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Kargil Vijay Diwas: दिन में नाले में छिपते, रात में करते थे चढ़ाई, ऐसी रही 42 दिनों की शौर्यगाथा

अमर उजाला नेटवर्क, अलीगढ़ Published by: चमन शर्मा Updated Sun, 27 Jul 2025 11:18 AM IST
सार

9 जुलाई को अटैक किया था और तोलोनिल पहाड़ी को लिया। 16 जुलाई को एक और पहाड़ी को दुश्मन से मुक्त करा लिया। खाना पीठ पर लेकर जाते थे। कारगिल युद्ध के बारे में अलीगढ़ के पूर्व सैनिकों ने उन दिनों की याद को साझा किया।
 

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story of 42 days of Kargil war
कारगिल विजय दिवस पर पूर्व सैनिकों का सम्मान करते प्रधानाचार्य श्याम कुंतैल - फोटो : स्कूल
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विस्तार
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कारगिल विजय दिवस के अवसर पर इंडियन वेटरंस एसोसिएशन की ओर से 26 जुलाई को आयोजित एक कार्यक्रम में कारगिल युद्ध में हिस्सा ले चुके पूर्व सैनिकों ने अपनी बहादुरी की दास्तां साझा की। 

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26 जुलाई को क्वार्सी बाईपास स्थित यश रेजीडेंसी में आयोजित इस कार्यक्रम में वीर सैनिकों ने बताया कि कैसे उन्होंने 42 दिनों तक विषम परिस्थितियों में दुश्मनों का सामना किया और देश की रक्षा की। पूर्व सैनिकों ने बताया कि युद्ध के दौरान उनका हर दिन चुनौतियों से भरा होता था। वे दिन में नालों और दर्रों में छिपकर वक्त बिताते थे, ताकि दुश्मन की नजर से बचे रहें। वहीं, रात होते ही वे बर्फीली पहाड़ियों पर चढ़ाई शुरू कर देते थे, जो बेहद खतरनाक और थका देने वाला होता था।
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जनरल का आर्डर था 72 घंटे में पनिहाल टनल खुलवाओ
सूबेदार मेजर विनोद वर्मा ने बताया कि पनिहाल में टनल को आतंकियों ने ब्लॉक कर दिया था और रसद की आवाजाही को रोक दिया था। तब हमारे जनरल साहब ने आदेश दिया कि 72 घंटे में टनल क्लीयर चाहिए। हमने निर्धारित समय में ही चारों आतंकियों को झांझनू के पास न्यूट्रलाइज किया। इसके बाद ही टनल खुली।

खाना पीठ पर, नाले में छिपकर दिन गुजारते

हवलदार राम अवतार कारगिल में कुपवाड़ा और कारगिल में तैनाती रही। कारगिल में पैदल चढ़कर गए। शाम को टास्क मिल जाता था। 9 जुलाई को अटैक किया था और तोलोनिल पहाड़ी को लिया। 16 जुलाई को एक और पहाड़ी को दुश्मन से मुक्त करा लिया। खाना पीठ पर लेकर जाते थे।

पाकिस्तान से लगा बॉर्डर सील कर दिया था
कैप्टन मो. सलीम खान ने बताया कि वह कारगिल युद्ध के दौरान वह सांबा सेक्टर में तैनात थे। मेन कारगिल में जाने को रिजर्व में हमारी बटालियन को रखा गया था। बार्डर पर अलग-अलग बटालियन तैनात थीं। जितना बॉर्डर पाकिस्तान से लगा था उसे पूरा सील कर दिया था। उस समय संचार माध्यम भी टूट गए थे।कश्मीर की सबसे ऊंची पहाड़ी टाइगर हिल पर दुश्मन बैठ गया था। एयर स्ट्राइक से घेराबंदी लूज की और पैदल सैनिकों ने कब्जा लिया।

बलिदानियों को किया गया याद

इंडियन वेटरंस ऑर्गनाइजेशन ने क्वार्सी बाईपास स्थित यश रेजीडेंसी में कारगिल विजय दिवस पर कार्यक्रम का आयोजन किया। इस अवसर पर मंडलायुक्त संगीता सिंह ने वीर सपूतों को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा कि जिन सैनिकों ने देश के लिए अपने प्राण न्योछावर किए, वे हमारे लिए सदैव सम्मानीय रहेंगे।

कार्यक्रम का शुभारंभ ब्रिलियंट पब्लिक स्कूल से यश रेजीडेंसी तक निकाली गई भव्य तिरंगा यात्रा से हुआ। इसमें केरल, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, राजस्थान सहित कई राज्यों से आए संगठन के पदाधिकारी, पूर्व सैनिक, एनसीसी कैडेट्स और स्कूली छात्रों ने भाग लिया। इंडियन वेटरंस ऑर्गनाइजेशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष जोगेंद्र सिंह सेंगर और रिपर एडमिरल राजवीर सिंह ने कारगिल के नायकों का गर्मजोशी से स्वागत किया। रिपर एडमिरल राजवीर सिंह ने कारगिल युद्ध की जटिल रणनीतियों और सैनिकों के जमीनी अनुभवों को साझा किया।

कार्यक्रम में संस्था के केरल अध्यक्ष दिवाकर, तमिलनाडु अध्यक्ष राथा एम., हरियाणा से चरन सिंह मलिक, अरुणाचल प्रदेश से तातुंग तारो सहित जनक सिंह कुशवाह, जितेंद्र सिंह, जेके खान, आमिर मलिक, कर्नल आरके सिंह, बाबू सिंह जैसे कई वीर सैनिक उपस्थित रहे। कार्यक्रम का कुशल संचालन राष्ट्रीय महासचिव कैप्टन आसीन खां ने किया।

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