होकर रखे जाते थे। आशंका है कि इनको भी उन्होंने भेजा होगा। व्हाट्सएप चैट देखने के बाद कई जानकारी एटीएस के हाथ लगी हैं। वह दस्तावेज और फोटोग्राफ भेजने के बाद डिलीट कर दिया करते थे। अब इनको फॉरेंसिक लैब के माध्यम से रिकवर करने का प्रयास किया जाएगा।
बैंक खातों की जानकारी जुटा रहा एटीएस
एटीएस के मुताबिक रविंद्र कुमार ने ज्यादा कुछ तो नहीं बताया है। हर बार पूछने पर वह इन्कार कर देते थे। मगर, जब उन्हें मोबाइल में मिले दस्तावेजों के बारे में बताया गया तो वह चुप हो गए। यही कहा कि वह फंस गए हैं।
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इसरो से जुड़ा बताकर नेहा ने की थी दोस्ती
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ी कथित नेहा शर्मा ने ऑर्डनेंस फैक्टरी कर्मी रविंद्र से दोस्ती करने के लिए उसे खुद को इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) से जुड़ा बताया था। इससे दोनों की दोस्ती बढ़ी थी। एटीएस का कहना है कि दोनों रात में भी लंबी बातचीत करते थे। जब रविंद्र पूरी तरह नेहा के जाल में फंस गया तब नेहा ने अपना असली रूप दिखाया।
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से जुड़ी कथित नेहा शर्मा ने ऑर्डनेंस फैक्टरी कर्मी रविंद्र से दोस्ती करने के लिए उसे खुद को इसरो (इंडियन स्पेस रिसर्च ऑर्गेनाइजेशन) से जुड़ा बताया था। इससे दोनों की दोस्ती बढ़ी थी। एटीएस का कहना है कि दोनों रात में भी लंबी बातचीत करते थे। जब रविंद्र पूरी तरह नेहा के जाल में फंस गया तब नेहा ने अपना असली रूप दिखाया।