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Prayagraj: सक्षम प्राधिकारी के वैध आदेश की अवहेलना में की गई कार्रवाई शून्य, नहीं दे सकते मान्यता- हाइकोर्ट

अमर उजाला ब्यूरो, प्रयागराज Published by: Digvijay Singh Updated Tue, 14 Oct 2025 01:16 PM IST
सार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी के वैध आदेश की अवहेलना में की गई कोई भी कार्रवाई शून्य है और उसे मान्यता नहीं दे सकते। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने जौनपुर के डीआईओएस के वैध स्थगन आदेश का उल्लंघन कर कराए गए प्रबंध समिति के चुनाव को मान्यता देने से इन्कार कर दिया।

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Action taken in defiance of a valid order of the competent authority is void in Prayagraj
इलाहाबाद हाईकोर्ट। - फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सक्षम प्राधिकारी के वैध आदेश की अवहेलना में की गई कोई भी कार्रवाई शून्य है और उसे मान्यता नहीं दे सकते। यह टिप्पणी करते हुए कोर्ट ने जौनपुर के डीआईओएस के वैध स्थगन आदेश का उल्लंघन कर कराए गए प्रबंध समिति के चुनाव को मान्यता देने से इन्कार कर दिया और याचिका खारिज कर दी।

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यह आदेश न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह की एकल पीठ ने जौनपुर के केराकत स्थित पब्लिक इंटर कॉलेज की प्रबंध समिति की ओर से दाखिल याचिका पर दिया। याची विद्यालय की प्रबंध समिति और प्रतिवादी ने 2025-26 सत्र के चुनाव के लिए अलग-अलग सदस्यता सूची जारी की। सहायक निबंधक, फर्म्स, सोसाइटीज और चिट्स, वाराणसी ने सदस्यता सूची पर दोनों पक्षों से स्पष्टीकरण मांगा।
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सदस्यता सूची में विवाद के चलते जिला विद्यालय निरीक्षक (डीआईओएस) ने 22 मई 2025 को एक आदेश पारित कर 23 मई 2025 को होने वाले चुनाव को स्थगित कर दिया। इसके बावजूद याचियों ने स्थगन आदेश की अवहेलना करते हुए कॉलेज परिसर के बजाय निजी निवास पर चुनाव कराया। चुनाव को मान्यता देने के लिए हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की।

कोर्ट ने माना कि डीआईओएस ने विवादित मतदाता सूची के कारण चुनाव पर रोक लगाने का फैसला अपने अधिकार क्षेत्र में लिया था। कोर्ट ने डीआईओएस के स्थगन आदेश के बाद भी कराए गए चुनाव को अवैध और शून्य घोषित कर दिया। कोर्ट ने सहायक निबंधक, फर्म्स, सोसाइटीज और चिट्स को चार सप्ताह के भीतर सदस्यता सूचियों की जांच करने और वैध सदस्यता सूची का निर्धारण करने का निर्देश दिया। सहायक निबंधक ने सत्यापित सूची के अनुसार नए सिरे से चुनाव कराने के लिए उचित निर्देश पारित करेंगे। कोर्ट ने बैंक खाता के एकल संचालन का आदेश बरकरार रखा, ताकि कर्मचारियों के वेतन का भुगतान जारी रहे।


 
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