सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Aligarh News ›   Aravalli crisis pushes sandy winds towards western UP

AMU: यूनिवर्सिटी वैज्ञानिकों ने चेताया, अरावली पर यदि संकट आया तो रेतीली हवाएं करेंगी पश्चिमी यूपी की ओर रुख

अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Thu, 25 Dec 2025 01:27 PM IST
सार

अरावली पर्वत शृंखला के संरक्षण को लेकर चल रही बहस के दौरान ही एएमयू के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत, उत्तराखंड और हिमाचल तक के पहाड़ तक बर्बाद हो जाएंगे। इन इलाकों के तापमान में वृद्धि होगी, जिससे यहां पर जैव विविधता के साथ पूरा परिस्थितिकी तंत्र बर्बाद हो जाएगा। 

विज्ञापन
Aravalli crisis pushes sandy winds towards western UP
अरावली पर्वतमाला - फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि अरावली पर्वत शृंखलाओं के अस्तित्व पर संकट आया तो राजस्थान की रेतीली हवाओं और मरुस्थल का विस्तार अलीगढ़ व पश्चिमी यूपी की उपजाऊ भूमि की ओर तेजी से बढ़ेगा। 

Trending Videos


अरावली की पहाड़ियां केवल पत्थर के ढेर नहीं हैं, बल्कि ये मरुस्थल के विस्तार को रोकने वाली एक प्राकृतिक दीवार हैं। अरावली पर्वत शृंखला के संरक्षण को लेकर चल रही बहस के बीच एएमयू के वैज्ञानिकों का कहना है कि अरावली की पड़ाडियां उत्तर भारत की ढाल है। यदि यह कमजोर पड़ी या इन्हें खत्म किया गया तो बिना रुकवाट के धूल-भरी आंधियां दिल्ली और एनसीआर के रास्ते पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक पहुंचेगी। वायु प्रदूषण और जल संकट का खतरा बढ़ेगा। 
विज्ञापन
विज्ञापन


अरावली पर्वत शृंखला के संरक्षण को लेकर चल रही बहस के दौरान ही अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के वैज्ञानिकों ने चेतावनी दी है कि राजधानी दिल्ली सहित उत्तर भारत, उत्तराखंड और हिमाचल तक के पहाड़ तक बर्बाद हो जाएंगे। इन इलाकों के तापमान में वृद्धि होगी, जिससे यहां पर जैव विविधता के साथ पूरा परिस्थितिकी तंत्र बर्बाद हो जाएगा। 

एएमयू भूगोल विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अतीक अहमद ने बताया कि गुजरात से हरियाणा तक फैली यह 700 किलोमीटर की पर्वत श्रृंखला मानसून के दौरान नमी वाली हवा को रोकने का काम करती हैं। साथ ही इनसे राजस्थान में उदयपुर सहित कई झीलें और नदियां जीवन पाती हैं। जमीन को पानी मिलता है, भूजल रिचार्ज होता है। इन पहाड़ियों के न होने पर ये नमी वाली हवाएं रुक नहीं पाएंगी और उत्तर-पूर्व सहित वहां हिमालय तक पहुंच जाएंगी।

उन्होंने बताया कि वहां की नदियों में बाढ़ आ जाएगी। एक ओर उत्तर भारत में जहां पानी नहीं होगा दूसरी और उत्तर-पूर्व के इलाके में पानी कहर बरपा रहा होगा। गर्मियों ने जैसलमेर की रेत उड़ कर पहाड़ों तक पहुंचेगी और वहां का तापमान बढ़ जाएगा। वातावरण में प्रदूषण का स्तर भी खतरनाक स्तर तक पहुंच जाएगा। एएमयू के वन्य जीव जंतु विज्ञान विभाग के वरिष्ठ वैज्ञानिक प्रो. अफीफुल्लाह कहते हैं कि अरावली पर संकट आने से इन पहाड़ियों में रहने वाले सैकड़ों प्रजातियों के जीव-जंतु और दुर्लभ जड़ी-बूटियां विलुप्त हो सकती हैं।

भारत के लिए वरदान है अरावली
प्रो. अतीक अहमद कहते हैं कि यह पर्वत श्रृंखला दुनिया की सबसे पुरानी पवर्त श्रृंखलाओं में से एक है। यह 2.32 अरब वर्ष पुरानी है। इसकी ऊंचाई कहीं 100 मीटर और कहीं 1700 मीटर तक है। इस पर्वत श्रृंखला के साथ ही भारत में जैव विविधता का विकास हुआ है। इस पर्वत श्रृंखला में चांदी, तांबा, टंगस्टन, लीथियम जैसे खनिजों का भंडार है।

अरावली ले छेड़छाड़ जनता के साथ धोखा : पूर्व सांसद

Aravalli crisis pushes sandy winds towards western UP
पूर्व सांसद बिजेंद्र सिंह - फोटो : संवाद

सपा के पूर्व सांसद चौधरी बिजेंद्र सिंह ने अरावली के संरक्षण संबंधी कानून में बदलाव के फैसले की कड़ी निंदा की है। उन्होंने कहा है कि अरावली से छेड़छाड़ जनता के साथ धोखा है। किशोर नगर स्थित कैंप कार्यालय पर पत्रकार वार्ता में पूर्व सांसद ने कहा कि अरावली की पहाडि़यां देश में मौसम संतुलन को बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं। सरकार उद्योगपतियों के दबाव में आकर इन पहाड़ियों को तोड़ने के लिए खनन आवंटन की योजना बना रही है। उत्तराखंड, कश्मीर और हिमाचल प्रदेश का उदाहरण देते हुए उन्होंने चेतावनी दी कि वनों के कटान और प्रकृति से छेड़छाड़ के कारण हम हाल के वर्षों में भीषण आपदाएं देख चुके हैं।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

Election
एप में पढ़ें

Followed