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बिहार का स्वतंत्रता सेनानी आश्रित प्रमाण पत्र यूपी में मान्य नहीं, सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति रद्द
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 16 Oct 2025 03:33 PM IST
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सार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिहार निवासी का बिहार से प्राप्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाण पत्र के आधार पर उत्तर प्रदेश (यूपी) में सहायक प्रोफेसर (अर्थशास्त्र) के पद पर नियुक्ति को रद्द करने के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट।
- फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
इलाहाबाद हाईकोर्ट ने बिहार निवासी का बिहार से प्राप्त स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाण पत्र के आधार पर उत्तर प्रदेश (यूपी) में सहायक प्रोफेसर (अर्थशास्त्र) के पद पर नियुक्ति को रद्द करने के फैसले को सही ठहराते हुए याचिका खारिज कर दी।

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यह आदेश न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने डॉ.रौशन कुमार सिंह ने की याचिका पर दिया। इन्होंने उत्तर प्रदेश उच्च शिक्षा सेवा आयोग की परीक्षा में स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित श्रेणी के तहत भाग लिया था। बिहार के रहने वाले हैं और इनके पास वहां का स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के आश्रित का प्रमाण पत्र है। इन्हें सहायक प्रोफेसर (अर्थशास्त्र) के पद पर सफल घोषित किया गया और 25 मार्च 2023 को नियुक्ति पत्र जारी किया गया। इन्होंने नेहरू महाविद्यालय, ललितपुर में कार्यभार ग्रहण किया।
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उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग ने नोटिस जारी कर इन्हें स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाण पत्र के विवाद को स्पष्ट करने के लिए समिति के सामने पेश होने को कहा। पेशी के बाद सचिव, उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग ने तीन जुलाई 2025 को इनकी उम्मीदवारी और चयन को रद्द कर दिया। इस आदेश को इन्होंने हाईकोर्ट में चुनौती दी।
याची के अधिवक्ता ने दलील दी कि स्वतंत्रता संग्राम सेनानी आश्रित प्रमाण पत्र वास्तविक पाया गया था। केवल इस आधार पर कि याचिकाकर्ता उत्तर प्रदेश राज्य के बाहर का अधिवासी है। इनकी उम्मीदवारी और नियुक्ति रद्द नहीं की जा सकती है। प्रतिवादी अधिवक्ता ने दलील दी कि उप्र लोक सेवा अधिनियम-1993 के तहत स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के तहत आरक्षण केवल उत्तर प्रदेश के निवासियों को मिलेगा।