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माघ मेला : माघी पूर्णिमा से पहले फिर घाटों पर काला पड़ा गंगा जल, नालों का गंदा पानी बहाने का आरोप

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज Published by: विनोद सिंह Updated Sat, 12 Feb 2022 01:19 AM IST
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सार

माघ मेले में संगम पर संतों-भक्तों को निर्मल गंगा की धारा उपलब्ध कराने की शासन की मंशा पर पानी फिर सकता है। माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व से पहले संगम समेत अन्य स्नान घाटों पर गंगा जल काला पड़ने लगा है। इसे लेकर तीर्थपुरोहितों ने कड़ी आपत्ति जताई है।

Magh Mela: Before Maghi Purnima again, Ganga water blackened on the ghats, accused of shedding dirty water from drains
गंगा पूजन करते साधु संत। - फोटो : प्रयागराज।
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माघी पूर्णिमा स्नान पर्व से पहले कानपुर की टेनरियों के अलावा शिवकुटी, झूंसी, दारागंज और अरैल के नालों का गंदा पानी एक बार फिर सीधे गंगा में बहाया जाने लगा है। इससे रामघाट से लेकर कई घाटों पर शुक्रवार को काला और मटमैला गंगा जल आने लगा। इलाहाबाद उच्च न्यायालय में गंगा निर्मलीकरण पर दाखिल याचिका के अधिवक्ताओं , सामाजिक कार्यकर्ताओं की टीम ने भी संगम और आसपास के घाटों के निरीक्षण के बाद जहां गंगा में काले जल की मात्रा बढ़ने पर नाराजगी जताई, वहीं तीर्थपुरोहितों की सबसे बड़ी संस्था प्रयागवाल सभा ने आंदोलन की चेतावनी दी है।

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माघ मेले में संगम पर संतों-भक्तों को निर्मल गंगा की धारा उपलब्ध कराने की शासन की मंशा पर पानी फिर सकता है। माघी पूर्णिमा के स्नान पर्व से पहले संगम समेत अन्य स्नान घाटों पर गंगा जल काला पड़ने लगा है। इसे लेकर तीर्थपुरोहितों ने कड़ी आपत्ति जताई है। प्रयागवाल सभा ने शुक्रवार को काला पड़ रहे गंगा जल को लेकर आंदोलन की चेतावनी दी। तीर्थपुरोहितों ने चेताया कि अगर खुले नालों को बंद नहीं किया गया तो वह संघर्ष के लिए बाध्य होंगे।
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अभी माघी पूर्णिमा के अलावा महाशिवरात्रि का स्नान पर्व बाकी है। कल्पवास पूरा होने में भी हफ्ते भर शेष हैं। इससे पहले ही निर्मल गंगा के प्रवाह में गंदा जल छोड़ा जाने लगा है। माघ मेले की तैयारियों के दौरान मुख्य सचिव संगम पर निर्मल गंगा की धारा संतों-भक्तों को मुहैया कराने का संकल्प अफसरों को दिला चुके हैं। तब कहा गया था कि गंगा में गिरने वाले नालों को हर हाल में बंद कर दिया जाए। इस बीच गंगा में जल प्रवाह तेज होने की वजह से भी नालों के गंदे पानी का असर संगम और अन्य स्नान घाटों पर देखने को नहीं मिला था।



इस बीच एक बार फिर कानपुर की टेनरियों के अलावा शिवकुटी, झूंसी और दारागंज के नालों से गंदा पानी गंगा में सीधे जा रहा है। इससे रामघाट से लेकर कई घाटों पर काला और मटमैला गंगा जल आने लगा। काला गंगा जल देखे जाने के बाद तीर्थपुरोहितों ने कड़ी नाराजगी जताई है। प्रयागवाल सभा के अध्यक्ष डॉ. प्रकाश चंद्र मिश्र ने आरोप लगाया है कि टेनरियों के साथ ही शहर के नालों से गंदा पानी गंगा में छोड़ा जा रहा है। शिवकुटी, दारागंज, झूंसी और अरैल के नालों को बंद नहीं किया गया तो तीर्थपुरोहित मेला प्रशासन का घेराव करने के लिए बाध्य होंगे।  



इस बीच हाईकोर्ट में गंगा पर दाखिल जनहित याचिका के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव, सुनीता शर्मा, समाजसेवी योगेंद्र कुमार पांडेय, इलाहाबाद दुर्गा पूजा समिति के सलाहकार डॉ. पीके राय ने गंगा के विभिन्न घाटों व संगम का निरीक्षण किया और यह पाया कि गंगा जल बेहद काला और बदबूदार है। वहां घाटों में मौजूद लोगों ने गंगा टीम से गंदे पानी को लेकर शिकायत भी दर्ज कराई। गंगा प्रदूषण जनहित याचिका के अधिवक्ता विजय चंद्र श्रीवास्तव ने बताया कि याचिका के अगले सुनवाई पर इस बात से उच्च न्यायालय को अवगत कराया जाएगा।

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