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हाईकोर्ट : आजम खान कुनबे की अंतिम दौर में पहुंची बहस पर सरकार की ब्रेक, सरकार के कदम से कोर्ट भी हैरान

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Wed, 08 May 2024 11:22 AM IST
सार

आज़म खान उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुला को रामपुर की एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी करवाने के मामले में सात-सात साल कैद की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ आजम खान के कुनबे ने सजा के खिलाफ आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर कर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जमानत की मांग भी की हैं।

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Government breaks the debate on Azam Khan clan as it reaches its final stage
सपा नेता आजम खां - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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सपा नेता आजम खान के बेटे अब्दुला के फर्जी जन्म प्रमाणपत्र मामले में सजा के खिलाफ अंतिम दौर में पहुंच चुकी बहस पर सरकार ने ब्रेक लगा दी है। अभियोजन की ओर से बहस पूरी कर चुके अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव को हटा कर मामले की सुनवाई का जिम्मा सरकार ने महाधिवक्ता अजय मिश्र को सौंप दिया है। अब मामले की सुनवाई 14 मई को होगी। हालांकि, सरकार के इस कदम पर अदालत ने नाराजगी जताई है। मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति संजय कुमार सिंह की अदालत कर रही है।

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आज़म खान उनकी पत्नी तंजीम फातिमा और बेटे अब्दुला को रामपुर की एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने फर्जी जन्म प्रमाण पत्र जारी करवाने के मामले में सात-सात साल कैद की सजा सुनाई है। इसके खिलाफ आजम खान के कुनबे ने सजा के खिलाफ आपराधिक पुनरीक्षण याचिका दायर कर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। जमानत की मांग भी की हैं।
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इस मामले की सुनवाई जनवरी माह से चल रही है। सरकार ने काफी टाल मटोल के बाद जवाबी हलफनामा दाखिल किया था। आजम खान के परिजनों का पक्ष सुप्रीम कोर्ट के जानेमाने वकील कपिल सिब्बल रखने आए थे। इसके बाद अभियोजन की ओर की बहस चल रही थी। करीब-करीब बहस सोमवार को पूरी होने के बाद अग्रिम सुनवाई के लिए कोर्ट ने मंगलवार की तारीख नियत की थी। उम्मीद जताई जा रही थी आज इस मामले की सुनवाई पूरी हो जायेगी।

लेकिन,ऐन वक्त पर सरकार की ओर से पेश अपर महाधिवक्ता पीसी श्रीवास्तव और शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार ने अदालत को बताया कि सरकार की ओर जानकारी दी गई है कि अब इस मामले में महाधिवक्ता अजय कुमार मिश्र अभियोजन का पक्ष रखेंगे।

सरकार के इस कदम पर आजम खान के वकील इमरान उल्ला ने कड़ी आपत्ति जताई। कहा कि सरकार का यह आचरण मामले को जानबूझ कर टालने की कोशिश है। राजनीतिक विद्वेष के चलते आजम खान के परिजनों को सताया जा रहा है।

सरकार के इस कदम पर कोर्ट ने भी नाराजगी और हैरानी जताई। कोर्ट ने कहा कि बहस पूरी हो जाने के बाद इस तरह का वकील बदलना समझ से परे है। हालांकि, शासकीय अधिवक्ता आशुतोष कुमार सड की गुजारिश पर कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 मई की तारीख नियत कर दी।

यह है पूरा मामला

विधानसभा चुनाव 2017 में अब्दुल्ला आजम स्वार से विधायक चुने गए थे। प्रतिद्वंद्वी प्रत्याशी नवाब काजिम अली खां उर्फ नावेद मियां व बाद में भाजपा नेता आकाश सक्सेना ने फर्जी जन्म प्रमाणपत्र पर चुनाव लड़ने की शिकायत की थी। इस पर हाईकोर्ट ने अब्दुल्ला का चुनाव रद्द कर दिया था। सुप्रीम कोर्ट से भी राहत नहीं मिली। अब्दुल्ला आजम के शैक्षिक प्रमाण पत्र में उनकी जन्मतिथि एक जनवरी 1993 दर्ज है और नगर निगम लखनऊ से जारी प्रमाणपत्र में 30 सितंबर 1990 दर्ज है। आजम खां सहित तीनों के खिलाफ फर्जी जन्म प्रमाणपत्र तैयार करने के आरोप में केस दर्ज किया गया था।

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