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UP : हाईकोर्ट की तल्ख टिप्पणी- कॉलेज को लड़ाई का अखाड़ा न बनाएं...मिलकर शिक्षा का स्तर सुधारें
अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sun, 21 Dec 2025 11:56 AM IST
सार
Allahabad High Court : इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज के प्रबंधन की बदहाल स्थिति का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। आपसी टकराव, धमकी, वेतन रोकने और आपराधिक कार्यवाही जैसे कदमों से छात्रों का भविष्य खतरे में है।
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इलाहाबाद हाईकोर्ट।
- फोटो : अमर उजाला।
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विस्तार
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सहायता प्राप्त इंटर कॉलेज के प्रबंधन की बदहाल स्थिति का खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ रहा है। आपसी टकराव, धमकी, वेतन रोकने और आपराधिक कार्यवाही जैसे कदमों से छात्रों का भविष्य खतरे में है। शैक्षणिक संस्थान को लड़ाई का अखाड़ न बनाएं। प्रबंध समिति, शिक्षक और प्रधानाचार्य अपने कर्तव्यों का ईमानदारी से निर्वहन कर शिक्षा के स्तर को बेहतर करें। इस टिप्पणी के साथ न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी की एकल पीठ ने कन्नौज के सौरिख स्थित एडेड ऋषि भूमि इंटर कॉलेज के वेतन और सेवा पुस्तिका से जुड़े आदेशों को सही ठहराते हुए प्रबंधन के आरोपों को खारिज कर याचिका निस्तारित कर दी। कहा, ऑडिट आपत्तियों का सभी पक्ष मिलकर समाधान करें।
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कॉलेज के प्रबंधन, प्रधानाचार्य और शिक्षकों के बीच उत्तर प्रदेश इंटरमीडिएट शिक्षा अधिनियम के तहत स्व-मूल्यांकन प्रपत्र न भरने को लेकर विवाद चल रहा था। प्रबंध समिति का कहना था कि माध्यमिक विद्यालयों में अध्यापकों को वार्षिक वेतन वृद्धि दिए जाने से पहले स्व-मूल्यांकन प्रपत्र भरना अनिवार्य है। वहीं, विद्यालय के अध्यापक लगातार इसे भरने से इन्कार कर रहे थे। कोर्ट ने इस मामले में कॉलेज के प्रबंधक, प्रधानाचार्य, डीआईओएस और संबंधित अध्यापकों को व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का आदेश दिया था।
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कोर्ट में कॉलेज की प्रबंधक, प्रधानाचार्य, शिक्षक और डीआईओएस व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हुए और एक-दूसरे पर गंभीर आरोप लगाए। इस पर कोर्ट ने कहा कि प्रबंधक के पास शिक्षकों का वेतन और वार्षिक वेतन वृद्धि रोकने का कोई वैध आधार नहीं है। डीआईओएस के 13 अक्तूबर 2025 को पारित आदेश को सही ठहराते हुए कोर्ट ने कहा कि न तो किसी शिक्षक के सेवा अभिलेख में प्रतिकूल प्रविष्टि दर्ज की गई थी और न ही वेतन वृद्धि रोकने का कोई विधिसम्मत आदेश दिया गया था। ऐसे में प्रबंधक का यह कदम शिक्षकों को परेशान करने के अलावा और कुछ नहीं है। वहीं, कोर्ट ने प्रबंधक को चेतावनी देते हुए कहा कि वह अपने पद का दुरुपयोग न करें। अपने पति या अन्य लोगों के सहारे शक्ति प्रदर्शन से बचें।
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