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Karwa Chauth: कब निकलेगा चांद, कैसे करें पूजा, कब से कब तक भद्रा का साया? बता रहे ज्योतिषाचार्य

अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Sat, 19 Oct 2024 08:34 PM IST
सार

पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि करवा चौथ पर भद्रा का अशुभ साया प्रातः 6:25 से शुरू होगा और प्रातः 6:46 तक रहेगा। केवल 21 मिनट के लिए भद्रा का अशुभ साया रहेगा।

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Complete details of Karva Chauth
करवा चौथ - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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सुहागिनों का त्योहार करवा चौथ कल 20 अक्टूबर को है। इस दिन पत्नी पूर्ण श्रद्धाभाव से पूरे दिन अपने पति की उन्नति और अच्छे स्वास्थ्य की कामना हेतु निर्जला व्रत रखती है। करवा चौथ पूजन कब से कब तक किया जा सकता है ? चंद्रमा का उदय कितने बजे होगा ? करवा चौथ पर भद्रा का साया कितनी देर का है ? करवा चौथ से जुड़े कई सवालों के जवाब अलीगढ़ के ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने अमर उजाला डिजिटल से बातचीत के दौरान दिए।

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करवा चौथ में किसकी पूजा होती है?
ज्योतिषाचार्य पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि करवा चौथ पर शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश तथा चंद्रमा का पूजन किया जाता है। चंद्रोदय के बाद चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। पूजा के बाद मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सुहाग की सामग्री रखकर सास अथवा सास के समकक्ष किसी सुहागिन के पांव छूकर भेंट की जाती है।
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क्या होती है सरगी ?
सरगी सास की तरफ से अपनी बहू को दी जाती है। सरगी के रूप में सास अपनी बहू को विभिन्न खाद्य पदार्थ एवं वस्त्र इत्यादि देती हैं। सरगी, सौभाग्य और समृद्धि का रूप होती है। सरगी के रूप में खाने की वस्तुएं जैसे फल, मिठाई आदि को महिलाएं व्रत वाले दिन सूर्योदय से पूर्व प्रात: काल में तारों की छांव में ग्रहण करती हैं। तत्पश्चात व्रत आरंभ होता है और अपने व्रत को पूर्ण करती हैं।

करवा चौथ की पूजन सामग्री क्या है ?

कुंकुम, शहद, अगरबत्ती, पुष्प, कच्चा दूध, शक्कर, शुद्ध घी, दही, मेंहदी, मिठाई, गंगाजल, चंदन, चावल, सिन्दूर, मेंहदी, महावर, कंघा, बिंदी, चुनरी, चूड़ी, बिछुआ, मिट्टी का टोंटीदार करवा व ढक्कन, दीपक, रुई, कपूर, गेहूँ, शक्कर का बूरा, हल्दी, पानी का लोटा, गौरी बनाने के लिए पीली मिट्टी, लकड़ी का आसन, छलनी, आठ पूरियों की अठावरी, हलुआ, दक्षिणा के लिए पैसे करवा चौथ पूजन की सामग्री हैं। 


करवा चौथ पूजन की विधि क्या है ?
प्रात: काल में नित्यकर्म से निवृत होकर संकल्प लें और व्रत आरंभ करें। व्रत के दिन निर्जला रहें। शाम के समय में मां पार्वती की प्रतिमा की गोद में श्रीगणेश को विराजमान कर उन्हें बालू अथवा सफेद मिट्टी की वेदी अथवा लकड़ी के आसान पर शिव-पार्वती, स्वामी कार्तिकेय, गणेश एवं चंद्रमा की स्थापना करें। मूर्ति के अभाव में सुपारी पर कलावा बांधकर देवता की भावना करके स्थापित करें। मां पार्वती का सुहाग सामग्री आदि से श्रृंगार करें। भगवान शिव और मां पार्वती की आराधना करें। नए करवे में पानी भरकर पूजा करें। एक लोटा, एक वस्त्र व एक विशेष करवा दक्षिणा के रूप में अर्पित करें। चंद्रोदय के बाद चांद को अर्घ्य देकर अपने पति के हाथ से जल एवं मिष्ठान खा कर व्रत खोले।

भद्रा का साया कब से कब तक है ?
पंडित हृदय रंजन शर्मा ने बताया कि करवा चौथ पर भद्रा का अशुभ साया प्रातः 6:25 से शुरू होगा और प्रातः 6:46 तक रहेगा। केवल 21 मिनट के लिए भद्रा का अशुभ साया रहेगा।

पूजा एवं चन्द्र को अर्घ्य देने का मुहूर्त क्या है ?

-चतुर्थी तिथि प्रारंभ 20 अक्टूबर प्रातः 6: 46 मिनट से
-चतुर्थी तिथि समाप्त तड़के सुबह 21 अक्टूबर को 04:17 बजे तक
-पूजा का शुभ मुहूर्त शाम 5.32 से रात 8:00 बजे तक।
-चंद्रोदय रात 8 बजे
-चन्द्र को अर्घ्य देने का समय रात्रि 8 बजे से 9:30 तक 

अर्घ्य समय का मंत्र
गगनार्णवमाणिक्य चन्द्र दाक्षायणीपते।
गृहाणार्घ्यं मया दत्तं गणेशप्रतिरूपक॥

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