द्वंद : रामलीला से पहले सिंहासन के लिए ‘महाभारत’ थाने से हाईकोर्ट तक युद्ध लड़ रहीं कमेटियां
मनाने के बावजूद नहीं लौटने पर भरत उनकी खड़ाऊं लेकर अयोध्या लौट आए थे। उसे राजगद्दी पर विराजित कर राजकाज चलाया था। वहीं, विडंबना देखिए कि रामलीला के जरिये उनके आदर्शों को जनता तक पहुंचाने वाले खुद ही लड़ रहे हैं। फिलहाल, अब अदालत ही बताएगी कि पितृ पक्ष के बाद शुरू होने वाली रामलीला और दशहरे के मेले का आयोजन कौन करेगा। ये तीन केस तो सिर्फ बानगी हैं।

विस्तार
राजपाट को त्यागने का आदर्श प्रस्तुत करने वाले प्रभु श्रीराम की लीला के मंचन को लेकर कई जगह सिंहासन के लिए ‘महाभारत’ छिड़ी गई है। रामलीला प्रबंध समितियों का आंतरिक युद्ध थाने से लेकर हाईकोर्ट तक जारी है। राम अपने पिता राजा दशरथ के वचन को निभाने के लिए बिना विरोध राजमहल छोड़कर 14 वर्ष के वनवास पर चले गए थे।

मनाने के बावजूद नहीं लौटने पर भरत उनकी खड़ाऊं लेकर अयोध्या लौट आए थे। उसे राजगद्दी पर विराजित कर राजकाज चलाया था। वहीं, विडंबना देखिए कि रामलीला के जरिये उनके आदर्शों को जनता तक पहुंचाने वाले खुद ही लड़ रहे हैं। फिलहाल, अब अदालत ही बताएगी कि पितृ पक्ष के बाद शुरू होने वाली रामलीला और दशहरे के मेले का आयोजन कौन करेगा। ये तीन केस तो सिर्फ बानगी हैं।
बाघंबरी क्षेत्र की रामलीला में अध्यक्ष को लेकर रार, सुनवाई आज
48 साल पुरानी अल्लापुर बाघंबरी क्षेत्र की रामलीला का मंचन दो अक्तूबर से शुरू होगा। आयोजन का जिम्मा बाघंबरी क्षेत्र श्री रामलीला कमेटी पर है, लेकिन प्रबंध समिति में अध्यक्ष पद को लेकर केशवनाथ मिश्र और ओम नारायण त्रिपाठी में रार ठनी है। 2024-2025 के लिए दोनों अपनी-अपनी 21 सदस्यीय प्रबंध समिति के पंजीकरण के लिए जुलाई में सोसाइटी रजिस्ट्रार के कार्यालय में आवेदन किए थे।
निबंधक ने मामला उपजिलाधिकारी, सदर को संदर्भित कर दिया। फैसला सुनाते हुए एसडीएम ने ओम नारायण त्रिपाठी की कमेटी पर मुहर लगा दी। जबकि, केशवनाथ मिश्र ने एसडीएम के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। मामला 30 सितंबर को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध है। वहीं, ओम नारायण त्रिपाठी का आरोप है कि पूर्व कार्यवाहक अध्यक्ष केशवनाथ मिश्र की ओर से अभी तक उन्हें समिति के दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए गए हैं। कमेटी के खाते में मात्र 1700 रुपये मिले हैं।
श्री दारागंज रामलीला कमेटी में वर्चस्व को लेकर घमासान
दो सौ साल पुरानी प्रयागराज की दारागंज रामलीला कमेटी काली नृत्य और स्वांग को लेकर दुनियाभर में मशहूर है। कमेटी को लेकर छिटपुट विवाद तो हमेशा रहा, लेकिन इस बार आंतरिक युद्ध थाने से लेकर अदालत तक पहुंंच चुका है। कमेटी के महामंत्री रहे रवींद्र गिरि और अध्यक्ष राजेंद्र यादव उर्फ कुल्लू यादव के गुट के बीच कमेटी में वर्चस्व को लेकर तनातनी जारी है। रवींद्र ने कमेटी का नवीनीकरण न होने को आधार बनाकर मौजूदा कमेटी की वैधता पर सवाल खड़ा किया था। हालांकि, हाईकोर्ट ने अध्यक्ष राजेंद्र यादव उर्फ कुल्लू यादव के नेतृत्व वाली कमेटी के पक्ष में फैसला सुनाया। इसके बाद नवीनीकरण हो गया। रामलीला भी शुरू हो चुकी है। लेकिन, चुनाव को लेकर दोनों पक्षों ने एक-दूसरे पर मारपीट का आरोप लगाया है।
हाथरस की श्री सासनी रामलीला कमेटी में चुनाव को लेकर लड़ाई
सौ साल पुरानी हाथरस की सासनी रामलीला कमेटी में चुनाव को लेकर विवाद कई वर्षों से चल रहा है। मामला पहले प्रशासनिक अधिकारियों, सोसाइटी पंजीकरण कार्यालय पहुंचा था, लेकिन अब हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया है। विवाद दाऊ दयाल शर्मा और सुधीर कुमार अग्रवाल के बीच वर्ष 2013-2014 में शुरू हुआ। दोनाें पक्षों के विवाद में रिसीवर भी नियुक्त हुए। हालांकि, सुधीर कुमार अग्रवाल की अर्जी पर रिसीवर नियुक्ति का आदेश निरस्त हो गया।
उसके बाद वर्ष 2019 में चुनाव हुआ तो सुरेश चंद्र शर्मा अध्यक्ष और कृमल कुमार वार्ष्णेय महामंंत्री बने। सुरेश शर्मा के निधन के बाद लीलाधर शर्मा की अध्यक्षता मेें इस वर्ष रामलीला का आयोजन हो रहा है। वहीं, कमेटी के मंत्री लोकेश शर्मा ने बताया कि रामलीला कमेटी की याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दाऊ दयाल की एसडीएम की अदालत में लंबित अर्जी को छह माह निस्तारित करने का आदेश दिया है।