Prayagraj : इलाहाबाद विश्वविद्यालय को पहली बार मिला नैक ए+ ग्रेड, नैक पीयर टीम ने पिछले माह किया था दौरा
इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की ओर से किए गए पुनर्मूल्यांकन में ए+ ग्रेड हासिल किया है। नैक की ओर से बृहस्पतिवार को नैक ग्रेडिंग की सूचना विश्वविद्यालय को प्राप्त हुई।
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इलाहाबाद विश्वविद्यालय ने राष्ट्रीय मूल्यांकन एवं प्रत्यायन परिषद (नैक) की ओर से किए गए पुनर्मूल्यांकन में ए+ ग्रेड हासिल किया है। नैक की ओर से बृहस्पतिवार को नैक ग्रेडिंग की सूचना विश्वविद्यालय को प्राप्त हुई। कुलपति प्रो. संगीता श्रीवास्तव ने कायाकल्प कार्यक्रम के दौरान यह सूचना दी। विश्वविद्यालय को पहली बार नैक की ए+ ग्रेडिंग मिली है। जनसंपर्क अधिकारी प्रो. जया कपूर के अनुसार अब तक विवि को बी++ ग्रेडिंग ही मिली थी।
नैक पीयर टीम ने 27 से 29 मई तक विवि का निरीक्षण किया गया था। उस समय ए ग्रेड मिला था, लेकिन विवि प्रशासन ने नैक की रिपोर्ट के कई बिंदुओं पर आपत्ति दर्ज कराई थी। उसमें छात्रों की संख्या समेत 10 बिंदु शामिल थे। इसके बाद नैक पीयर टीम ने 13 अक्तूबर को दोबारा निरीक्षण किया और आपत्ति वाले बिंदुओं की समीक्षा की। दोबारा निरीक्षण के दौरान नैक की टीम ज्यादातर आपत्तियों से सहमत दिखी। इसका नतीजा ग्रेड में सुधार के रूप में सामने आया है और विवि को ए+ ग्रेड मिला है।
इविवि को नैक से ए+ ग्रेड मिलने के बाद परिसर में हर्ष और उत्साह का माहौल रहा। नैक रिपोर्ट तैयार करने वाली समिति के अध्यक्ष प्रो. मनोज कुमार का कहना है कि हमने केवल एक रिपोर्ट नहीं बनाई बल्कि विवि के भविष्य का रोडमैप तैयार किया। रजिस्ट्रार प्रो. आशीष खरे ने इस ग्रेडिंग को संस्था के लिए गौरवपूर्ण मील का पत्थर बताया। उन्होंने कहा कि यह ग्रेड केवल एक प्रमाणपत्र नहीं है, बल्कि इविवि की सामूहिक भावना का सम्मान है।
हमारी यात्रा का अंत नहीं, बल्कि एक नई उड़ान की शुरुआत
इविवि कुलपति प्रो.संगीता श्रीवास्तव ने कहा कि ए+ ग्रेड एक मजबूत आधार था लेकिन हमारा लक्ष्य उससे आगे था। यह पुनर्मूल्यांकन केवल प्रक्रिया नहीं थी, बल्कि वैश्विक मानकों के अनुरूप स्वयं को ढालने का हमारा संकल्प था। इस सफलता के पीछे इविवि के आंतरिक गुणवत्ता आश्वासन प्रकोष्ठ (आईक्यूएसी) और नैक रिपोर्ट तैयार करने वाली समिति का अथक परिश्रम रहा। यह हमारी यात्रा का अंत नहीं, बल्कि एक नई उड़ान की शुरुआत है। यह ए+ ग्रेड हम अपने शिक्षकों, कर्मचारियों, विद्यार्थियों और इस शहर को समर्पित करते हैं। जश्न की इस घड़ी में इविवि और भी ऊंचा उठ खड़ा है। उसका ए+ ग्रेड देशभर के संस्थानों के लिए प्रेरणा का प्रकाश स्तंभ बन गया है।
शोध प्रोजेक्ट व शैक्षणिक माहौल के बल पर इविवि ने रचा इतिहास
इविवि को नैक की ए+ ग्रेडिंग मिलने के पीछे शैक्षणिक माहौल एवं सतत ढांचागत विकास को कारण माना जा रहा है। सबसे बड़ी वजह रही वर्षों से रिक्त पदों पर शिक्षकों एवं कर्मचारियों की भर्ती है। इसके अलावा विगत पांच वर्षों में विश्वविद्यालय में तीन छात्रावासों के निर्माण भी कराए गए जो अच्छी ग्रेडिंग के लिए जरूरी अंक हासिल करने में सहायक बने।
इविवि को 2005 में केंद्रीय दर्जा मिला था। इसके बाद से शिक्षकों के रिक्त पदों पर भर्ती के लगातार प्रयास किए जाते रहे लेकिन सफलता नहीं मिली। इसका नतीजा रहा कि शिक्षकों के 500 से अधिक पद रिक्त हो गए। पांच वर्ष में यह बाधा टूटी और 370 से अधिक शिक्षकों की भर्ती की गई। यह प्रक्रिया अब भी जारी है। खास यह कि इनमें 15 विदेशी संस्थानों के शिक्षक शामिल हैं। इनके अलावा 24 राज्यों के शिक्षकों ने भी इविवि को चुना है।
इस दौरान विश्वविद्यालय में 611 कर्मचारियों की भी भर्ती की गई। इंटरनेशनल, श्यामजी कृष्ण वर्मा समेत तीन छात्रावासों का भी निर्माण किया गया। इसके अलावा आधुनिकतम सुविधाओं से लैस प्रो. ईश्वर टोपा ऑडिटोरियम समेत कई अन्य निर्माण भी कराए गए जिससे परिसर में पूरा शैक्षणिक माहौल बदल गया। इसका अनुमान इससे ही लगाया जा सकता है कि विश्वविद्यालय में इस वर्ष 26 राज्यों के विद्यार्थियों ने प्रवेश लिया है। ये सभी प्रयास नैक की ए+ ग्रेडिंग पाने में सहायक रहे।
पांच वर्षों की उपलब्धियां जो नैक मूल्यांकन में रहीं सहायक
- लंबे समय बाद एलुमिनाई एसोसिएशन का पुनर्गठन
- पिछले चार में 60 से अधिक पेटेंट
- 7540 से अधिक रिसर्च पेपर्स इंडेक्सड हुए
- दादरा नगर हवेली से दिल्ली तक, गुजरात, उड़ीसा समेत 26 राज्यों के छात्रों ने लिया दाखिला
- 20 करोड़ रुपये से अधिक के प्रोजेक्ट मिले हैं पिछले चार वर्षों में
- 200 करोड़ से अधिक संपत्तियां भी प्राप्त हुईं
- एस्ट्रोटर्फ हाकी मैदान समेत कई खेलों के कोर्ट हुए तैयार
- आधुनिक सुविधाओं वाला सांस्कृतिक केंद्र मिला
- रसायन विज्ञान विभाग में लेक्चर कॉम्प्लेक्स का हुआ निर्माण
- केंद्रीय पुस्तकालय में रीडिंग हाॅल बना
- लैंग्वेज लैब समेत हुए अन्य कई निर्माण
- 10 हजार से अधिक मौसमी एवं 300 फल व छायादार पौधों से परिसर में लौटी हरियाली