सब्सक्राइब करें
Hindi News ›   Uttar Pradesh ›   Prayagraj News ›   FIR cannot be registered if the absconding accused is not present, the court ordered to cancel the case.

हाईकोर्ट : फरार आरोपी के हाजिर न होने पर दर्ज नहीं हो सकती है एफआईआर, कोर्ट ने केस रद्द करने का दिया आदेश

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Thu, 11 Jan 2024 11:39 AM IST
विज्ञापन
सार

यह सीआरपीसी की धारा 195(1)(ए)(1) के तहत प्रतिबंधित हैं। क्योंकि, यह संज्ञेय अपराध नहीं है।अदालत के आदेश पर केवल परिवाद (शिकायत) दर्ज हो सकता है। इस आधार पर कोर्ट ने याची के खिलाफ अलीगढ़ के लोधा थाने में दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी।

FIR cannot be registered if the absconding accused is not present, the court ordered to cancel the case.
इलाहाबाद हाईकोर्ट - फोटो : Amar ujala
विज्ञापन

विस्तार
Follow Us

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा है कि किसी मामले के आरोपी के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 82 (फरार घोषित होना) के तहत कार्रवाई की गई है। इसके बावजूद वह कोर्ट के समक्ष हाजिर नहीं हो रहा है तो पुलिस प्राथमिकी दर्ज नहीं कर सकती है और न ही अदालतें उसका संज्ञान ले सकती हैं।

Trending Videos


यह सीआरपीसी की धारा 195(1)(ए)(1) के तहत प्रतिबंधित हैं। क्योंकि, यह संज्ञेय अपराध नहीं है।अदालत के आदेश पर केवल परिवाद (शिकायत) दर्ज हो सकता है। इस आधार पर कोर्ट ने याची के खिलाफ अलीगढ़ के लोधा थाने में दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी। कहा कि उसके आदेश की कॉपी सभी जिला अदालतों और जेटीआरआई लखनऊ को भेज दी जाए। यह आदेश न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा व अरुण सिंह देशवाल की खंडपीठ ने सुमित व अन्य की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है।
विज्ञापन
विज्ञापन


हालांकि, कोर्ट ने यह भी कहा कि मामले से संबंधित अदालत और किसी कानूनी बाधा के न होने पर याचियों के खिलाफ परिवाद दर्ज करने के लिए स्वतंत्र हैं। कोर्ट ने कहा कि संज्ञेय अपराध में स्वयं पुलिस को किसी व्यक्ति को बिना वारंट के गिरफ्तार करने की अनुमति है। इसलिए एफआईआर का पंजीकरण किया जाता है। संज्ञेय अपराध के तहत होने वाली कार्रवाई से व्यक्ति की स्वतंत्रता प्रभावित होती है, जबकि 174-ए का अपराध संज्ञेय की श्रेणी में नहीं है।

मामले में याचियों के खिलाफ सीआरपीसी की धारा 82 के तहत कार्रवाई की गई। इसके बावजूद भी वे कोर्ट में उपस्थित नहीं हुए तो अलीगढ़ के लोधा थाने में पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर आरोप पत्र दाखिल कर दिया था। संबंधित अदालत ने उसका संज्ञान लिया। याचियों ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी। याचियों की ओर से कहा गया कि अदालतें इसका संज्ञान नहीं ले सकती हैं। क्योंकि, यह सीआरपीसी की धारा 195(1)(ए)(1) के तहत वर्जित है। कोर्ट ने याची के तर्कों को स्वीकार कर एफआईआर को रद्द कर दिया।

विज्ञापन
विज्ञापन

रहें हर खबर से अपडेट, डाउनलोड करें Android Hindi News App, iOS Hindi News App और Amarujala Hindi News APP अपने मोबाइल पे|
Get all India News in Hindi related to live update of politics, sports, entertainment, technology and education etc. Stay updated with us for all breaking news from India News and more news in Hindi.

विज्ञापन
विज्ञापन

एड फ्री अनुभव के लिए अमर उजाला प्रीमियम सब्सक्राइब करें

Next Article

एप में पढ़ें

Followed